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झामुमो का स्थापना दिवसः 2 फरवरी को दुमका तो 4 फरवरी को धनबाद में समारोह, तैयारी में जुटे कार्यकर्ता

दुमका में झारखंड मुक्ति मोर्चा का स्थापना दिवस दो फरवरी को आयोजित किया जा रहा है. इस समारोह में पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ साथ मंत्री, विधायक और सांसद मौजूद रहेंगे. इसको लेकर पार्टी कार्यकर्ता जोर शोर से तैयारी कर रहे हैं.

Foundation day of Jharkhand Mukti Morcha
झामुमो का स्थापना दिवस
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Published : Feb 1, 2022, 2:17 PM IST

Updated : Feb 1, 2022, 3:50 PM IST

दुमकाः झारखंड मुक्ति मोर्चा का स्थापना दिवस 2 फरवरी को दुमका में धूमधाम से मनाया जाएगा. इसके बाद चार फरवरी को धनबाद मे स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया जाएगा. इस समारोह में पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन के साथ साथ मुख्यमंत्री और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन, मंत्री, पार्टी पदाधिकारी, विधायक, सांसद शामिल होंगे. इसको लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से तैयारियां जोर शोर से की जा रही है.

यह भी पढ़ेंःझामुमो का 41वां स्थापना दिवस, शिबू-हेमंत ने झंडा फहराकर किया कार्यक्रम का उद्घाटन

झामुमो के केंद्रीय महासचिव और गुरुजी के आंदोलन में सहयोगी रहे विजय कुमार सिंह कहते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना 4 फरवरी 1972 को धनबाद में हुई थी. पार्टी के स्थापना में शिबू सोरेन, एके राय, विनोद बिहारी महतो की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी और अलग झारखंड राज्य का आंदोलन भी शुरू हो गया. इसके बाद गुरुजी इस आंदोलन का विस्तार करते हुए संथाल परगना पहुंचे. इसी दौरान 2 फरवरी 1978 को पहली बार दुमका के नेहरू पार्क में बड़ी सभा हुई थी और इस मंच से अलग झारखंड राज्य का बिगुल फूंका गया था. यही वजह है कि झामुमो 2 फरवरी को धूमधाम से स्थापना दिवस समारोह आयोजित करता है.

देखें पूरी खबर


स्थानीय पत्रकार शिवशंकर चौधरी कहते हैं कि 2 फरवरी 1978 में दुमका में आयोजित कार्यक्रम का अलग झारखंड आंदोलन पर व्यापक असर पड़ा था. उन्होंने कहा कि इस सभा का असर लोगों पर पड़ा था और आमलोग भी बिहार से होने की मांग करने लगे थे. इसके बाद धीरे धीरे यह व्यापक आंदोलन में बदल गया. यह वही दौर था जब लोगों ने शिबू सोरेन को दिशोम गुरु की संज्ञा दी थी और लोगों ने नारा दिया था शिबू नहीं यह आंधी है, झारखंड क्षेत्र का गांधी है.

दुमका में बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने के बाद शिबू सोरेन को व्यापक जन समर्थन मिलने लगा. इसके बाद 1980 के लोकसभा में शिबू सोरेन प्रत्याशी हुए और वह चुनाव जीत कर पहली बार लोकसभा पहुंचे. हालांकि, इसके बाद 1984 में इंदिरा गांधी के निधन के बाद देश में कांग्रेस की लहर थी, जिसमें शिबू सोरेन को हार मिली. 1989 में फिर शिबू सोरेन चुनाव जीत गए. शिबू सोरेन 8 बार दुमका से लोकसभा पहुंचे है. 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य बना, तब दुमका के सांसद बाबूलाल मरांडी और शिबू सोरेन राज्यसभा के सदस्य थे. बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री बने तो दुमका लोकसभा सीट छोड़ दी. इसके बाद शिबू सोरेन ने फिर से दुमका के प्रति अपना प्रेम दिखाया और राज्यसभा से त्यागपत्र देकर 2002 के उपचुनाव जीत गए. इसके बाद 2004, 2009, 2014 में लगातार जीतते रहे. इतना ही नहीं, शिबू सोरेन तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री भी बने.

झारखंड मुक्ति मोर्चा संथाल परगना को अपना अभेद किला मानता है. संथाल परगना के 18 विधानसभा सीट में 7 सीट एसटी के लिए रिजर्व है और वे सभी सीट झामुमो के खाते में हैं. इतना ही नहीं, सामान्य सीट मधुपुर और नाला से भी झामुमो ने जीत दर्ज की है. राज्य में झामुमो ने एक लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की, वह संथाल परगना की राजमहल सीट है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संथाल परगना के बरहेट से विधायक हैं.

दुमकाः झारखंड मुक्ति मोर्चा का स्थापना दिवस 2 फरवरी को दुमका में धूमधाम से मनाया जाएगा. इसके बाद चार फरवरी को धनबाद मे स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया जाएगा. इस समारोह में पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन के साथ साथ मुख्यमंत्री और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन, मंत्री, पार्टी पदाधिकारी, विधायक, सांसद शामिल होंगे. इसको लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से तैयारियां जोर शोर से की जा रही है.

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झामुमो के केंद्रीय महासचिव और गुरुजी के आंदोलन में सहयोगी रहे विजय कुमार सिंह कहते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना 4 फरवरी 1972 को धनबाद में हुई थी. पार्टी के स्थापना में शिबू सोरेन, एके राय, विनोद बिहारी महतो की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी और अलग झारखंड राज्य का आंदोलन भी शुरू हो गया. इसके बाद गुरुजी इस आंदोलन का विस्तार करते हुए संथाल परगना पहुंचे. इसी दौरान 2 फरवरी 1978 को पहली बार दुमका के नेहरू पार्क में बड़ी सभा हुई थी और इस मंच से अलग झारखंड राज्य का बिगुल फूंका गया था. यही वजह है कि झामुमो 2 फरवरी को धूमधाम से स्थापना दिवस समारोह आयोजित करता है.

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स्थानीय पत्रकार शिवशंकर चौधरी कहते हैं कि 2 फरवरी 1978 में दुमका में आयोजित कार्यक्रम का अलग झारखंड आंदोलन पर व्यापक असर पड़ा था. उन्होंने कहा कि इस सभा का असर लोगों पर पड़ा था और आमलोग भी बिहार से होने की मांग करने लगे थे. इसके बाद धीरे धीरे यह व्यापक आंदोलन में बदल गया. यह वही दौर था जब लोगों ने शिबू सोरेन को दिशोम गुरु की संज्ञा दी थी और लोगों ने नारा दिया था शिबू नहीं यह आंधी है, झारखंड क्षेत्र का गांधी है.

दुमका में बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने के बाद शिबू सोरेन को व्यापक जन समर्थन मिलने लगा. इसके बाद 1980 के लोकसभा में शिबू सोरेन प्रत्याशी हुए और वह चुनाव जीत कर पहली बार लोकसभा पहुंचे. हालांकि, इसके बाद 1984 में इंदिरा गांधी के निधन के बाद देश में कांग्रेस की लहर थी, जिसमें शिबू सोरेन को हार मिली. 1989 में फिर शिबू सोरेन चुनाव जीत गए. शिबू सोरेन 8 बार दुमका से लोकसभा पहुंचे है. 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य बना, तब दुमका के सांसद बाबूलाल मरांडी और शिबू सोरेन राज्यसभा के सदस्य थे. बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री बने तो दुमका लोकसभा सीट छोड़ दी. इसके बाद शिबू सोरेन ने फिर से दुमका के प्रति अपना प्रेम दिखाया और राज्यसभा से त्यागपत्र देकर 2002 के उपचुनाव जीत गए. इसके बाद 2004, 2009, 2014 में लगातार जीतते रहे. इतना ही नहीं, शिबू सोरेन तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री भी बने.

झारखंड मुक्ति मोर्चा संथाल परगना को अपना अभेद किला मानता है. संथाल परगना के 18 विधानसभा सीट में 7 सीट एसटी के लिए रिजर्व है और वे सभी सीट झामुमो के खाते में हैं. इतना ही नहीं, सामान्य सीट मधुपुर और नाला से भी झामुमो ने जीत दर्ज की है. राज्य में झामुमो ने एक लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की, वह संथाल परगना की राजमहल सीट है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संथाल परगना के बरहेट से विधायक हैं.

Last Updated : Feb 1, 2022, 3:50 PM IST
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