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ईटीवी भारत ने दुमका में की ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं की पड़ताल, 2 वाटर प्लांट मिले खराब

ईटीवी भारत की टीम ने दुमका के दो गांव शिकारीपाड़ा प्रखण्ड के इंदरबनी औरसदर प्रखंड के आसनसोल गांव में मिनी वाटर प्लांट का जायजा लिया. पड़ताल में दोनों वाटर प्लांट खराब मिले. ग्रामीणों का कहना है कि काफी उम्मीदें थी, लेकिन कई महीनों से बेकार हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि इसे दुरुस्त कर फिर से चालू किया जाए.

ईटीवी भारत ने दुमका में की ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं की पड़ताल
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Published : Jun 7, 2019, 6:07 AM IST

दुमका: जिले में ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं की स्थिति बदहाल है. साल 2014 - 15 में लगभग दो दर्जन गांव में मिनी वाटर प्लांट लगाया गया. इसका उद्देश्य बोरिंग, मोटर पम्प और पानी टंकी के माध्यम से लोगों के घर-घर तक पानी पहुंचाना था. कुछ दिन इसने काम भी किया, लेकिन बाद में विभागीय उदासीनता की वजह से प्लांट ने काम करना बन्द कर दिया. इससे ग्रामीणों में काफी निराशा है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

ईटीवी भारत की टीम ने दुमका के दो गांव शिकारीपाड़ा प्रखण्ड के इंदरबनी औरसदर प्रखंड के आसनसोल गांव में मिनी वाटर प्लांट का जायजा लिया. पड़ताल में दोनों वाटर प्लांट खराब मिले. ग्रामीणों का कहना है कि काफी उम्मीदें थी, लेकिन कई महीनों से बेकार हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि इसे दुरुस्त कर फिर से चालू किया जाए.

इस संबंध में दुमका जिला परिषद की चेयरपर्सन जॉयस बेसरा भी मानती हैं कि इस वाटर स्कीम का फायदा ग्रामीणों को नहीं मिलता है. उनका कहना है कि सीधे सरकार को अपने स्तर पर इसे देखना चाहिए. इन योजनाओं के निर्माण में लाखों खर्च हुए, लेकिन सब बेकार हो गया.

दुमका: जिले में ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं की स्थिति बदहाल है. साल 2014 - 15 में लगभग दो दर्जन गांव में मिनी वाटर प्लांट लगाया गया. इसका उद्देश्य बोरिंग, मोटर पम्प और पानी टंकी के माध्यम से लोगों के घर-घर तक पानी पहुंचाना था. कुछ दिन इसने काम भी किया, लेकिन बाद में विभागीय उदासीनता की वजह से प्लांट ने काम करना बन्द कर दिया. इससे ग्रामीणों में काफी निराशा है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

ईटीवी भारत की टीम ने दुमका के दो गांव शिकारीपाड़ा प्रखण्ड के इंदरबनी औरसदर प्रखंड के आसनसोल गांव में मिनी वाटर प्लांट का जायजा लिया. पड़ताल में दोनों वाटर प्लांट खराब मिले. ग्रामीणों का कहना है कि काफी उम्मीदें थी, लेकिन कई महीनों से बेकार हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि इसे दुरुस्त कर फिर से चालू किया जाए.

इस संबंध में दुमका जिला परिषद की चेयरपर्सन जॉयस बेसरा भी मानती हैं कि इस वाटर स्कीम का फायदा ग्रामीणों को नहीं मिलता है. उनका कहना है कि सीधे सरकार को अपने स्तर पर इसे देखना चाहिए. इन योजनाओं के निर्माण में लाखों खर्च हुए, लेकिन सब बेकार हो गया.

Intro:दुमका - दुमका में ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं की स्थिति बदहाल है । वर्ष 2014 - 15 में जिले में लगभग दो दर्जन गांव में मिनी वाटर प्लांट लगाया गया । इसका उद्देश्य बोरिंग , मोटर पम्प और पानी टँकी के माध्यम से लोगों के घर घर तक पानी पहुंचाना था । कुछ दिन यह काम भी किया लेकिन बाद में विभागीय उदासीनता की वजह से प्लांट काम करना बन्द कर दिया । ग्रामीणों को काफा निराशा है । उन्हें पानी नहीं मिल रहा ।


Body:क्या कहते हैं ग्रामीण ।
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हमने दुमका के दो गांव शिकारीपाड़ा प्रखण्ड के इंदरबनी औरसदर प्रखंड के आसनसोल गांव में मिनी वाटर प्लांट का जायजा लिया दोनों खराब हो चुके हैं । ग्रामीणों का कहना है काफी उम्मीदें थी लेकिन के महीनों से बेकार हो गयाहै । वे चाहते हैं इसे दुरुस्त कर फिर से चालू किया जाए ।

बाईट - शिव राय
बाईट - लीला , ग्रामीण महिला


Conclusion:क्या कहना है जिला परिषद के चेयरपर्सन का ।
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इस संबंध में दुमका जिला परिषद की चेयरपर्सन जॉयस बेसरा भी मानती है कि इस वाटर स्कीम का फायदा ग्रामीणों को नहीं मिलता है । वे कहती है सीधे सरकार को अपने स्तर पर इसे देखना चाहिए ।
बाईट - जॉयस बेसरा , चेयरपर्सन , दुमका जिला परिषद

फाईनल वीओ - इन योजनाओं के निर्माण में लाखों खर्च हुए थे लेकिन सब बेकार हो गया । ग्रामीणों को पानी नहीं मिल रहा ।

नोट - सर यह खबर रेडी पैकेज फॉर्मेट में भेजे हैं ।
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