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मैन पावर की कमी से जूझ रहा है दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मरीजों को नहीं मिलता है समूचित इलाज

दुमका सदर अस्पताल कुछ महीने पहले ही दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल बन गया. इसके बावजूद डॉक्टरों और कर्मियों की काफी कमी है. इससे मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पाता. इस अस्पताल के डॉक्टरों की न्यूनतम संख्या 40 होने चाहिए पर कार्यरत 23 ही हैं.

मैन पावर की कमी से जूझ रहा है दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मरीजों को नहीं मिलता है समूचित इलाज
दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल
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Published : Jan 18, 2020, 8:12 PM IST

दुमकाः जिले का सदर अस्पताल कुछ महीने पहले दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल बन गया. लेकिन फिर भी यहां डॉक्टरों और कर्मियों की काफी कमी है. इससे मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पाता. लोग उम्मीद के साथ डीएमसीएच पहुंचते हैं लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगती है.

देखें पूरी खबर

क्या कहते हैं डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट

दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ रविंद्र कुमार खुद स्वीकार करते हैं कि वहां मैन पावर काफी कम है. इस अस्पताल के डॉक्टरों की न्यूनतम संख्या 40 होने चाहिए पर कार्यरत 23 हैं. इसमें भी कई विभाग के डॉक्टर है हीं नहीं, जैसे एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट, स्किन स्पेशलिस्ट एक भी नहीं है. इधर फॉरेंसिक मेडिकल ऑफिसर चार रहने चाहिए पर सिर्फ हैं एक शिशु रोग विशेषज्ञ कम से कम पांच चाहिए लेकिन पदस्थापित हैं. डॉ रविंद्र कुमार का कहना है कि यही स्थिति मेडिकल कर्मियों की भी है उसकी संख्या कम से कम 100 से 120 महोने चाहिए लेकिन पदस्थापित सिर्फ 35 हैं.

और पढ़ें- पुलिस और PLFI संगठन के दस्ते के बीच हुई मुठभेड़, पुलिस को भारी पड़ता देख घने जंगल में भागे नक्सली

मरीजों को होती है परेशानी

काफी उम्मीद से लोग इलाज के लिए डीएमसीएच पहुंचते हैं, लेकिन जब यहां उन्हें सही इलाज नहीं मिलता तो उन्हें काफी निराशा हाथ लगती है. अगर मरीज की स्थिति थोड़ी गंभीर होती है तो उसे रेफर कर दिया जाता है. ऐसे में गरीब मरीजों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

पदस्थापित चिकित्सक भी परेशान

चिकित्सकों की कमी से सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को तो है ही इसके साथ जो चिकित्सक यहां कार्यरत हैं वे भी परेशान है. डॉक्टर कम रहने से कार्यरत चिकित्सक का वर्क लोड काफी बढ़ जाता है. वे इस दिशा में आवश्यक पहल की मांग कर रहे हैं.

दुमकाः जिले का सदर अस्पताल कुछ महीने पहले दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल बन गया. लेकिन फिर भी यहां डॉक्टरों और कर्मियों की काफी कमी है. इससे मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पाता. लोग उम्मीद के साथ डीएमसीएच पहुंचते हैं लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगती है.

देखें पूरी खबर

क्या कहते हैं डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट

दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ रविंद्र कुमार खुद स्वीकार करते हैं कि वहां मैन पावर काफी कम है. इस अस्पताल के डॉक्टरों की न्यूनतम संख्या 40 होने चाहिए पर कार्यरत 23 हैं. इसमें भी कई विभाग के डॉक्टर है हीं नहीं, जैसे एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट, स्किन स्पेशलिस्ट एक भी नहीं है. इधर फॉरेंसिक मेडिकल ऑफिसर चार रहने चाहिए पर सिर्फ हैं एक शिशु रोग विशेषज्ञ कम से कम पांच चाहिए लेकिन पदस्थापित हैं. डॉ रविंद्र कुमार का कहना है कि यही स्थिति मेडिकल कर्मियों की भी है उसकी संख्या कम से कम 100 से 120 महोने चाहिए लेकिन पदस्थापित सिर्फ 35 हैं.

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मरीजों को होती है परेशानी

काफी उम्मीद से लोग इलाज के लिए डीएमसीएच पहुंचते हैं, लेकिन जब यहां उन्हें सही इलाज नहीं मिलता तो उन्हें काफी निराशा हाथ लगती है. अगर मरीज की स्थिति थोड़ी गंभीर होती है तो उसे रेफर कर दिया जाता है. ऐसे में गरीब मरीजों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

पदस्थापित चिकित्सक भी परेशान

चिकित्सकों की कमी से सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को तो है ही इसके साथ जो चिकित्सक यहां कार्यरत हैं वे भी परेशान है. डॉक्टर कम रहने से कार्यरत चिकित्सक का वर्क लोड काफी बढ़ जाता है. वे इस दिशा में आवश्यक पहल की मांग कर रहे हैं.

Intro:दुमका -
दुमका सदर अस्पताल कुछ माह पहले दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल बन गया । लेकिन यहां डॉक्टरों और कर्मियों की काफी कमी है । इससे मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पाता । लोग उम्मीद के साथ डीएमसीएच पहुंचते हैं लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगती है ।

क्या कहते हैं डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट ।
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दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ रविंद्र कुमार खुद स्वीकार करते हैं कि हमारे यहां मेन पावर काफी कम है । इस अस्पताल के डॉक्टरों की न्यूनतम संख्या 40 होने चाहिए पर कार्यरत है 23 . इसमें भी कई विभाग के डॉक्टर है ही नहीं । जैसे एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट , रेडियोलॉजिस्ट , स्किन स्पेशलिस्ट एक भी नहीं है । इधर फॉरेंसिक मेडिकल ऑफिसर चार रहने चाहिए पर सिर्फ हैं एक । शिशु रोग विशेषज्ञ कम से कम पांच चाहिए लेकिन पदस्थापित हैं दो । डॉ रविंद्र कुमार का कहना है कि यही स्थिति मेडिकल कर्मियों की भी है उसकी संख्या कम से कम 100 से 120 महोने चाहिए लेकिन पदस्थापित हैं सिर्फ 35 .


Body:मरीजों को होती है परेशानी ।
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काफी उम्मीद से लोग इलाज के लिए डीएमसीएच पहुंचते हैं , लेकिन जब यहां उन्हें सही इलाज नहीं मिलता तो उन्हें काफी निराशा हाथ लगती है । जहां मरीज की स्थिति थोड़ी गंभीर होती है रेफर कर दिया जाता है । ऐसे में गरीब मरीजों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ।

बाईंट - श्याम देव हेम्ब्रम , मरीज के परिजन


Conclusion:पदस्थापित चिकित्सक भी है परेशान ।
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चिकित्सकों की कमी से सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को तो है ही इसके साथ जो चिकित्सक यहां कार्यरत हैं वे भी परेशान है । डॉक्टर कम रहने से कार्यरत चिकित्सक का वर्क लोड काफी बढ़ जाता है । वे इस दिशा में आवश्यक पहल की मांग कर रहे हैं ।

बाईंट - डॉ देवाशीष रक्षित , चिकित्सक

फाईनल वीओ -

उपराजधानी में मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्थापित हो गया है पर यहां सुविधा नगण्य है । नतीजतन मरीजों को मरीजों का इलाज जैसे-तैसे हो रहा है । सरकार को अविलंब इस पर पहल करने की जरूरत है ।

मनोज केशरी
ईटीवी भारत
दुमका
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