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दुमका के स्टूडेंट्सों की राय, मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तर्ज पर हो इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा - 12वीं पास स्टूडेंड्स का सरकार से अपील

12वीं की परीक्षा के परिणाम आने के बाद कई स्टूडेंट्स अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं, लेकिन इन छात्रों का कहना है कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तर्ज पर ही इंजीनियरिंग का इंट्रेंस एग्जाम होना चाहिए. छात्रों का कहना है कि चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए देश स्तर पर आयोजित परीक्षा NEET में एक छात्र को केवल एक परीक्षा देना पड़ता है, जबकि इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश के लिए पहले जेईई मेंस और फिर जेईई एडवांस की परीक्षा देनी पड़ती है

Students preparing for engineering gave opinion on ETV bharat in dumka
दुमका के स्टूडेंट्सों की राय
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Published : Jul 30, 2020, 4:11 PM IST

दुमका: 12वीं की परीक्षा के परिणाम आने के बाद अब स्टूडेंट्स अपने आगे की पढ़ाई और करियर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इन स्टूडेंट्स में काफी संख्या उनकी है जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं और इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं, लेकिन इन छात्रों का कहना है कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तर्ज पर इंजीनियरिंग का इंट्रेंस एग्जाम होना चाहिए.

देखें पूरी खबर


क्या कहना है छात्रों का
इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक कई स्टूडेंट्सों से ईटीवी भारत के संवाददाता ने बातचीत की. छात्रों का कहना है कि चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए देश स्तर पर आयोजित परीक्षा NEET में एक छात्र को केवल एक परीक्षा देना पड़ता है और उसके आधार पर उन्हें मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलता है, जबकि इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश के लिए पहले जेईई मेंस और फिर जेईई एडवांस की परीक्षा देना पड़ता है. अनुराग, हर्ष, शुभम और आयुष ने कहा कि यह दोहरी नीति है, अगर मेडिकल में नामांकन के लिए एक परीक्षा दे रहे हैं तो फिर इंजीनियरिंग में दो स्टेज क्यों, यह हमारे साथ भेदभावपूर्ण रवैया है, इसके लिए उन्हें दो बार परीक्षा के लिए तैयारी करनी पड़ती है.


इसे भी पढे़ं:- CBSE 10वीं के रिजल्ट में जेवीएम श्यामली का डंका, 99 फीसदी अंक के साथ हर्षा प्रियम बनी टॉपर


सरकार से कर रहे हैं मांग
ये सभी स्टूडेंट्स सरकार से मांग कर रहे हैं कि जिस तरह मेडिकल में जाने वाले छात्रों के लिए सरकार एक बार परीक्षा लेती है, वही व्यवस्था वह उनके लिए करे, वे इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाना चाह रहे हैं, सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

दुमका: 12वीं की परीक्षा के परिणाम आने के बाद अब स्टूडेंट्स अपने आगे की पढ़ाई और करियर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इन स्टूडेंट्स में काफी संख्या उनकी है जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं और इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं, लेकिन इन छात्रों का कहना है कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तर्ज पर इंजीनियरिंग का इंट्रेंस एग्जाम होना चाहिए.

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क्या कहना है छात्रों का
इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक कई स्टूडेंट्सों से ईटीवी भारत के संवाददाता ने बातचीत की. छात्रों का कहना है कि चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए देश स्तर पर आयोजित परीक्षा NEET में एक छात्र को केवल एक परीक्षा देना पड़ता है और उसके आधार पर उन्हें मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलता है, जबकि इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश के लिए पहले जेईई मेंस और फिर जेईई एडवांस की परीक्षा देना पड़ता है. अनुराग, हर्ष, शुभम और आयुष ने कहा कि यह दोहरी नीति है, अगर मेडिकल में नामांकन के लिए एक परीक्षा दे रहे हैं तो फिर इंजीनियरिंग में दो स्टेज क्यों, यह हमारे साथ भेदभावपूर्ण रवैया है, इसके लिए उन्हें दो बार परीक्षा के लिए तैयारी करनी पड़ती है.


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सरकार से कर रहे हैं मांग
ये सभी स्टूडेंट्स सरकार से मांग कर रहे हैं कि जिस तरह मेडिकल में जाने वाले छात्रों के लिए सरकार एक बार परीक्षा लेती है, वही व्यवस्था वह उनके लिए करे, वे इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाना चाह रहे हैं, सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

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