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संथाल परगना के कृषि विभाग में अधिकारियों की भारी कमी, 70 में से मात्र 6 पदों पर कार्यरत हैं अधिकारी - दुमका के कृषि विभाग में अधिकारियों की कमी

संथाल परगना में किसानों की स्थिति इन दिनों दयनीय है. क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और सिंचाई के अभाव में तो किसान परेशान हैं ही, लेकिन विभागीय लापरवाही भी यहां के किसानों की दयनीय स्थिति का मुख्य कारण है. जिस संथाल परगना से 3-3 कृषि मंत्री बने हो, वहां का कृषि विभाग अधिकारियों की कमी से जूझ रहा है. संथाल में कृषि विभाग के 70 पदों में से सिर्फ 6 पद ही भरे हैं, बाकी रिक्त पड़े हैं.

Shortage of officers in Department of Agriculture of Santhal division
Shortage of officers in Department of Agriculture of Santhal division
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Published : Jul 30, 2020, 2:55 PM IST

दुमका: संथाल परगना में किसानों की स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है. इसके लिए यहां की भौगोलिक स्थिति, सालोभर जल की उपलब्धता, पथरीली भूमि, किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होना जिम्मेदार तो है ही. इसके साथ एक और बड़ा कारण है कृषि विभाग में अधिकारियों और अन्य कर्मियों की घोर कमी, जिसके कारण क्षेत्र के किसानों की स्थिति स्थिर बनी हुई है.

सभी स्तर पर कर्मियों की कमी

झारखंड राज्य निर्माण के बाद राज्य सरकार के तीन कृषि मंत्री संथाल परगना से ही हुए हैं. दुमका जिला के नलिन सोरेन और देवघर के रणधीर सिंह कृषि मंत्री रह चुके हैं. जबकि वर्तमान के हेमंत सरकार में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी दुमका जिला के जरमुंडी से विधायक हैं. जिस प्रमंडल से तीन कृषि मंत्री बने हो, वहां के कृषि विभाग में कर्मियों की संख्या कम होना, इस बात को दर्शाता है कि इसे किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. संथाल परगना में प्रमंडल, जिला, प्रखंड सभी स्तर पर कर्मियों की कमी है. अगर प्रखंड से शुरू करें तो संथाल परगना के सभी छह जिले दुमका, देवघर, गोड्डा, पाकुड़, साहिबगंज और जामताड़ा में कृषि विभाग के प्रखंड स्तरीय 76 पद स्वीकृत हैं, लेकिन सिर्फ 6 पद पर अधिकारी कार्यरत हैं, जबकि 70 पद रिक्त हैं. अधिकांश प्रखंडों में इस पद पर जनसेवक को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, जो कृषि के संबंध में विशेष तकनीकी जानकारी नहीं रखते.

ऐसे में साफ जाहिर है कि किसानों की अनदेखी होती रही है. संथाल परगना में जैसे-तैसे कृषि विभाग का काम चल रहा है. दुमका के सभी 10 प्रखंडों में प्रखंड कृषि पदाधिकारी का पद रिक्त है. यही हाल जामताड़ा जिले का है, वहां भी सभी चार प्रखंड में ब्लॉक एग्रीकल्चर ऑफिसर नहीं है. इधर, संथाल के दूसरे जिलों की बात करें तो प्रत्येक जिले में कृषि निरीक्षक, सर्वे ऑफिसर होने चाहिए थे, लेकिन ये सभी पद रिक्त पड़े हुए हैं. वहीं दुमका में प्रमंडल स्तर पर जो संयुक्त कृषि निदेशक का कार्यालय है, वहां कुल स्वीकृत पद 24 है, लेकिन पदास्थापित सिर्फ 10 हैं. यहां भी 14 पद रिक्त पड़े हैं.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में लगातार बढ़ रहा कोरोना, अब तक 9,894 संक्रमित, 99 की मौत

पूरे प्रमंडल के स्वीकृत पद और कार्यरत कर्मियों का आंकड़ा

संथाल परगना के सभी छह जिलों के कृषि विभाग में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 605 है, जबकि पदास्थापित सिर्फ 253 हैं. ऐसे में 352 पद रिक्त हैं. इसमें दुमका जिला की स्थिति काफी खराब है. यहां कुल स्वीकृत पद 123 है, जबकि पदास्थापित सिर्फ 17 अधिकारी ही हैं. ऐसे में यहां भी 106 पद खाली है. इस तरह आंकड़े बताते हैं कि आधे से भी कम कर्मियों में कृषि विभाग चल रहा है. दुमका स्थित संथाल परगना प्रमंडल के संयुक्त कृषि निदेश अजय कुमार सिंह से मुलाकात करना भी लोगों के लिए आसान नहीं होता है. कृषि निदेशक अजय कुमार के अनुसार कर्मियों की कमी से परेशानी है. वे भी मानते हैं कि कार्यालयों में सभी अधिकारियों के रहने पर बेहतर तरीके से काम हो पाता. रिक्त पड़े पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण अभी तक ये सभी पद नहीं भरे जा सके हैं.

दुमका: संथाल परगना में किसानों की स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है. इसके लिए यहां की भौगोलिक स्थिति, सालोभर जल की उपलब्धता, पथरीली भूमि, किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होना जिम्मेदार तो है ही. इसके साथ एक और बड़ा कारण है कृषि विभाग में अधिकारियों और अन्य कर्मियों की घोर कमी, जिसके कारण क्षेत्र के किसानों की स्थिति स्थिर बनी हुई है.

सभी स्तर पर कर्मियों की कमी

झारखंड राज्य निर्माण के बाद राज्य सरकार के तीन कृषि मंत्री संथाल परगना से ही हुए हैं. दुमका जिला के नलिन सोरेन और देवघर के रणधीर सिंह कृषि मंत्री रह चुके हैं. जबकि वर्तमान के हेमंत सरकार में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी दुमका जिला के जरमुंडी से विधायक हैं. जिस प्रमंडल से तीन कृषि मंत्री बने हो, वहां के कृषि विभाग में कर्मियों की संख्या कम होना, इस बात को दर्शाता है कि इसे किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. संथाल परगना में प्रमंडल, जिला, प्रखंड सभी स्तर पर कर्मियों की कमी है. अगर प्रखंड से शुरू करें तो संथाल परगना के सभी छह जिले दुमका, देवघर, गोड्डा, पाकुड़, साहिबगंज और जामताड़ा में कृषि विभाग के प्रखंड स्तरीय 76 पद स्वीकृत हैं, लेकिन सिर्फ 6 पद पर अधिकारी कार्यरत हैं, जबकि 70 पद रिक्त हैं. अधिकांश प्रखंडों में इस पद पर जनसेवक को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, जो कृषि के संबंध में विशेष तकनीकी जानकारी नहीं रखते.

ऐसे में साफ जाहिर है कि किसानों की अनदेखी होती रही है. संथाल परगना में जैसे-तैसे कृषि विभाग का काम चल रहा है. दुमका के सभी 10 प्रखंडों में प्रखंड कृषि पदाधिकारी का पद रिक्त है. यही हाल जामताड़ा जिले का है, वहां भी सभी चार प्रखंड में ब्लॉक एग्रीकल्चर ऑफिसर नहीं है. इधर, संथाल के दूसरे जिलों की बात करें तो प्रत्येक जिले में कृषि निरीक्षक, सर्वे ऑफिसर होने चाहिए थे, लेकिन ये सभी पद रिक्त पड़े हुए हैं. वहीं दुमका में प्रमंडल स्तर पर जो संयुक्त कृषि निदेशक का कार्यालय है, वहां कुल स्वीकृत पद 24 है, लेकिन पदास्थापित सिर्फ 10 हैं. यहां भी 14 पद रिक्त पड़े हैं.

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पूरे प्रमंडल के स्वीकृत पद और कार्यरत कर्मियों का आंकड़ा

संथाल परगना के सभी छह जिलों के कृषि विभाग में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 605 है, जबकि पदास्थापित सिर्फ 253 हैं. ऐसे में 352 पद रिक्त हैं. इसमें दुमका जिला की स्थिति काफी खराब है. यहां कुल स्वीकृत पद 123 है, जबकि पदास्थापित सिर्फ 17 अधिकारी ही हैं. ऐसे में यहां भी 106 पद खाली है. इस तरह आंकड़े बताते हैं कि आधे से भी कम कर्मियों में कृषि विभाग चल रहा है. दुमका स्थित संथाल परगना प्रमंडल के संयुक्त कृषि निदेश अजय कुमार सिंह से मुलाकात करना भी लोगों के लिए आसान नहीं होता है. कृषि निदेशक अजय कुमार के अनुसार कर्मियों की कमी से परेशानी है. वे भी मानते हैं कि कार्यालयों में सभी अधिकारियों के रहने पर बेहतर तरीके से काम हो पाता. रिक्त पड़े पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण अभी तक ये सभी पद नहीं भरे जा सके हैं.

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