दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका में बुधवार 12 अप्रैल से मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान शुरू हो गया. इसकी शुरुआत उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने शहर के रामकृष्ण मध्य विद्यालय से की. इस मौके पर दुमका के सिविल सर्जन डॉ बच्चा प्रसाद सिंह और स्वास्थ्य विभाग के कई अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.
पांच सप्ताह में 4.72 लाख बच्चों का होगा टीकाकरण: जानकारी के अनुसार मंगलवार से शुरू हुआ टीकाकरण अभियान पांच सप्ताह तक चलेगा. जिसमें पूरे जिले में चार लाख, 74 हजार, 118 बच्चों का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया है. बच्चों को टीका जिले के 2569 स्कूलों और 2007 अन्य केंद्रों में दिया जाएगा. यह विशेष टीकाकरण अभियान झारखंड के कुल नौ जिलों में चलाया जा रहा है.
दुमका में 2022 में मीजल्स-रूबेला के आये थे 23 केस: दुमका उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला ने बताया कि वर्ष 2022 में पूरे देश भर में मीजल्स-रूबेला के 280 केस सामने आये थे. इसमें 120 मामले झारखंड के थे. जिसमें मीजल्स-रूबेला के 23 केस दुमका के थे. इसी वजह से यह आवश्यक है कि दुमका में मीजल्स-रूबेला के उन्मूलन के लिए विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जाए. इसमें नौ माह से 15 साल के सभी बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा.
तीन चरणों में होगा टीकाकरणः जिले में टीकाकरण तीन चरणों में होगा. पहले दो सप्ताह में निजी और सरकारी विद्यालयों में, उसके बाद तीसरा और चौथा सप्ताह आंगनबाड़ी केंद्रों में चलाा जाएगाव वहीं अंतिम पांचवें हफ्ते में नौ माह से 15 वर्ष के जो बच्चे टीकाकरण अभियान में किसी वजह से छूट गए हैं उन्हें मीजल्स-रूबेला का टीका लगाया जाएगा. यह टीकाकरण जिले के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों, सभी आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ-साथ तमाम सीएचसी, पीएचसी और जिला अस्पताल में किया जाएगा. साथ ही एक चलंत टीकाकरण वाहन के माध्यम से भी बच्चों का वैक्सीनेशन किया जाएगा. जिसे मंगलवार को उपायुक्त ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
बिल्कुल सुरक्षित है यह वैक्सीन: इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि मीजल्स-रूबेला की वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. यह सुरक्षित वैक्सीन है और पिछले 40 वर्षों से भारत के साथ-साथ दुनिया के विभिन्न देशों में इस्तेमाल की जा रही है.
मीजल्स-रूबेला के संबंध में कुछ जानकारी: यह विषाणु जनित संक्रमण बीमारी है. इस बीमारी में बुखार के साथ शरीर में लाल-लाल चकत्त्ता निकलता है. साथ ही दस्त, निमोनिया और कुपोषण देखा जाता है.इस बीमारी से बच्चों की मृत्यु तक हो सकती है.