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जब से हेमंत की बनी सरकार, दुमका में नहीं मिली बच्चों को साइकिल, इस साल भी वही हाल! - बनकाठी विद्यालय दुमका

दुमका के छात्र-छात्राओं की बदकिस्मती ही है कि जब से हेमंत सोरेन की सरकार बनी है दुमका के बच्चों को साइकिल योजना से महरूम होना पड़ा है. कहने के लिए तो दुमका सीएम सिटी है लेकिन यहां 2020 से बच्चों को साइकिल नहीं मिली है. 2019-20 की योजना वाली साइकिल मिली, लेकिन हेमंत सरकार बनने के बाद से 2020-2021 और 2021-2022 और अब 2022-2023 की योजना की साइकिल अभी तक नहीं मिली.

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Published : Jan 20, 2023, 8:09 PM IST

दुमका: झारखंड में बेटियां साइकिल से स्कूल जाएं इसके लिए सरकार की साइकिल योजना है. सरकार की मंशा थी झारखंड की बेटियां शान से साइकिल पर सवार होकर स्कूल जाएंगी. लेकिन सरकारी लम्बरदारी ने बच्चों की किस्मत की हकमारी कर रखी है. मदमस्त व्यवस्था को इस बात से कोई लेना देना ही नहीं है कि इन नौनिहालों को योजना का लाभ दे दें ताकि शिक्षा की रफ्तार तेज हो जाए. यह एक साल की बात नहीं वर्ष 2020-21 और 2021-22 में सरकारी स्कूलों के आठवीं कक्षा के छात्र छात्राओं को अब तक साइकिल नहीं दी गई है.

ये भी पढ़ें- शिक्षा मंत्री ने स्टूडेंट्स का बढ़ाया हौसला, जिला में अव्वल आने वाले विद्यार्थियों को दिया स्कूटी और साइकिल

अब वित्तीय वर्ष 2022-23 की योजना: पिछले दो वर्षों की तरह इस बार भी आठवीं के बच्चों की सूची का डिमांड तैयार कर भेज दिया गया है. ऐसे में एक अहम सवाल यह उठता है कि क्या इस बार भी बच्चों की जो सूची मुख्यालय जाएगी उसका क्या होगा. अधिकारियों के अनदेखी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डिमांड तैयार करने का आदेश विभाग दे रहा है लेकिन बच्चों के यह सुविधा मिली की नहीं यह पूछने वाला कोई नहीं है. दुमका से सूची बन गई है. सरकार भेजी जा रही है लेकिन सवाल यही है कि यह सूची एक बार फिर अब तक भेजी गई सूची के बंडलों के साथ किसी कोने में अपने बच्चों के लिए आने वाले अच्छे दिन का इंतजार करते दम तोड़ देगी.


क्या है पूरा मामला: झारखंड सरकार के कल्याण विभाग के आदिवासी कल्याण आयुक्त के कार्यालय से सभी जिला को एक पत्र भेजकर सरकारी विद्यालयों में आठवीं कक्षा में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की अनुमोदित सूची मांगी गई है .सूची प्राप्ति के बाद इन सभी छात्र-छात्राओं को साइकिल प्रदान करने की बात कही गई है. ऐसे में अब विद्यालय के द्वारा बच्चों की सूची तैयार की जा रही है पर यहां खास बात यह है कि इसी तरह की सूची वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021 -22 में भी मंगाई गई थी. जिला स्तर से सूची मुख्यालय भेजी भी गई थी पर उस सूची को शायद अच्छी तरह से सजा कर रख दिया गया. उस पर किसी तरह की पहल नहीं हुई क्योंकि वैसे सारे बच्चों को 2 वर्ष का साइकिल मिला ही नहीं. ये बच्चे साईकिल का इंतज़ार करते - करते आठवीं से नवमी और फिर नवमी से दशवीं चले गये. बच्चों की बेचारगी का आलम यह है कि कोई यह बताने वाला भी नहीं है साइकिल कहां पहुंची है.

दुमका से लगभग चालीस हजार बच्चों की सूची है पेंडिंग: सरकार के निर्देश पर दुमका के तमाम सरकारी स्कूलों के द्वारा लगातार दो वर्ष आठवीं के बच्चों की सूची साइकिल के लिए भेजी गई. वर्ष 2020- 21 में 18 हजार 98 बच्चे (18098) और वर्ष 2021-22 में 20 हजार 214 (20214) छात्र-छात्राओं का लिस्ट रांची भेजी गई थी पर अब तक इन सारे बच्चों को साईकिल मिली ही नहीं. इस बार भी जो सूची मांगी गई है उस आलोक में विद्यालय प्रबंधन द्वारा साइकिल की आस में काम शुरू हो गया है. लेकिन साइकिल का पहिया घूमेगा यह कहना बहुत ही मुश्किल है क्यों कि अभी भी पुरानी वाली साइकिल की लिस्ट बिगड़ी है है.

क्या कहते हैं विद्यालय के प्रधानाध्यापक: दुमका सदर प्रखंड के बनकाठी विद्यालय दुमका के प्रधानाध्यापक श्याम किशोर सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस बार जो सूची मांगी गई है वह बनाई जा रही है. लेकिन पिछले 2 वर्ष से लगातार साइकिल नहीं मिली है. साइकिल नहीं मिलने से छात्र - छात्राओं में मायूसी तो है ही साथ ही उनके अभिभावक यहां तक कि हम शिक्षकों में भी निराशा है. उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावक भी आकर हमसे पूछते हैं कि अब तक साइकिल क्यों नहीं मिली. हमें तो जानकारी नहीं है ऐसा क्यों हुआ. हम टाल देते हैं कि आप निश्चिंत रहे साइकिल मिलेगी. प्रधानाध्यापक ने कहा कि सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द इस वर्ष के साथ पिछले 2 वर्ष जिन बच्चों का साईकिल पेंडिंग है उसे देने की व्यवस्था करें.

क्या कहते हैं कल्याण विभाग के प्रमंडलीय उपनिदेशक: संथालपरगना प्रमंडल के कल्याण विभाग के उपनिदेशक विनय मनीष लकड़ा ने कहा कि लगातार दो वर्ष साइकिल मिली नहीं मिली नहीं है इस बात की जानकारी सामने आ रही है. इस साल के लिए भी लिस्ट बनाने का काम किया जा रहा है. साइकिल को शासन के स्तर से आना है अब तक क्यों नहीं आया इसकी जानकारी मुख्यालय ले लेनी होगी तभी इस बारे में कोई जानकारी दे सकते हैं.

दुमका सीएम हेमंत के गृह जिले के तौर पर जाना जाता है. जहां से सीएम खुद आते हों वहां के जिले का हाल अगर इस तरह से हो तो बाकी जिले का हाल क्या होगा इसका अंदाजा लगाना आसान है. सरकारी गिरी और टल मटोल के रवैये से ही गरीब बच्चों के हक का हिस्सा 2 साल ने नहीं मिला है अब तीसरे साल का इंतजार है.

दुमका: झारखंड में बेटियां साइकिल से स्कूल जाएं इसके लिए सरकार की साइकिल योजना है. सरकार की मंशा थी झारखंड की बेटियां शान से साइकिल पर सवार होकर स्कूल जाएंगी. लेकिन सरकारी लम्बरदारी ने बच्चों की किस्मत की हकमारी कर रखी है. मदमस्त व्यवस्था को इस बात से कोई लेना देना ही नहीं है कि इन नौनिहालों को योजना का लाभ दे दें ताकि शिक्षा की रफ्तार तेज हो जाए. यह एक साल की बात नहीं वर्ष 2020-21 और 2021-22 में सरकारी स्कूलों के आठवीं कक्षा के छात्र छात्राओं को अब तक साइकिल नहीं दी गई है.

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अब वित्तीय वर्ष 2022-23 की योजना: पिछले दो वर्षों की तरह इस बार भी आठवीं के बच्चों की सूची का डिमांड तैयार कर भेज दिया गया है. ऐसे में एक अहम सवाल यह उठता है कि क्या इस बार भी बच्चों की जो सूची मुख्यालय जाएगी उसका क्या होगा. अधिकारियों के अनदेखी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डिमांड तैयार करने का आदेश विभाग दे रहा है लेकिन बच्चों के यह सुविधा मिली की नहीं यह पूछने वाला कोई नहीं है. दुमका से सूची बन गई है. सरकार भेजी जा रही है लेकिन सवाल यही है कि यह सूची एक बार फिर अब तक भेजी गई सूची के बंडलों के साथ किसी कोने में अपने बच्चों के लिए आने वाले अच्छे दिन का इंतजार करते दम तोड़ देगी.


क्या है पूरा मामला: झारखंड सरकार के कल्याण विभाग के आदिवासी कल्याण आयुक्त के कार्यालय से सभी जिला को एक पत्र भेजकर सरकारी विद्यालयों में आठवीं कक्षा में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की अनुमोदित सूची मांगी गई है .सूची प्राप्ति के बाद इन सभी छात्र-छात्राओं को साइकिल प्रदान करने की बात कही गई है. ऐसे में अब विद्यालय के द्वारा बच्चों की सूची तैयार की जा रही है पर यहां खास बात यह है कि इसी तरह की सूची वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021 -22 में भी मंगाई गई थी. जिला स्तर से सूची मुख्यालय भेजी भी गई थी पर उस सूची को शायद अच्छी तरह से सजा कर रख दिया गया. उस पर किसी तरह की पहल नहीं हुई क्योंकि वैसे सारे बच्चों को 2 वर्ष का साइकिल मिला ही नहीं. ये बच्चे साईकिल का इंतज़ार करते - करते आठवीं से नवमी और फिर नवमी से दशवीं चले गये. बच्चों की बेचारगी का आलम यह है कि कोई यह बताने वाला भी नहीं है साइकिल कहां पहुंची है.

दुमका से लगभग चालीस हजार बच्चों की सूची है पेंडिंग: सरकार के निर्देश पर दुमका के तमाम सरकारी स्कूलों के द्वारा लगातार दो वर्ष आठवीं के बच्चों की सूची साइकिल के लिए भेजी गई. वर्ष 2020- 21 में 18 हजार 98 बच्चे (18098) और वर्ष 2021-22 में 20 हजार 214 (20214) छात्र-छात्राओं का लिस्ट रांची भेजी गई थी पर अब तक इन सारे बच्चों को साईकिल मिली ही नहीं. इस बार भी जो सूची मांगी गई है उस आलोक में विद्यालय प्रबंधन द्वारा साइकिल की आस में काम शुरू हो गया है. लेकिन साइकिल का पहिया घूमेगा यह कहना बहुत ही मुश्किल है क्यों कि अभी भी पुरानी वाली साइकिल की लिस्ट बिगड़ी है है.

क्या कहते हैं विद्यालय के प्रधानाध्यापक: दुमका सदर प्रखंड के बनकाठी विद्यालय दुमका के प्रधानाध्यापक श्याम किशोर सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस बार जो सूची मांगी गई है वह बनाई जा रही है. लेकिन पिछले 2 वर्ष से लगातार साइकिल नहीं मिली है. साइकिल नहीं मिलने से छात्र - छात्राओं में मायूसी तो है ही साथ ही उनके अभिभावक यहां तक कि हम शिक्षकों में भी निराशा है. उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावक भी आकर हमसे पूछते हैं कि अब तक साइकिल क्यों नहीं मिली. हमें तो जानकारी नहीं है ऐसा क्यों हुआ. हम टाल देते हैं कि आप निश्चिंत रहे साइकिल मिलेगी. प्रधानाध्यापक ने कहा कि सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द इस वर्ष के साथ पिछले 2 वर्ष जिन बच्चों का साईकिल पेंडिंग है उसे देने की व्यवस्था करें.

क्या कहते हैं कल्याण विभाग के प्रमंडलीय उपनिदेशक: संथालपरगना प्रमंडल के कल्याण विभाग के उपनिदेशक विनय मनीष लकड़ा ने कहा कि लगातार दो वर्ष साइकिल मिली नहीं मिली नहीं है इस बात की जानकारी सामने आ रही है. इस साल के लिए भी लिस्ट बनाने का काम किया जा रहा है. साइकिल को शासन के स्तर से आना है अब तक क्यों नहीं आया इसकी जानकारी मुख्यालय ले लेनी होगी तभी इस बारे में कोई जानकारी दे सकते हैं.

दुमका सीएम हेमंत के गृह जिले के तौर पर जाना जाता है. जहां से सीएम खुद आते हों वहां के जिले का हाल अगर इस तरह से हो तो बाकी जिले का हाल क्या होगा इसका अंदाजा लगाना आसान है. सरकारी गिरी और टल मटोल के रवैये से ही गरीब बच्चों के हक का हिस्सा 2 साल ने नहीं मिला है अब तीसरे साल का इंतजार है.

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