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दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में चिकित्सीय सुविधा बढ़ने से बढ़ी मरीजों की संख्या, डॉक्टरों की कमी से नहीं हो रहा समुचित इलाज

डॉक्टरों की कमी से फूलो झानो मेडिकल कॉलेज जूझ रहा है. हालांकि, मेडिकल कॉलेज में हाल के वर्षों में चिकित्सीय सुविधा बढ़ाई गई है. इससे साल दर साल मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. लेकिन, सभी बीमारियों के इलाज में परेशानी हो रही है.

Phulo Jhano Medical College
दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में चिकित्सीय सुविधा बढ़ने से बढ़ी मरीजों की संख्या
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Published : Mar 17, 2022, 5:28 PM IST

दुमकाः जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था एकीकृत बिहार के समय से ही लचर है. झारखंड गठन के बाद भी स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर नहीं की गई, जिससे जिले के लोगों को बेहतर इलाज के लिए पश्चिम बंगाल, दिल्ली, मुंबई और अन्य जगह जाना पड़ता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार किया गया है. यही वजह है कि फूलो झानो मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में चिकित्सीय सुविधा बढ़ी है तो दिन प्रतिदिन मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. हालांकि, विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने से इन मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है.

यह भी पढ़ेंःफूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में फैक्लटी, उपकरण और लेब्रोटरी की है कमी, छात्रों को भविष्य की चिंता

फूलो झानो मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं में बढ़ोतरी की गई है. इसमें सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, डिजिटल एक्सरे, ईसीजी, डायलिसिस आदि जांच सुविधाएं बढ़ाई गई हैं. यह सुविधाएं पिछले दो सालों में बढ़ाई गई है. दो साल पहले तक सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए देवघर और अन्य आसपास के जिलों में जाना पड़ता था. इससे मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती थी. अब मेडिकल कॉलेज में कुछ माह पहले तीन ऑक्सीजन प्लांट भी लगाए गए हैं, जिससे 350 बेड ऑक्सीजन सुविधा युक्त हो गए हैं. अस्पताल प्रशासन के अनुसार पहले एक साल में 50 से 60 हजार मरीजों का इलाज किया जा रहा था. यह संख्या बढ़कर साल 2020 में 90 हजार और साल 2021 में 97 हजार हो गई है.

देखें स्पेशल स्टोरी

मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अधीक्षक डॉ रविंद्र कुमार कहते हैं कि हाल के वर्षों में कई चिकित्सीय सुविधाएं बढ़ाई गई है. लेकिन अब भी डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की संख्या जरूरत से काफी कम है. उन्होंनें कहा कि मेडिसिन विभाग में 11 डॉक्टर होनी चाहिए, जिसमें सिर्फ 3 डॉक्टर कार्यरत हैं. उन्होंने कहा कि चर्म रोग के एक भी डॉक्टर नहीं हैं. इतना ही नहीं, रेडियोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिक और टीबी रोग के एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं. इसके साथ ही मेडिकल कर्मी, ऑफिस स्टाफ और फोर्थ ग्रेड स्टाफ की संख्या काफी कम है. इससे बेहतर चिकित्सीय सुविधा होने के बावजूद समुचित इलाज में थोड़ी परेशानी होती है.

यह भी पढ़ेंः दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल का डायलिसिस सेंटर हुआ देवघर शिफ्ट, बढ़ी आम मरीजों की परेशानी

अस्पताल की सुविधा बढ़ने से लोग खुश हैं और बड़ी संख्या में इलाज के लिए पहुंच भी रहे हैं. स्थानीय उज्ज्वल कहते हैं कि मेडिकल कॉलेज में लगभग सभी बीमारियों के इजाल की सुविधा हैं. हालांकि, कुछ डॉक्टर की कमी है, जिससे टीबी और अन्य असाध्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को सीधे रेफर कर दिया जाता है.


दुमका में निजी नर्सिंग होम इक्के दुक्के हैं. ये निजी अस्पताल भी छोटे स्तर के हैं. इस स्थिति में अमीर और गरीब मरीजों के इलाज के लिए एक मात्र फूलो झानो मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल ही सहारा है. खासकर, गरीब मरीज तो इसी मेडिकल कॉलेज पर निर्भर हैं. इस स्थिति में सरकार को शीघ्र डॉक्टरों की कमी को दूर करने के साथ साथ आधारभूत संरचना विकसित करने की जरूरत है.

दुमकाः जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था एकीकृत बिहार के समय से ही लचर है. झारखंड गठन के बाद भी स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर नहीं की गई, जिससे जिले के लोगों को बेहतर इलाज के लिए पश्चिम बंगाल, दिल्ली, मुंबई और अन्य जगह जाना पड़ता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार किया गया है. यही वजह है कि फूलो झानो मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में चिकित्सीय सुविधा बढ़ी है तो दिन प्रतिदिन मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. हालांकि, विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने से इन मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है.

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फूलो झानो मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं में बढ़ोतरी की गई है. इसमें सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, डिजिटल एक्सरे, ईसीजी, डायलिसिस आदि जांच सुविधाएं बढ़ाई गई हैं. यह सुविधाएं पिछले दो सालों में बढ़ाई गई है. दो साल पहले तक सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए देवघर और अन्य आसपास के जिलों में जाना पड़ता था. इससे मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती थी. अब मेडिकल कॉलेज में कुछ माह पहले तीन ऑक्सीजन प्लांट भी लगाए गए हैं, जिससे 350 बेड ऑक्सीजन सुविधा युक्त हो गए हैं. अस्पताल प्रशासन के अनुसार पहले एक साल में 50 से 60 हजार मरीजों का इलाज किया जा रहा था. यह संख्या बढ़कर साल 2020 में 90 हजार और साल 2021 में 97 हजार हो गई है.

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मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अधीक्षक डॉ रविंद्र कुमार कहते हैं कि हाल के वर्षों में कई चिकित्सीय सुविधाएं बढ़ाई गई है. लेकिन अब भी डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की संख्या जरूरत से काफी कम है. उन्होंनें कहा कि मेडिसिन विभाग में 11 डॉक्टर होनी चाहिए, जिसमें सिर्फ 3 डॉक्टर कार्यरत हैं. उन्होंने कहा कि चर्म रोग के एक भी डॉक्टर नहीं हैं. इतना ही नहीं, रेडियोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिक और टीबी रोग के एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं. इसके साथ ही मेडिकल कर्मी, ऑफिस स्टाफ और फोर्थ ग्रेड स्टाफ की संख्या काफी कम है. इससे बेहतर चिकित्सीय सुविधा होने के बावजूद समुचित इलाज में थोड़ी परेशानी होती है.

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अस्पताल की सुविधा बढ़ने से लोग खुश हैं और बड़ी संख्या में इलाज के लिए पहुंच भी रहे हैं. स्थानीय उज्ज्वल कहते हैं कि मेडिकल कॉलेज में लगभग सभी बीमारियों के इजाल की सुविधा हैं. हालांकि, कुछ डॉक्टर की कमी है, जिससे टीबी और अन्य असाध्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को सीधे रेफर कर दिया जाता है.


दुमका में निजी नर्सिंग होम इक्के दुक्के हैं. ये निजी अस्पताल भी छोटे स्तर के हैं. इस स्थिति में अमीर और गरीब मरीजों के इलाज के लिए एक मात्र फूलो झानो मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल ही सहारा है. खासकर, गरीब मरीज तो इसी मेडिकल कॉलेज पर निर्भर हैं. इस स्थिति में सरकार को शीघ्र डॉक्टरों की कमी को दूर करने के साथ साथ आधारभूत संरचना विकसित करने की जरूरत है.

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