दुमका: एमपी-एमएलए की विशेष अदालत प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी ऋत्विका सिंह की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में नाजायज मजमा बना कर आदर्श आचार संहिता उलंघन करने से संबंधित 13 साल पुराने मामले में प्रदीप यादव को बरी करने का फैसला सुनाया. इस मामले में सरकार की ओर से सहायक लोक अभियोजक रामकिंकर पांडेय और मो खुशबुद्धीन अली और बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता पारस कुमार सिन्हा, शिव सेन मरांडी,विजय मरांडी और राजकुमार गुप्ता ने पैरवी की.
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सहायक लोक अभियोजक मो खुशवुद्धीन ने बताया कि गोड्डा के प्रखंड विकास पदाधिकारी मो अनवर हुसैन के लिखित आवेदन पर गोड्डा नगर थाना में भादवि की धारा 144,188,506और 171(पी) के तहत 23 अप्रैल 2009 को कांड संख्या 125/2009 दर्ज किया गया था. इस मामले में 2009 में गोड्डा से झारखंड विकास मोर्चा के प्रत्याशी प्रदीप यादव समेत 50-60 सक्रिय कार्यकर्ताओं पर ईसीआई द्वारा आदर्श आचार लागू किये जाने के बावजूद विरोधियों को डराने-धमकाने तथा वर्चस्व स्थापित करने के लिए 22 अप्रैल 2009 को झाविमो का झंडा बैनर बांध कर गोड्डा जिले के सरौनी से पंचमढ़ी तक रोड शो कर आदर्श आचार संहिता का उलंघन किये जाने का आरोप लगाया गया था.
इस मामले में सरकार की ओर से दो गवाह पेश किये गये. बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि दोनों पक्षों की ओर से बहस सुनने के बाद अदालत ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में गोड्डा से झाविमो के पूर्व प्रत्याशी प्रदीप यादव को बरी करने का फैसला सुनाया.