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इन कल्याणकारी योजनाओं से हजारों लड़कियों को हो रहा लाभ, महिला सशक्तिकरण को मिल रहा बल

महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन योजनाओं से हजारों बच्चियों को लाभ मिल रहा है, साथ ही महिला सशक्तिकरण को भी बल मिल रहा है. इसे लेकर लोगों का कहना है कि ये योजनाएं काफी लाभकारी हैं और बालिकाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है.

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Published : Dec 26, 2020, 7:52 AM IST

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इन योजनाओं से हजारों बच्चियों को मिल रहा लाभ

दुमका: देश के अलग-अलग राज्यों की तरह जिले में भी सरकार बालिकाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं, जिसमें सुकन्या योजना, मुफ्त आवासीय शिक्षा योजना और कन्यादान योजना शामिल हैं.

देखें स्पेशल खबर

बच्चियों को कक्षा एक से बारहवीं तक मुफ्त शिक्षा

दुमका के दसों प्रखंड में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय संचालित हैं. जिसमें लगभग 3 हजार 994 बच्चियों को मुफ्त शिक्षा दी जा रही है. वहीं दूसरी ओर कल्याण विभाग की ओर से बच्चियों के लिए पांच रेसिडेंशियल स्कूल बनाए गए हैं, जिसमें आदिम जनजाति समुदाय, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जाति की बच्चियों के लिए अलग-अलग आवासीय विद्यालय है. कल्याण विभाग के इन विद्यालयों में 1 हजार 102 बालिका अध्ययनरत हैं. लगभग सभी स्कूल प्लस टू स्तर के हो चुके हैं और इससे बच्चियों को कक्षा एक से बारहवीं तक की शिक्षा मुफ्त प्राप्त हो जाती है.

ये भी पढ़ें-माओवादियों का एक साल तक पीएलजीए वर्ष मनाने का ऐलान, अलर्ट पर झारखंड पुलिस

बालिकाओं के लिए लाभकारी साबित हो रही योजनाएं

इस संबंध में दुमका उपायुक्त राजेश्वरी बी ने बताया कि लगभग 5 हजार 96 बच्चियां दुमका के 10 कस्तूरबा विद्यालय और 5 कल्याण विभाग के विद्यालय में अध्ययनरत हैं. इन आवासीय विद्यालयों में गरीब घर के बच्चों की पढ़ाई अच्छे से चलाई जा रही है. आम तौर पर ग्रामीण क्षेत्र की गरीब बच्चियां ट्रैफिकिंग की शिकार होती थी, लेकिन अब उस पर भी रोक लगी है. अब माता-पिता अपनी बेटी को बोझ नहीं मान रहे हैं. समाज कल्याण विभाग की ओर से सुकन्या योजना और कन्यादान योजना बालिकाओं के लिए काफी लाभकारी साबित हुए हैं.

महिला सशक्तिकरण को मिल रहा बल

दुमका जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्वेता भारती ने बताया कि इन योजनाओं में हजारों बच्चियों को लाभ मिल रहा है. इससे महिला सशक्तिकरण को बल, बच्चियों की शिक्षा कंटीन्यू और बाल विवाह प्रथा पर रोक जैसे लाभ मिल रहे हैं. सुकन्या योजना में बच्चियों को जो लाभ मिलता है, वह इस प्रकार है. जन्म से दो वर्ष तक रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ पांच हजार रुपये, प्रथम कक्षा पास करने पर पांच हजार रुपये, पांचवीं के बाद पांच हजार रुपये, आठवीं के बाद पांच हजार, दसवीं के बाद पांच हजार, 12वीं के बाद पांच हजार और 18 साल के बाद मतदाता सूची में नाम चढ़ने के बाद पांच हजार रुपये दिए जाते हैं. कन्यादान योजना में तीस हजार रुपये दिए जाते हैं. ये सभी राशि ऑनलाइन खाते में भेजा जाता है.

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सुकन्या योजना की प्रगति के आंकड़े

सुकन्या योजना की प्रगति के आंकड़े निम्न प्रकार हैं. सुकन्या योजना साल 2018- 19 में 2 हजार 179 बच्चियां लाभान्वित हुई. साल 2019-20 में इसका आंकड़ा काफी बढ़ा और कुल 11 हजार 445 बच्चियों को इसका लाभ मिला, साल 2020-21 में 10 हजार 610 का लक्ष्य है, जिसमें 2 हजार 511 आवेदन स्वीकृत किये जा चुके हैं. कन्यादान योजना में इस साल लगभग पांच सौ आवेदन पाए गए हैं, लेकिन अभी तक सरकार से इसमें आवंटन प्राप्त नहीं हो पाया है.

बालिकाओं के विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान

लोगों का कहना है कि योजनाएं काफी लाभकारी हैं और बालिकाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं. उन्होंने कहा कि आज हमारी बेटियां लगातार आगे बढ़ रही है और देश के निर्माण में उनका अहम योगदान है. सरकार ने बालिकाओं के उत्थान और कल्याण के लिए कई योजनाएं चला रखी है. जरूरत है अधिक से अधिक बच्चियों को इसका लाभ मिले.

दुमका: देश के अलग-अलग राज्यों की तरह जिले में भी सरकार बालिकाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं, जिसमें सुकन्या योजना, मुफ्त आवासीय शिक्षा योजना और कन्यादान योजना शामिल हैं.

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बच्चियों को कक्षा एक से बारहवीं तक मुफ्त शिक्षा

दुमका के दसों प्रखंड में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय संचालित हैं. जिसमें लगभग 3 हजार 994 बच्चियों को मुफ्त शिक्षा दी जा रही है. वहीं दूसरी ओर कल्याण विभाग की ओर से बच्चियों के लिए पांच रेसिडेंशियल स्कूल बनाए गए हैं, जिसमें आदिम जनजाति समुदाय, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जाति की बच्चियों के लिए अलग-अलग आवासीय विद्यालय है. कल्याण विभाग के इन विद्यालयों में 1 हजार 102 बालिका अध्ययनरत हैं. लगभग सभी स्कूल प्लस टू स्तर के हो चुके हैं और इससे बच्चियों को कक्षा एक से बारहवीं तक की शिक्षा मुफ्त प्राप्त हो जाती है.

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बालिकाओं के लिए लाभकारी साबित हो रही योजनाएं

इस संबंध में दुमका उपायुक्त राजेश्वरी बी ने बताया कि लगभग 5 हजार 96 बच्चियां दुमका के 10 कस्तूरबा विद्यालय और 5 कल्याण विभाग के विद्यालय में अध्ययनरत हैं. इन आवासीय विद्यालयों में गरीब घर के बच्चों की पढ़ाई अच्छे से चलाई जा रही है. आम तौर पर ग्रामीण क्षेत्र की गरीब बच्चियां ट्रैफिकिंग की शिकार होती थी, लेकिन अब उस पर भी रोक लगी है. अब माता-पिता अपनी बेटी को बोझ नहीं मान रहे हैं. समाज कल्याण विभाग की ओर से सुकन्या योजना और कन्यादान योजना बालिकाओं के लिए काफी लाभकारी साबित हुए हैं.

महिला सशक्तिकरण को मिल रहा बल

दुमका जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्वेता भारती ने बताया कि इन योजनाओं में हजारों बच्चियों को लाभ मिल रहा है. इससे महिला सशक्तिकरण को बल, बच्चियों की शिक्षा कंटीन्यू और बाल विवाह प्रथा पर रोक जैसे लाभ मिल रहे हैं. सुकन्या योजना में बच्चियों को जो लाभ मिलता है, वह इस प्रकार है. जन्म से दो वर्ष तक रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ पांच हजार रुपये, प्रथम कक्षा पास करने पर पांच हजार रुपये, पांचवीं के बाद पांच हजार रुपये, आठवीं के बाद पांच हजार, दसवीं के बाद पांच हजार, 12वीं के बाद पांच हजार और 18 साल के बाद मतदाता सूची में नाम चढ़ने के बाद पांच हजार रुपये दिए जाते हैं. कन्यादान योजना में तीस हजार रुपये दिए जाते हैं. ये सभी राशि ऑनलाइन खाते में भेजा जाता है.

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सुकन्या योजना की प्रगति के आंकड़े

सुकन्या योजना की प्रगति के आंकड़े निम्न प्रकार हैं. सुकन्या योजना साल 2018- 19 में 2 हजार 179 बच्चियां लाभान्वित हुई. साल 2019-20 में इसका आंकड़ा काफी बढ़ा और कुल 11 हजार 445 बच्चियों को इसका लाभ मिला, साल 2020-21 में 10 हजार 610 का लक्ष्य है, जिसमें 2 हजार 511 आवेदन स्वीकृत किये जा चुके हैं. कन्यादान योजना में इस साल लगभग पांच सौ आवेदन पाए गए हैं, लेकिन अभी तक सरकार से इसमें आवंटन प्राप्त नहीं हो पाया है.

बालिकाओं के विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान

लोगों का कहना है कि योजनाएं काफी लाभकारी हैं और बालिकाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं. उन्होंने कहा कि आज हमारी बेटियां लगातार आगे बढ़ रही है और देश के निर्माण में उनका अहम योगदान है. सरकार ने बालिकाओं के उत्थान और कल्याण के लिए कई योजनाएं चला रखी है. जरूरत है अधिक से अधिक बच्चियों को इसका लाभ मिले.

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