दुमकाः झारखंड के गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए सरकार भरसक प्रयास कर रही है. लेकिन सरकारी सिस्टम में ये योजनाएं कहीं ना कहीं लेटलतीफी का शिकार हो रहा है. ऐसा ही हो रहा है दुमका के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले करीब 38 हजार बच्चों के (government schools 38 thousand children) साथ. दो साल हो गए हैं अब तक उनको एक अदद सरकारी साइकिल का इंतजार है.
झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना सरकारी विद्यालय के आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को साइकिल देने की है. हाल के वर्षों में सरकार द्वारा यह भी किया गया कि बच्चे अपनी पसंद से साइकिल ले इसके लिए उनके बैंक खाते में साढ़े तीन हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए गए. साइकिल मिलने से इन छात्र-छात्राओं को जैसे उड़ने के लिए पंख मिल जाते और वो आसानी से लंबी दूरी तय कर विद्यालय आना जाना कर सकते. छात्रवृत्ति की तरह यह साइकिल कल्याण विभाग द्वारा सरकारी विद्यालय के बच्चों को दी जाती है.
2 वर्ष से 38 हजार बच्चों को नहीं मिली साइकिलः आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बच्चों को सरकार द्वारा जो साइकिल मिलती है उस पर ग्रहण लग गया है. वर्ष 2020-21 और 2021-22 यानी दो वर्ष से झारखंड के सरकारी विद्यालय के बच्चों को साइकिल मिली (children of Dumka not get cycles) ही नहीं है. दुमका जिला की अगर बात करें तो इन दो वर्षों में कुल 38212 बच्चों की सूची सरकार को भेजी गई लेकिन यह सूची अब तक विभाग में ही पड़ी है.
आंकड़ों पर एक नजरः दुमका जिला कल्याण विभाग ने शिक्षा विभाग के सभी विद्यालयों से आठवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं की सूची एकत्रित कर की. जिसमें वर्ष 2020-21 में 18098 और वर्ष 2021-2022 में 20214 छात्र-छात्राएं आठवीं में अध्ययनरत थे. इसमें दोनों वर्ष मिलाकर छात्रों की संख्या 19347 और छात्राओं की संख्या 18965 है. बाकायदा सभी विद्यालयों में बच्चों के बैंक खाते खुलवाए गए. फिर साइकिल के लिए आवेदन पत्र भरा गया और बोरियों में भरकर आवेदन पत्रों को कल्याण विभाग को सौंपा गया. इधर कल्याण विभाग ने विद्यालयवार छात्र-छात्राओं की सूची बनाकर उसे राज्य मुख्यालय भेज दिया लेकिन इतनी कवायद धरी की धरी रह गई. ऐसा लगता है कि बच्चों की सारी सूचियां रांची में सरकारी फाइलों में स्वीकृति की बाट जोह रही है.
क्या कहते हैं बच्चेः इस बाबत ईटीवी भारत संवाददाता मनोज केशरी ने ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी विद्यालय के कक्षा आठ के छात्र छात्राओं से बात की. उन्होंने कहा कि हमने सुना है कि आठवीं कक्षा के स्टूडेंटस को सरकार साइकिल देती है लेकिन हमें तो नहीं मिली. हमलोग 3 से 4 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल आते हैं, जिससे काफी परेशानी होती है. अगर हमें साइकिल मिल जाए तो काफी सुविधा होगी और हम आसानी से अपने विद्यालय आ जा सकेंगे.
क्या कहते हैं प्रधानाध्यापकः बच्चों को साइकिल नहीं मिलने के संबंध में सदर प्रखंड के चांदोपानी विद्यालय के प्रधानाध्यापक कामेश्वर महतो से बात की गयी. उन्होंने कहा कि हमलोग काफी मेहनत कर बच्चों के साइकिल के लिए फॉर्म भरा और सूची विभाग को जमा की थी लेकिन आज तक साइकिल नहीं मिली. बच्चों को लंबी दूरी तय कर स्कूल आना पड़ता है, जिससे उन्हें काफी तकलीफ होती है, सरकार को जल्द से जल्द साइकिल उपलब्ध कराना चाहिए.
क्या कहते हैं कल्याण और शिक्षा विभागः दुमका जिला के शिक्षा विभाग से आवेदन प्राप्त कर कल्याण विभाग ने सूची मुख्यालय को भेज दी है. इन दोनों विभाग का एक ही जवाब है कि हम इसमें कुछ नहीं कर सकते. अब आगे की कार्रवाई स्टेट लेबल से होना है.