दुमका: सरकार कृषि क्षेत्र और किसानों के विकास के लिए लगातार नई-नई योजनाओं की घोषणा कर रही है. किसानों की आय को दोगुना करना सरकार का लक्ष्य है, लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और ही नजर आती है. दुमका का मामला ही ले लें. 10 वर्ष पूर्व एक खाद प्रयोगशाला बना था. जो आज तक चालू ही नहीं हुआ. मतलब किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिला पाया.
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कृषि निदेशक के कार्यालय में प्रयोगशाला: दुमका में लगभग 10 वर्ष पहले एक खाद प्रयोगशाला बनाया गया था. इसका उद्देश्य था कि किसान खाद की गुणवत्ता की जांच कर सके. अगर खाद बेहतर क्वालिटी का है तो उसे खेतों में देना है. अगर क्वालिटी में कमी है तो उसे रिप्लेस करना है. सरकार की यह योजना काफी अच्छी थी. जिससे सीधे तौर पर किसानों को लाभ मिलता उनका उपज बढ़ता. दुमका स्थित संथालपरगना के संयुक्त कृषि निदेशक के कार्यालय परिसर में यह खाद प्रयोगशाला बनाया गया था. आज तक यह प्रयोगशाला चालू ही नहीं हो सका है. बिना इस्तेमाल के ही यह जर्जर हो चुकी है.
क्या कहते हैं कृषि मंत्री बादल पत्रलेख: गौरतलब है कि जिले में जहां यह फर्टिलाइजर प्रयोगशाला है, वहीं के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख हैं. कुछ दिन पहले कृषि मंत्री दुमका आए हुए थे. स्थानीय परिसदन में बातचीत के क्रम में इस खाद प्रयोगशाला के संबंध में प्रश्न पूछे गए थे. जवाब में उन्होंने कहा कि जब वे फिर से यहां आएंगे तो जांच के लिए मौके पर जाएंगे. कहा कि उनका प्रयास होगा कि जिस उद्देश्य से वह बना है उसे हासिल किया जा सके.
सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता: यह खाद प्रयोगशाला कृषि उत्पादकता में बढ़ोतरी और किसानों के हित में काफी लाभप्रद हो सकता है. अब यह मामला झारखंड सरकार के कृषि मंत्री के संज्ञान में है. देखना दिलचस्प होगा कि कब तक वे मौके पर जाते हैं और इसके लिए आवश्यक पहल करते हैं.