ETV Bharat / state

दुमका में सरकारी राशि का दुरुपयोग, 45 लाख की हार्वेस्टर का आज तक नहीं हुआ इस्तेमाल

author img

By

Published : Feb 9, 2022, 6:58 PM IST

दुमका में 45 लाख की लागत से खरीदे गए हार्वेस्टर से किसानों को लाभ नहीं मिला. स्थिति यह है कि हार्वेस्टर में जंग लगने के साथ साथ जर्जर हो रहा है. अधिकारी बताते हैं कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के स्तर से हार्वेस्टर भेजा गया है. लेकिन टेक्नीशियन नहीं भेजा गया है. यही वजह है कि इस मशीन का उपयोग नहीं किया जा सका है.

Misuse of government funds in Dumka
दुमका में सरकारी राशि का दुरुपयोग

दुमकाः बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के जोनल रिसर्च सेंटर में 4 वर्ष पहले 45 लाख की लागत से एक हार्वेस्टर खरीदा गया था. लेकिन तकनीकी विशेषज्ञ के अभाव में आज तक इस हार्वेस्टर का इस्तेमाल नहीं हो सका और ना ही किसानों को कोई लाभ मिला. अब इस तरह की अनदेखी सरकारी स्तर पर होगी तो किसानों की आमदनी कैसे बढ़ेगी.

यह भी पढ़ेंःमहीनों बाद भी किसानों को नहीं मिला धान की कीमत, संथाल परगना के किसानों का करोड़ों रुपये सरकार के पास बकाया




सरकारी राशि का दुरुपयोग किस तरह होता है. इसका नमूना दुमका में देखा जा सकता है. दुमका स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के लिए 4 वर्ष पहले 45 लाख रुपए की लागत से हार्वेस्टर खरीदा गया. हार्वेस्टर काफी आधुनिक टेक्नोलॉजी का था. इससे खेतों में तैयार फसल की कटाई करने के साथ साथ फसल का दाना निकाला जा सकता है. इतना ही नहीं, निकले दाने की पैकेजिंग की भी व्यवस्था इस मशीन में की गई है. लेकिन, यह हार्वेस्टर अब तक खेतों में नहीं उतरा है. इसकी वजह है कि इसके चालक और टेक्नीशियन का अभाव है. स्थिति यह है कि बिना इस्तेमाल हुए हार्वेस्टर जर्जर हो रहा है.

देखें पूरी खबर


इस हार्वेस्टर के क्रय का उद्देश्य किसानों को सुविधा पहुंचाना था. सरकार की ओर से कम दर पर किसानों को तकनीकी मदद उपलब्ध कराना था. जिससे किसान अपने फसलों की कटाई आसानी से कर सके. यह हार्वेस्टर पूरी तरह से ऑटोमेटिक है. लेकिन सरकार की सारी योजना धरी की धरी रह गई. इसका कोई इस्तेमाल भी नहीं हुआ है.


बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के दुमका स्थित जोनल रिसर्च सेंटर के अधिकारी कहते हैं कि यह हार्वेस्टर यूनिवर्सिटी की ओर से भेजा गया. लेकिन टेक्नीशियन और चालक बहाल नहीं किया. जब इस हार्वेस्टर का हैंडल करने वाले नहीं हैं तो हमलोग क्या कर सकते हैं. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. इस स्थिति में सरकार को संज्ञान लेकर हार्वेस्टर चालू करने की कोशिश करनी चाहिए.

दुमकाः बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के जोनल रिसर्च सेंटर में 4 वर्ष पहले 45 लाख की लागत से एक हार्वेस्टर खरीदा गया था. लेकिन तकनीकी विशेषज्ञ के अभाव में आज तक इस हार्वेस्टर का इस्तेमाल नहीं हो सका और ना ही किसानों को कोई लाभ मिला. अब इस तरह की अनदेखी सरकारी स्तर पर होगी तो किसानों की आमदनी कैसे बढ़ेगी.

यह भी पढ़ेंःमहीनों बाद भी किसानों को नहीं मिला धान की कीमत, संथाल परगना के किसानों का करोड़ों रुपये सरकार के पास बकाया




सरकारी राशि का दुरुपयोग किस तरह होता है. इसका नमूना दुमका में देखा जा सकता है. दुमका स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के लिए 4 वर्ष पहले 45 लाख रुपए की लागत से हार्वेस्टर खरीदा गया. हार्वेस्टर काफी आधुनिक टेक्नोलॉजी का था. इससे खेतों में तैयार फसल की कटाई करने के साथ साथ फसल का दाना निकाला जा सकता है. इतना ही नहीं, निकले दाने की पैकेजिंग की भी व्यवस्था इस मशीन में की गई है. लेकिन, यह हार्वेस्टर अब तक खेतों में नहीं उतरा है. इसकी वजह है कि इसके चालक और टेक्नीशियन का अभाव है. स्थिति यह है कि बिना इस्तेमाल हुए हार्वेस्टर जर्जर हो रहा है.

देखें पूरी खबर


इस हार्वेस्टर के क्रय का उद्देश्य किसानों को सुविधा पहुंचाना था. सरकार की ओर से कम दर पर किसानों को तकनीकी मदद उपलब्ध कराना था. जिससे किसान अपने फसलों की कटाई आसानी से कर सके. यह हार्वेस्टर पूरी तरह से ऑटोमेटिक है. लेकिन सरकार की सारी योजना धरी की धरी रह गई. इसका कोई इस्तेमाल भी नहीं हुआ है.


बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के दुमका स्थित जोनल रिसर्च सेंटर के अधिकारी कहते हैं कि यह हार्वेस्टर यूनिवर्सिटी की ओर से भेजा गया. लेकिन टेक्नीशियन और चालक बहाल नहीं किया. जब इस हार्वेस्टर का हैंडल करने वाले नहीं हैं तो हमलोग क्या कर सकते हैं. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. इस स्थिति में सरकार को संज्ञान लेकर हार्वेस्टर चालू करने की कोशिश करनी चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.