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दुमका में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति वितरण में घोटाले की थी तैयारी, जांच में हुआ खुलासा - छात्रवृत्ति का वितरण करने की तैयारी

दुमका में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में बड़े पैमाने पर घोटाला होने वाला था, जिसकी भनक अधिकारियों को लग गई. भनक लगते ही अधिकारियों ने जांच शुरू करवाई. जांच में पता चला कि फेक छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति का वितरण करने की तैयारी थी.

Preparation for scam in minority scholarship distribution revealed in Dumka
समाहरणालय
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Published : Feb 19, 2021, 9:25 PM IST

दुमका: जिले में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में बड़े पैमाने पर घोटाले की तैयारी थी, लेकिन विभागीय अधिकारियों को इसकी भनक मिल गई, जिसके बाद जांच हुई तो पाया गया कि जिन छात्रों का नाम छात्रवृत्ति के लिए अनुशंसित था, वह उस संस्थान के छात्र ही नहीं थे. फेक छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति का वितरण करने का फाइल आगे बढ़ चुका था. यह मामला 2020- 21 के छात्रवृत्ति से संबंधित है.

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क्या है पूरा मामला
अल्पसंख्यक छात्रों को तीन तरह के स्कॉलरशिप प्रदान किये जाते हैं. ये हैं प्री मैट्रिक स्टूडेंट्स, पोस्ट मैट्रिक स्टूडेंट्स और राज्य से बाहर पढ़ रहे संस्थानों के स्टूडेंट्स को मिलने वाली छात्रवृत्ति. छात्रवृत्ति जिनको दी जानी है उन स्टूडेंट्स की सूची अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के इंस्टीट्यूट नोडल ऑफिसर (INO) के माध्यम से जिला कल्याण विभाग को आता है और वहां से भारत सरकार के कल्याण मंत्रालय को भेजा जाता है. वहां से छात्रों के सीधे बैंक के अकाउंट में रुपए आते हैं. कुछ दिन पहले यह मामला सामने आया था, कि छात्रवृत्ति में गड़बड़ी हुई है. इसी के मद्देनजर 2020 - 21 में जिन छात्रों का नाम छात्रवृत्ति के लिए अनुशंसा की गई थी, उसकी विभागीय जांच कराई गई. जांच में पाया गया कि 71 संस्थानों में अध्ययनरत 5650 अल्पसंख्यक छात्रों का आवेदन पत्र भेजा गया था, जिसमें लगभग 90 % फर्जी आवेदन निकले.



5650 आवेदन में सिर्फ 765 आवेदन पाए गए सही
71 संस्थानों के द्वारा 5650 आवेदन अल्पसंख्यक छात्रों के छात्रवृत्ति के लिए इंस्टीट्यूट नोडल ऑफिसर में अनुशंसा कर कल्याण विभाग को भेजा. कल्याण विभाग द्वारा इसकी जांच कराई गई तो 5650 आवेदन में सिर्फ 765 ही सही पाए गए. बाकी आवेदन पत्र फर्जी निकले. जिस संस्थान में संबंधित छात्र का अध्ययनरत दिखाया गया, उस नाम का छात्र था ही नहीं. प्री मैट्रिक में तो 4628 आवेदन पत्र आए थे, जिसमें सिर्फ 47 छात्रों का आवेदन पत्र सही निकला. वहीं पोस्ट मैट्रिक में 1121 में 718 सही थे, जबकि राज्य से बाहर पढ़ने वाले छात्रों के 8 आवेदन पत्र में 8 फर्जी निकले.

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बड़े पैमाने पर घोटाले की थी साजिश
आंकड़ों से स्पष्ट है कि अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में बड़े पैमाने पर घोटाले की साजिश थी, लेकिन इसके पहले के वर्षों के छात्रवृत्ति में घोटाला उजागर होने के बाद इस वर्ष के छात्रवृत्ति कि आवंटन के पहले विभाग ने जांच कराई और इस मामले का पर्दाफाश हो गया. दुमका समाहरणालय के अधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है, अब आगे की कार्रवाई सरकार के स्तर पर होगी.

दुमका: जिले में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में बड़े पैमाने पर घोटाले की तैयारी थी, लेकिन विभागीय अधिकारियों को इसकी भनक मिल गई, जिसके बाद जांच हुई तो पाया गया कि जिन छात्रों का नाम छात्रवृत्ति के लिए अनुशंसित था, वह उस संस्थान के छात्र ही नहीं थे. फेक छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति का वितरण करने का फाइल आगे बढ़ चुका था. यह मामला 2020- 21 के छात्रवृत्ति से संबंधित है.

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क्या है पूरा मामला
अल्पसंख्यक छात्रों को तीन तरह के स्कॉलरशिप प्रदान किये जाते हैं. ये हैं प्री मैट्रिक स्टूडेंट्स, पोस्ट मैट्रिक स्टूडेंट्स और राज्य से बाहर पढ़ रहे संस्थानों के स्टूडेंट्स को मिलने वाली छात्रवृत्ति. छात्रवृत्ति जिनको दी जानी है उन स्टूडेंट्स की सूची अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के इंस्टीट्यूट नोडल ऑफिसर (INO) के माध्यम से जिला कल्याण विभाग को आता है और वहां से भारत सरकार के कल्याण मंत्रालय को भेजा जाता है. वहां से छात्रों के सीधे बैंक के अकाउंट में रुपए आते हैं. कुछ दिन पहले यह मामला सामने आया था, कि छात्रवृत्ति में गड़बड़ी हुई है. इसी के मद्देनजर 2020 - 21 में जिन छात्रों का नाम छात्रवृत्ति के लिए अनुशंसा की गई थी, उसकी विभागीय जांच कराई गई. जांच में पाया गया कि 71 संस्थानों में अध्ययनरत 5650 अल्पसंख्यक छात्रों का आवेदन पत्र भेजा गया था, जिसमें लगभग 90 % फर्जी आवेदन निकले.



5650 आवेदन में सिर्फ 765 आवेदन पाए गए सही
71 संस्थानों के द्वारा 5650 आवेदन अल्पसंख्यक छात्रों के छात्रवृत्ति के लिए इंस्टीट्यूट नोडल ऑफिसर में अनुशंसा कर कल्याण विभाग को भेजा. कल्याण विभाग द्वारा इसकी जांच कराई गई तो 5650 आवेदन में सिर्फ 765 ही सही पाए गए. बाकी आवेदन पत्र फर्जी निकले. जिस संस्थान में संबंधित छात्र का अध्ययनरत दिखाया गया, उस नाम का छात्र था ही नहीं. प्री मैट्रिक में तो 4628 आवेदन पत्र आए थे, जिसमें सिर्फ 47 छात्रों का आवेदन पत्र सही निकला. वहीं पोस्ट मैट्रिक में 1121 में 718 सही थे, जबकि राज्य से बाहर पढ़ने वाले छात्रों के 8 आवेदन पत्र में 8 फर्जी निकले.

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बड़े पैमाने पर घोटाले की थी साजिश
आंकड़ों से स्पष्ट है कि अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में बड़े पैमाने पर घोटाले की साजिश थी, लेकिन इसके पहले के वर्षों के छात्रवृत्ति में घोटाला उजागर होने के बाद इस वर्ष के छात्रवृत्ति कि आवंटन के पहले विभाग ने जांच कराई और इस मामले का पर्दाफाश हो गया. दुमका समाहरणालय के अधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है, अब आगे की कार्रवाई सरकार के स्तर पर होगी.

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