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सरकारी उदासीनता का दंश झेल रहा है दुमका पशु रेफरल अस्पताल, पशुपालक परेशान

राज्य के एकमात्र रेफरल अस्पताल में सरकार के द्वारा मशीनें तो उपल्बध करा दी गई हैं, लेकिन पशुओं के इलाज के लिए डॉक्टरों की काफी कमी है. डॉक्टरों का कहना है कि सरकार इस समस्या पर ध्यान ही नहीं देना चाहती.

दुमका पशु रेफरल अस्पताल
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Published : Sep 23, 2019, 10:32 AM IST

दुमकाः जिले में स्थित एकमात्र रेफरल अस्पताल में पशुओं के इलाज के लिए सारी व्यवस्था की गई है. यहां पशुओं का एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, कई तरह के ब्लड टेस्ट सहित कई जांच उपलब्ध हैं. जिसके कारण दुमका ही नहीं बल्कि पूरे राज्य से लोग अपने पशु लेकर पहुंचते हैं. इतनी सुविधा होने के बावजूद पशुओं के इलाज के दौरान पशुपालकों को काफी समस्या होती है. दरअसल, अस्पताल में डॉक्टरों के साथ ही कर्मियों की कमी है, इस वजह से पशुओं का उचित इलाज नहीं हो पाता.

देखें पूरी खबर


क्या कहते हैं पशु चिकित्सक
रेफरल अस्पताल में मौजूद पशु चिकित्सक डॉक्टर रमण कुमार ठाकुर का कहना है कि इस अस्पताल का निर्माण लगभग 7 वर्ष पहले हुआ है, लेकिन सरकार ने आज तक इसका पद सृजन नहीं किया है. अस्पताल के स्ट्रेंथ के हिसाब से यहां सर्जन, गायनेकोलॉजिस्ट, एमडी मेडिसिन जैसे विशेषज्ञ के पद होने चाहिए. कम से कम 8 डॉक्टर की पोस्टिंग होनी चाहिए. उसके एवज में सिर्फ 1 डॉक्टर की पोस्टिंग है. वहीं, कर्मियों की संख्या 20 होनी चाहिए जबकि सिर्फ 2 कर्मी से काम चल रहा है. सबसे बड़ी बात जिस दवा की आवश्यकता है वह दवा भी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में यह अस्पताल अपने नाम और क्षमता के अनुरूप नहीं चल पा रहा है.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस और जेएमएम को झारखंड में राजीनीति करने का अधिकार नहीं, जाए पाकिस्तान: सीएम


क्या कहते हैं पशुपालक
यहां आने वाले पशुपालक काफी उम्मीद से अपने मवेशियों के इलाज के लिए आते हैं, लेकिन जब उन्हें उचित इलाज और दवा नहीं मिलती है तो काफी निराशा होती है. पशुपालक कृष्ण कुमार साह अपने गोल्डन रिट्रीवर नस्ल के कुत्ते का इलाज कराने अस्पताल पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि उनके कुत्ते को जौंडिस है, लेकिन यहां सही से इलाज नहीं हो पा रहा और न ही दवा सही मिल पा रही है. सरकार को इस अव्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत है.

दुमकाः जिले में स्थित एकमात्र रेफरल अस्पताल में पशुओं के इलाज के लिए सारी व्यवस्था की गई है. यहां पशुओं का एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, कई तरह के ब्लड टेस्ट सहित कई जांच उपलब्ध हैं. जिसके कारण दुमका ही नहीं बल्कि पूरे राज्य से लोग अपने पशु लेकर पहुंचते हैं. इतनी सुविधा होने के बावजूद पशुओं के इलाज के दौरान पशुपालकों को काफी समस्या होती है. दरअसल, अस्पताल में डॉक्टरों के साथ ही कर्मियों की कमी है, इस वजह से पशुओं का उचित इलाज नहीं हो पाता.

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क्या कहते हैं पशु चिकित्सक
रेफरल अस्पताल में मौजूद पशु चिकित्सक डॉक्टर रमण कुमार ठाकुर का कहना है कि इस अस्पताल का निर्माण लगभग 7 वर्ष पहले हुआ है, लेकिन सरकार ने आज तक इसका पद सृजन नहीं किया है. अस्पताल के स्ट्रेंथ के हिसाब से यहां सर्जन, गायनेकोलॉजिस्ट, एमडी मेडिसिन जैसे विशेषज्ञ के पद होने चाहिए. कम से कम 8 डॉक्टर की पोस्टिंग होनी चाहिए. उसके एवज में सिर्फ 1 डॉक्टर की पोस्टिंग है. वहीं, कर्मियों की संख्या 20 होनी चाहिए जबकि सिर्फ 2 कर्मी से काम चल रहा है. सबसे बड़ी बात जिस दवा की आवश्यकता है वह दवा भी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में यह अस्पताल अपने नाम और क्षमता के अनुरूप नहीं चल पा रहा है.

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क्या कहते हैं पशुपालक
यहां आने वाले पशुपालक काफी उम्मीद से अपने मवेशियों के इलाज के लिए आते हैं, लेकिन जब उन्हें उचित इलाज और दवा नहीं मिलती है तो काफी निराशा होती है. पशुपालक कृष्ण कुमार साह अपने गोल्डन रिट्रीवर नस्ल के कुत्ते का इलाज कराने अस्पताल पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि उनके कुत्ते को जौंडिस है, लेकिन यहां सही से इलाज नहीं हो पा रहा और न ही दवा सही मिल पा रही है. सरकार को इस अव्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत है.

Intro:दुमका -
पूरे झारखंड में मवेशियों का एकमात्र रेफरल अस्पताल दुमका में है । जिलास्तरीय अस्पताल में जिन मवेशियों का ईलाज नहीं हो पाता उन्हें यहाँ रेफर किया जाता है । यहाँ दुमका ही नहीं अगल-बगल के जिलों से भी लोग अपने मवेशियों को लेकर पहुंचते हैं । इसकी वजह है यहां पशुओं का एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, कई तरह के ब्लड टेस्ट सहित कई तरह के जांच उपलब्ध है । लेकिन इस अस्पताल में पशु चिकित्सकों और कर्मियों की काफी कमी है । इस वजह से मवेशियों का समुचित इलाज नहीं हो पाता ।


Body:क्या कहते हैं पशु चिकित्सक ।
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इस अस्पताल में मौजूद पशु चिकित्सा डॉ रमन कुमार ठाकुर कहते हैं कि इस अस्पताल का निर्माण लगभग 7 वर्ष पहले हुआ है लेकिन सरकार ने आज तक इसका पद सृजन नहीं किया है । रेफरल अस्पताल के स्ट्रेंन्थ के हिसाब से यहां सर्जन , गायनेकोलॉजिस्ट , एमडी मेडिसिन जैसे विशेषज्ञ के पद होने चाहिए । कम से कम 8 ( आठ) डॉक्टर की पोस्टिंग होनी चाहिए । उसके एवज में सिर्फ एक डॉक्टर की पोस्टिंग है । वही कर्मियों की संख्या 20 होनी चाहिए जबकि सिर्फ दो कर्मी से काम चल रहा है । टेक्नीशियन ही नहीं है । सबसे बड़ी बात जिस दवा की आवश्यकता है वह दवा भी उपलब्ध नहीं है । ऐसे में यह अस्पताल अपनी नाम और क्षमता के अनुरूप नहीं चल पा रहा है ।
बाईंट - डॉ रमन कुमार ठाकुर , पशु चिकित्सक


Conclusion:क्या कहते हैं पशुपालक ।
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यहां आने वाले पशुपालक काफी उम्मीद से अपने मवेशियों के इलाज के लिए आते हैं लेकिन जब उन्हें उचित इलाज और दवा नहीं मिलती है तो काफी निराशा होती है । ऐसे ही एक पशुपालक कृष्ण कुमार साहा से हमारी मुलाकात हुई जो अपने गोल्डन रिट्रीवर नस्ल के डॉग को लेकर इलाज के लिए आए थे । इस डॉग को जौंडिस हो गया था लेकिन यहां सही इलाज हो पा रहा है ना ही सभी दवा मिल रही है । वे कहते हैं सरकार पुरी व्यवस्था करे ताकि हम अपने pet का ईलाज करा सके ।

बाईंट - कृष्ण कुमार साह , पशुपालक

फाईनल वीओ -
लोगों के लिए उसका पशुधन आजीविका का साधन होता है । पशुपालक अपने पालतू पशुओं से अपार स्नेह रखते हैं ऐसे में जरूरी है कि सरकार इस रेफरल अस्पताल को उसकी क्षमता के अनुरूप विकसित करें आधारभूत संरचनाओं में वृद्धि करें ताकि पशुपालकों को बेहतर सुविधा मिल सके ।
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