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सरकारी योजना से जुड़ने का नहीं मिल रहा ग्रामीण महिलाओं को लाभ, आजीविका में हो रही परेशानी - दुमका में ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास

झारखंड सरकार ने सदर प्रखंड के हरिपुर गांव में ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक योजना की शुरूआत की थी, जिसमें महिलाओं को सरकारी स्कूलों के बच्चों का यूनिफॉर्म बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. सरकार ने महिलाओं को उपकरण के साथ-साथ पूंजी भी दिया, लेकिन यूनिफॉर्म का रेट कम होने के कारण ये महिलाएं काफी परेशान हैं.

Rural women not get benefit of joining government scheme in dumka
सरकारी योजना का नहीं मिल रहा लाभ
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Published : Jan 24, 2020, 10:55 PM IST

दुमका: सरकार जनकल्याणकारी योजनाएं तो बनाती है, लेकिन जरूरतमंदों को इसका सही लाभ मिल रहा है. इसका सटीक उदाहरण दुमका में देखा जा सकता है. झारखंड सरकार ने सदर प्रखंड के हरिपुर गांव में ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक योजना की शुरूआत की थी, जिसमें महिलाओं को सरकारी स्कूलों के बच्चों का यूनिफॉर्म बनाने का प्रशिक्षण दिया गया.

देखें पूरी खबर

महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए उपकरण उपलब्ध कराए गए. इतना ही नहीं पूंजी की व्यवस्था कर उन्हें यूनिफॉर्म का ऑर्डर भी दिया गया, लेकिन सरकार ने इन महिलाओं की मजदूरी प्रति यूनिफॉर्म का रेट 150 रुपये ही रखा, जिसके कारण इससे जुड़ी महिलाएं काफी परेशान हैं.

इसे भी पढ़ें:- सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने घंटों बैठी रही गर्भवती महिलाएं, अध्यक्ष ने लगाई कर्मियों को फटकार

क्या कहती हैं ग्रामीण महिलाएं
सदर प्रखंड के हरिपुर गांव में स्कूली बच्चों का यूनिफॉर्म सिल रही महिलाएं काफी परेशान नजर आती हैं. उनका कहना है कि हमें एक सेट यूनिफॉर्म का 150 रुपया ही दिया जाता है. एक दिन में एक महिला एक सेट कपड़ा ही तैयार कर पाती हैं. कपड़ा और सिलाई मेटेरियल में एक सौ रुपये खर्च हो जाता है. केवल 50 रुपये का ही फायदा हो पाता है. महिलाओं का मानना है कि इतनी कम आमदनी में हमारी आजीविका कैसे चलेगी. वो बताती हैं कि यहां पहले 30 महिलाएं जुड़ी थी, लेकिन रेट कम रहने की वजह से कई महिलाओं ने काम पर आना छोड़ दिया है. सिलाई का काम करने वाली महिलाओं ने सरकार से रेट में बढ़ोतरी की मांग की है.

क्या कहना है दुमका के उपायुक्त का
इस संबंध में जब ईटीवी भारत के संवाददाता उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास इन महिलाओं को और बेहतर प्रशिक्षण देना है, ताकि इनके काम की गति बढ़े. उन्होंने कहा कि ये महिलाएं अभी जितना कपड़ा सिल रही हैं अगर यह ज्यादा ट्रेंड रहेंगी तो यह ज्यादा कपड़ा तैयार करेंगी और इन्हें इससे आमदनी भी बढ़ेगा. उन्होंने बताया कि सिलाई का काम करनेवाली महिलाओं के आमदनी को कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए विचार विमर्श किया जाएगा.

दुमका: सरकार जनकल्याणकारी योजनाएं तो बनाती है, लेकिन जरूरतमंदों को इसका सही लाभ मिल रहा है. इसका सटीक उदाहरण दुमका में देखा जा सकता है. झारखंड सरकार ने सदर प्रखंड के हरिपुर गांव में ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक योजना की शुरूआत की थी, जिसमें महिलाओं को सरकारी स्कूलों के बच्चों का यूनिफॉर्म बनाने का प्रशिक्षण दिया गया.

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महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए उपकरण उपलब्ध कराए गए. इतना ही नहीं पूंजी की व्यवस्था कर उन्हें यूनिफॉर्म का ऑर्डर भी दिया गया, लेकिन सरकार ने इन महिलाओं की मजदूरी प्रति यूनिफॉर्म का रेट 150 रुपये ही रखा, जिसके कारण इससे जुड़ी महिलाएं काफी परेशान हैं.

इसे भी पढ़ें:- सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने घंटों बैठी रही गर्भवती महिलाएं, अध्यक्ष ने लगाई कर्मियों को फटकार

क्या कहती हैं ग्रामीण महिलाएं
सदर प्रखंड के हरिपुर गांव में स्कूली बच्चों का यूनिफॉर्म सिल रही महिलाएं काफी परेशान नजर आती हैं. उनका कहना है कि हमें एक सेट यूनिफॉर्म का 150 रुपया ही दिया जाता है. एक दिन में एक महिला एक सेट कपड़ा ही तैयार कर पाती हैं. कपड़ा और सिलाई मेटेरियल में एक सौ रुपये खर्च हो जाता है. केवल 50 रुपये का ही फायदा हो पाता है. महिलाओं का मानना है कि इतनी कम आमदनी में हमारी आजीविका कैसे चलेगी. वो बताती हैं कि यहां पहले 30 महिलाएं जुड़ी थी, लेकिन रेट कम रहने की वजह से कई महिलाओं ने काम पर आना छोड़ दिया है. सिलाई का काम करने वाली महिलाओं ने सरकार से रेट में बढ़ोतरी की मांग की है.

क्या कहना है दुमका के उपायुक्त का
इस संबंध में जब ईटीवी भारत के संवाददाता उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास इन महिलाओं को और बेहतर प्रशिक्षण देना है, ताकि इनके काम की गति बढ़े. उन्होंने कहा कि ये महिलाएं अभी जितना कपड़ा सिल रही हैं अगर यह ज्यादा ट्रेंड रहेंगी तो यह ज्यादा कपड़ा तैयार करेंगी और इन्हें इससे आमदनी भी बढ़ेगा. उन्होंने बताया कि सिलाई का काम करनेवाली महिलाओं के आमदनी को कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए विचार विमर्श किया जाएगा.

Intro:दुमका -
सरकार जनकल्याणकारी योजनाएं तो बनाती है पर जरूरतमंदों को इसका सही लाभ मिल रहा है कि नहीं इसकी मॉनिटरिंग नहीं करती । इसका सटीक उदाहरण दुमका में देखा जा सकता है । झारखंड सरकार द्वारा सदर प्रखंड के हरिपुर गांव में ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक योजना शुरू की गई । इन्हें सरकारी स्कूलों के बच्चों का यूनिफॉर्म बनाने का प्रशिक्षण दिया गया । महिलाओं को इसके उपकरण उपलब्ध कराए गए । इतना ही नहीं पूंजी की व्यवस्था कर उन्हें यूनिफॉर्म का ऑर्डर दिया गया । यहां कमी यह रह गई कि सरकार ने प्रति यूनिफार्म का रेट 150 रुपये रखा है । इससे जुड़ी महिलाएं इस दर को लेकर काफी परेशान हैं ।

क्या कहती हैं ग्रामीण महिलाएं ।
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सदर प्रखंड के हरिपुर गांव में स्कूली बच्चों का यूनिफार्म सिल रही महिलाएं काफी परेशान नजर आती हैं । उनका कहना है कि हमें एक सेट यूनिफार्म का 150 रुपया मिलता है । एक दिन में एक महिला एक सेट कपड़ा ही तैयार कर पाती है । कपड़ा और सिलाई मेटेरियल में एक सौ रुपये खर्च हो जाता है । मतलब हमें एक दिन में 50 रुपये ही बचते हैं । इस 50 रुपये में हमारी आजीविका कैसे चलेगी । वे बताती हैं यहां पहले 30 महिलाएं जुड़ी थी पर कम दर की वजह से कई महिलाओं ने काम पर आना छोड़ दिया है । वे सरकार से मांग कर रही हैं कि इस दर में बढ़ोतरी की जाए ।

बाईट - रूबी सोरेन , ग्रामीण
बाईट - मंजू किस्कू , ग्रामीण


Body:क्या कहना है दुमका के उपायुक्त राजेश्वरी बी का ।
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ग्रामीण महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की सरकार की यह योजना काफी अच्छी है लेकिन कम रेट मिलने से यह परेशान है । इस संबंध में जब हमने दुमका के उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास इन महिलाओं को और बेहतर प्रशिक्षण देना है ताकि इनके काम की गति बढ़े । उनका कहना है कि यह महिलाएं अभी जितना कपड़ा सिल रही है अगर यह ज्यादा ट्रेंड रहेंगी तो यह ज्यादा कपड़ा तैयार करेंगी और इन्हें इससे आमदनी भी बढ़ेगा । उन्होंने कहा कि इनका आमदनी कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए हम इस सेक्टर से जुड़े अधिकारियों से भी विचार विमर्श कर रहे हैं ।

बाईंट - राजेश्वरी बी , उपायुक्त ,दुमका


Conclusion:फाइनल वीओ -
सरकार की यह योजना अच्छी तो है लेकिन अगर गांव की इन महिलाओं को उचित पारिश्रमिक नहीं मिलेगा तो इनका जीवन कैसे चलेगा । सरकार को चाहिए कि इस विषय पर गंभीरता से विचार करें ताकि इनके परिवार में भी खुशियां आएं ।

मनोज केशरी
ईटीवी भारत
दुमका
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