दुमका: जिले में सरकारी राशि का जमकर दुरुपयोग देखा जा सकता है. यहां कई ऐसे सरकारी भवन हैं, जो बड़ी राशि से बनकर तैयार तो हुए हैं, लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी उसका कोई इस्तेमाल नहीं हुआ है, जिससे वह धीरे-धीरे जर्जर हो रहे हैं. यही नहीं, दुमका में कई ऐसे भी भवन हैं, जिसका निर्माण जरूरी था. काम शुरू भी हुआ, लेकिन काम पूरा होने के पहले अधर में लटक गया. दोनों स्थिति में सरकारी राशि की बर्बादी हुई है.
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सीड प्रोसेसिंग प्लांट नहीं हुआ चालू
दुमका में 5 वर्ष पहले झारखंड सरकार की ओर से सीड प्रोसेसिंग सेंटर बनाया गया था, जिसका उद्देश्य किसानों को बेहतर बीज उपलब्ध कराना था. इसका निर्माण तो हुआ, लेकिन काम चालू ही नहीं हुआ. अब सेंटर धीरे-धीरे जर्जर हो रहा है. तीन वर्ष पहले दुमका के कल्याण विभाग में छात्राओं के लिए एक हॉस्टल का निर्माण करवाया गया था. इसमें वैसी छात्राओं को रहने की व्यवस्था करनी थी, जो दूरदराज के क्षेत्र से आकर दुमका में पढ़ाई करती हैं, लेकिन आज तक इसमें छात्राओं के रहने की व्यवस्था ही नहीं की गई. नतीजा यह हुआ कि छात्राएं इसमें नहीं रहती है और यह भवन बेकार पड़ा हुआ है.
कई भवन का निर्माण कार्य है अधूरा
दुमका में कई ऐसे भी भवन हैं, जिसका निर्माण कार्य आवश्यक था, लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी यह आधा अधूरा ही है. संथाल परगना महाविद्यालय का मल्टीपर्पस बिल्डिंग का निर्माण सोनवाडंगाल इलाके में शुरू हुआ था. इसमें परीक्षाओं का आयोजन होना था. निर्माण कार्य 10 वर्ष पहले शुरू हुआ, जो आज तक पूरा नहीं हुआ है. इधर, संथाल परगना महाविद्यालय परिसर में एक पुस्तकालय का निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन आठ वर्ष में भी यह बनकर तैयार नहीं हुआ है. इसकी वजह सही समय पर फंड नहीं आना बताया जाता है.
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सरकार की उचित मॉनिटरिंग की जरूरत
अंत में यही कहा जा सकता है कि विकास योजनाओं में सरकार की मॉनिटरिंग सही ढंग से नहीं हुई. नतीजा यह हुआ कि जनता को जो लाभ मिलना था, वह नहीं मिल पाया. अब झारखंड सरकार और प्रशासन को चाहिए कि इस पर आवश्यक पहल करें, ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके और गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई की जा सके.