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सरकार के निर्देश के बाद भी नहीं खुला पुस्तकालय, निराश लौटे छात्र

झारखंड सरकार के निर्देश पर सोमवार से सभी पुस्तकालय खुलने हैं. लेकिन, दुमका स्थित राजकीय पुस्तकालय में ताला लटका हुआ है. पढ़ाई की आस लिए दर्जनों छात्र पुस्तकालय पहुंचे, लेकिन पुस्तकालय के गेट पर ताला लटका देख निराश होकर उन्हें लौटना पड़ा.

दुमका स्थित राजकीय पुस्तकालय
निराश होकर लौटे छात्र
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Published : Mar 1, 2021, 4:54 PM IST

दुमकाः झारखंड सरकार के निर्देश पर सोमवार से सभी पुस्तकालय खुलने हैं. लेकिन, दुमका स्थित राजकीय पुस्तकालय में ताला लटका हुआ है. पढ़ाई की आस लिए दर्जनों छात्र पुस्तकालय पहुंचे, लेकिन पुस्तकालय के गेट पर ताला लटका देख उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा.

देखें पूरी खबर

यह भी पढ़ेंःसाहिबगंज में हर 15 दिन पर होगी गंगा में प्रदूषण की माप, लगाया गया सोलर यंत्र

कर्चारियों की है कमी

दरअसल, इस पुस्तकालय में एक चतुर्थवर्गीय कर्मी और एक नाइट गार्ड पदस्थापित हैं. इसमें चतुर्थवर्गीय कर्मी दो दिन पहले सेवानिवृत्त हो गए और अब नाइट गार्ड ही तैनात है, जो रात में आता है. इससे दिन में पुस्तकालय बंद ही रहता है. बताया जा रहा है कि एक लिपिक को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, जो जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में कार्यरत है. लेकिन लिपिक अपने मूल कार्य को ही प्राथमिकता देते हैं, जिससे छात्रों की समस्या बढ़ गई है.


क्या कहते हैं छात्र

छात्रों का कहना है कि लगभग एक साल बाद पुस्तकालय पहुंचे.हमें सूचना मिली कि एक मार्च से दुमका स्थिता राष्ट्रीय पुस्तकालय खुल जाएंगे. लेकिन यहां ताला लगा हुआ है. सरकार समय पर नौकरी नहीं दे रही है और दूसरी ओर हमें पढ़ाई से वंचित भी रख रही है.

दुमकाः झारखंड सरकार के निर्देश पर सोमवार से सभी पुस्तकालय खुलने हैं. लेकिन, दुमका स्थित राजकीय पुस्तकालय में ताला लटका हुआ है. पढ़ाई की आस लिए दर्जनों छात्र पुस्तकालय पहुंचे, लेकिन पुस्तकालय के गेट पर ताला लटका देख उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा.

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कर्चारियों की है कमी

दरअसल, इस पुस्तकालय में एक चतुर्थवर्गीय कर्मी और एक नाइट गार्ड पदस्थापित हैं. इसमें चतुर्थवर्गीय कर्मी दो दिन पहले सेवानिवृत्त हो गए और अब नाइट गार्ड ही तैनात है, जो रात में आता है. इससे दिन में पुस्तकालय बंद ही रहता है. बताया जा रहा है कि एक लिपिक को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, जो जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में कार्यरत है. लेकिन लिपिक अपने मूल कार्य को ही प्राथमिकता देते हैं, जिससे छात्रों की समस्या बढ़ गई है.


क्या कहते हैं छात्र

छात्रों का कहना है कि लगभग एक साल बाद पुस्तकालय पहुंचे.हमें सूचना मिली कि एक मार्च से दुमका स्थिता राष्ट्रीय पुस्तकालय खुल जाएंगे. लेकिन यहां ताला लगा हुआ है. सरकार समय पर नौकरी नहीं दे रही है और दूसरी ओर हमें पढ़ाई से वंचित भी रख रही है.

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