दुमकाः शराब की वजह से लाखों लोगों की मौत हो चुकी है. अनगिनत घर बर्बाद हो चुके हैं, लेकिन लोग अभी भी इसका शिकार हो रहे हैं. लोग शराब से दूरी बनाए इसके लिए कई तरह के जागरुकता अभियान चलाए जा रहे है. कुछ इसी तरह का प्रयास दुमका के बांधपाड़ा इलाके में रहने वाली आदिवासी समाज की एक महिला सुष्मिता सोरेन भी कर रही है. सुष्मिता सोरेन प्रतिदिन अपने घर में महिलाओं को इकट्ठा करती है और उन्हें शराब के दुष्प्रभाव की जानकारी देती है. बताती हैं कि आप अपने परिवार सगे संबंधियों को इससे दूर रखें. इतना ही नहीं वह सुष्मिता महिलाओं को साथ लेकर घर-घर जाकर भी लोगों को समझाती हैं कि शराब की लत बुरी है, जो इसका शिकार हो गया वह बर्बाद हो जाता है.
इसे भी पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसः RSB ट्रांसमिशन में लोहा मनवा रही महिलाएं, 30 प्रतिशत रोजगार में महिलाओं की भागीदारी
झारखंड में भी शराब बंदी की मांग
सुष्मिता सोरेन का कहना है कि शराब ने उनके पिता, पति के साथ-साथ घर के कई अन्य सदस्यों की जान ले ली है और वह नहीं चाहतीं कि ऐसा होता रहे. यही वजह है कि शराब के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम कर रही हूं. लोगों को बताना चाहती हूं कि आप शराब से दूर हैं, नहीं तो यह आपको हर तरह से बर्बाद कर देगा. सुष्मिता यह भी मांग करती है कि जिस तरह बिहार में शराब बंदी की गई है, झारखंड सरकार भी इसे लागू करें. ऐसी आदिवासी महिलाएं जो सड़क के किनारे बैठकर शराब बेचती हैं उनके रोजगार के लिए सरकार काम करें, उन्हें रोजगार से जोड़े ताकि उन्हें पैसे के खातिर यह काम न करना पड़े.
लोग सुष्मिता के प्रयास की कर रहे सराहना
सुष्मिता सोरेन के घर आने वाली महिला जब शराब के दुष्प्रभाव के बारे में जानती है तो उन्हें भी लगता है कि हमें भी इस तरह के जागरुकता अभियान चलाना चाहिए और समाज को इससे दूर रखना चाहिए. इधर जिन घरों में सुष्मिता जाकर बताती हैं कि आप शराब का सेवन न करें वे भी इससे प्रभावित नजर आते हैं.
सुष्मिता के प्रयास को समर्थन देने को जरूरत
एक आदिवासी महिला होकर सुष्मिता शराब के दुष्प्रभाव के प्रति लोगों को लगातार जागरूक कर रही है. उनके इस मुहिम को व्यापक समर्थन देने की जरूरत है, ताकि जन -जन तक उसकी आवाज जाए और लोग इसे समझें ताकि शराब के गिलास में किसी का घर परिवार और जीवन डूबने से बच जाए.