दुमका : जनता की गाढ़ी कमाई से सरकार विभिन्न टैक्स के माध्यम से रुपए इकट्ठा करती है. फिर उसे जनकल्याण में खर्च करती है. लेकिन सरकारी राशि का किस तरह दुरुपयोग (Misuse of Public Tax In Dumka) होता है. इसका उदाहरण दुमका में देखा जा सकता है. दुमका के सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय परिसर (Sido Kanho Murmu University) में कई ऐसे भवन हैं, जिसका निर्माण लाखों रुपये की लागत से कराया गया. लेकिन आज इसका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है और बिना इस्तेमाल किए ये भवन जर्जर हो रहे हैं.
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क्या है पूरा मामला: सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय की स्थापना 1992 में हुई. शुरुआत के लगभग ढाई दशक तक तो इसे अपना कैंपस नहीं मिल पाया और संथाल अकादमी के भवन से संचालित होता रहा. 2009-10 में दुमका सदर प्रखंड के दिग्घी गांव में इसके लिए जमीन अधिग्रहण किया गया और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप होने लगा. सबसे पहले कुछ कार्यालय और अधिकारियों के लिए आवास का निर्माण हुआ. कोई भी अधिकारी इसमें रहने के लिए शिफ्ट नहीं हुए. काफी दिनों तक यह खाली रहा.
ऑफिसर क्वार्टर खाली : इधर विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर के छात्र- छात्राओं के लिए क्लास रूम नहीं बना. छात्रों की ओर से क्लास रूम की मांग तेज हुई तो ऑफिसर के बंद पड़े आवासों का उपयोग क्लास रूम में किया जाने लगा. धीरे-धीरे विश्वविद्यालय परिसर विकसित हुए और क्लास रूम का निर्माण हुआ. अब ऑफिसर रेसिडेंस की जगह क्लास रूम में कक्षाएं चलने लगी. मतलब एक बार फिर से लाखों की राशि से बने ये ऑफिसर क्वार्टर खाली हो गए. लगभग चार वर्षों से ये सभी भवन खाली पड़े हुए हैं. बिना इस्तेमाल किए ये भवन जर्जर हो रहे हैं.
निर्माण करने वाले संवेदक ने इसे बना लिया है अपना गोदाम: ईटीवी भारत की टीम ने जब इन भवनों का जायजा लिया तो पाया कि वर्तमान समय में विश्वविद्यालय परिसर में जो आधारभूत संरचना का निर्माण कार्य चल रहा है. उसके संवेदक में इन भवनों में से कुछ को अपना गोदाम बना लिया है. वहीं कुछ भवन के सामने के हिस्से का इस्तेमाल उनके मजदूरों द्वारा रसोईघर के रूप में किया जा रहा है.
यूज नहीं तो निर्माण क्यों हुआ: विश्वविद्यालय परिसर में सरकारी राशि का दुरुपयोग होना एक बड़ी लापरवाही माना जा सकता है. एक अहम सवाल यह है कि जब इन भवनों का इस्तेमाल ही नहीं होना था तो फिर इसका निर्माण क्यों कराया गया. इसके पीछे लाखों की राशि क्यों खर्च की गई.