दुमका: सरकार जनकल्याणकारी योजनाएं तो बनाती है, लेकिन जरूरतमंदों को इसका सही लाभ मिल रहा है. इसका सटीक उदाहरण दुमका में देखा जा सकता है. झारखंड सरकार ने सदर प्रखंड के हरिपुर गांव में ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक योजना की शुरूआत की थी, जिसमें महिलाओं को सरकारी स्कूलों के बच्चों का यूनिफॉर्म बनाने का प्रशिक्षण दिया गया.
महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए उपकरण उपलब्ध कराए गए. इतना ही नहीं पूंजी की व्यवस्था कर उन्हें यूनिफॉर्म का ऑर्डर भी दिया गया, लेकिन सरकार ने इन महिलाओं की मजदूरी प्रति यूनिफॉर्म का रेट 150 रुपये ही रखा, जिसके कारण इससे जुड़ी महिलाएं काफी परेशान हैं.
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क्या कहती हैं ग्रामीण महिलाएं
सदर प्रखंड के हरिपुर गांव में स्कूली बच्चों का यूनिफॉर्म सिल रही महिलाएं काफी परेशान नजर आती हैं. उनका कहना है कि हमें एक सेट यूनिफॉर्म का 150 रुपया ही दिया जाता है. एक दिन में एक महिला एक सेट कपड़ा ही तैयार कर पाती हैं. कपड़ा और सिलाई मेटेरियल में एक सौ रुपये खर्च हो जाता है. केवल 50 रुपये का ही फायदा हो पाता है. महिलाओं का मानना है कि इतनी कम आमदनी में हमारी आजीविका कैसे चलेगी. वो बताती हैं कि यहां पहले 30 महिलाएं जुड़ी थी, लेकिन रेट कम रहने की वजह से कई महिलाओं ने काम पर आना छोड़ दिया है. सिलाई का काम करने वाली महिलाओं ने सरकार से रेट में बढ़ोतरी की मांग की है.
क्या कहना है दुमका के उपायुक्त का
इस संबंध में जब ईटीवी भारत के संवाददाता उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास इन महिलाओं को और बेहतर प्रशिक्षण देना है, ताकि इनके काम की गति बढ़े. उन्होंने कहा कि ये महिलाएं अभी जितना कपड़ा सिल रही हैं अगर यह ज्यादा ट्रेंड रहेंगी तो यह ज्यादा कपड़ा तैयार करेंगी और इन्हें इससे आमदनी भी बढ़ेगा. उन्होंने बताया कि सिलाई का काम करनेवाली महिलाओं के आमदनी को कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए विचार विमर्श किया जाएगा.