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धान की खेती बर्बाद होने से बेबस हुए किसान, सता रही दुर्गापूजा में बच्चों को कपड़े और मिठाईयां नहीं दिला पाने की चिंता

दुमका में बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती बर्बाद (Destruction of paddy crop) होने से किसानों के सामने कई समस्याएं आ गई है. एक ओर किसान साल भर की रोजी रोटी को लेकर परेशान हैं. वहीं इस साल दुर्गापूजा में बच्चों को कपड़े और मिठाई नहीं दिला पाने की चिंता भी सता रही है. इन गरीब बेबस किसानों ने ईटीवी भारत के माध्यम से अपनी व्यथा बताते हुए सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

Farmers pleading for help
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Published : Aug 3, 2022, 7:38 PM IST

Updated : Aug 3, 2022, 8:09 PM IST

दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका में इस बार समय पर बारिश नहीं होने से धान की खेती लगभग बर्बाद (Destruction of paddy crop) हो चुकी है. खेत में पानी नहीं रहने से बिचड़ा नहीं लगाया जा सका. इस इलाके में धान मुख्य फसल है और धान अगर नहीं उपजेगा तो खाने-पीने के लाले पड़ जाएंगे लेकिन, एक और बड़ी समस्या यह है कि इस बार यह गरीब किसान दुर्गापूजा में बच्चों को नए कपड़े और मिठाईयां नहीं दिला पाएंगे. इसे लेकर किसानों को अभी से चिंता सता रही है.

इसे भी पढ़ें: मौसम के आगे झुकने को तैयार नहीं अन्नदाता, कम बारिश में भी खेतों में रोपनी कर रहे किसान


दुर्गापूजा में खरीददारी के लिए महाजन से लेते हैं उधार: दुमका जिले के अधिकांश इलाकों में कम जोत वाले किसान या फिर जो किसान बटाई पर खेती करते हैं. उनके पास हमेशा आर्थिक समस्या बनी हुई रहती है. यह इलाका पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा है तो इनके लिए दुर्गापूजा सबसे बड़ा पर्व होता है. जिसमें नए कपड़े पहनने की परंपरा है. साथ ही मिठाईयों और अन्य चीजों का भी खर्च शामिल रहता है. ये किसान गांव के महाजन या दुकानदार से दुर्गापूजा मनाने के लिए कुछ रुपये उधार लेते हैं और जनवरी माह में जब धान की फसल तैयार हो जाती है तो धान बेचकर वे महाजन, दुकानदार को उधार लिए हुए रुपए लौटा देते हैं. यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. अब समस्या यह है कि इस साल धान की खेती हुई ही नहीं तो महाजन या दुकानदार भी यह सोचकर उधार देने से मना कर देंगे कि वे कर्ज नहीं चुका पाएंगे.

देखें पूरी खबर

किसानों ने ईटीवी भारत को सुनाई अपनी व्यथा: ईटीवी भारत की टीम ने दुमका जिले के सदर प्रखंड के भुरकुंडा पंचायत के लिए लेटो गांव में धान की खेती खराब होने के संबंध में कुछ किसानों से बात की. गांव के ग्राम प्रधान सुनील टुडू सहित अन्य किसानों ने बताया कि हमने अपने कुछ जमा पैसे से धान के बीज और खाद खरीदे थे. उसके बाद बिचड़ा लगाया, खेत की जुताई भी की लेकिन, बारिश हुई ही नहीं, सूखा पड़ा हुआ है. खेत में पानी ही नहीं है बिचड़ा कैसे बोएं. अब तो धीरे-धीरे यह बिचड़ा भी खराब हो रहा है. हमारे सामने एक विकट समस्या खड़ी हो गई है. धान की फसल से हमारे लिए पूरे वर्ष का आहार आता है. इसके साथ ही किसानों का कहना है कि खाद्यान्न के साथ इस वर्ष एक बड़ी समस्या यह होगी कि दुर्गापूजा, काली पूजा कैसे मनाएंगे?

सरकार से मदद की गुहार: किसानों ने कहा कि दुर्गापूजा पूजा के समय हमारे घर में मेहमान आते हैं, उनका आदर सत्कार किया जाता है लेकिन, इस बार कुछ नहीं हो पाएगा क्योंकि महाजन और दुकानदार भी देख रहे हैं कि हमारे खेत में धान नहीं है. उसे मालूम है कि धान है ही नहीं तो उधार देने के बाद ये रुपये कैसे चुका पाएगा. जाहिर है कि इस साल दुर्गापूजा हमारे लिए बेरंग होगी. हम अपने बच्चों को कपड़े और मिठाईयां नहीं दे पाएंगे. ये गरीब किसान सरकार और जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका में इस बार समय पर बारिश नहीं होने से धान की खेती लगभग बर्बाद (Destruction of paddy crop) हो चुकी है. खेत में पानी नहीं रहने से बिचड़ा नहीं लगाया जा सका. इस इलाके में धान मुख्य फसल है और धान अगर नहीं उपजेगा तो खाने-पीने के लाले पड़ जाएंगे लेकिन, एक और बड़ी समस्या यह है कि इस बार यह गरीब किसान दुर्गापूजा में बच्चों को नए कपड़े और मिठाईयां नहीं दिला पाएंगे. इसे लेकर किसानों को अभी से चिंता सता रही है.

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दुर्गापूजा में खरीददारी के लिए महाजन से लेते हैं उधार: दुमका जिले के अधिकांश इलाकों में कम जोत वाले किसान या फिर जो किसान बटाई पर खेती करते हैं. उनके पास हमेशा आर्थिक समस्या बनी हुई रहती है. यह इलाका पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा है तो इनके लिए दुर्गापूजा सबसे बड़ा पर्व होता है. जिसमें नए कपड़े पहनने की परंपरा है. साथ ही मिठाईयों और अन्य चीजों का भी खर्च शामिल रहता है. ये किसान गांव के महाजन या दुकानदार से दुर्गापूजा मनाने के लिए कुछ रुपये उधार लेते हैं और जनवरी माह में जब धान की फसल तैयार हो जाती है तो धान बेचकर वे महाजन, दुकानदार को उधार लिए हुए रुपए लौटा देते हैं. यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. अब समस्या यह है कि इस साल धान की खेती हुई ही नहीं तो महाजन या दुकानदार भी यह सोचकर उधार देने से मना कर देंगे कि वे कर्ज नहीं चुका पाएंगे.

देखें पूरी खबर

किसानों ने ईटीवी भारत को सुनाई अपनी व्यथा: ईटीवी भारत की टीम ने दुमका जिले के सदर प्रखंड के भुरकुंडा पंचायत के लिए लेटो गांव में धान की खेती खराब होने के संबंध में कुछ किसानों से बात की. गांव के ग्राम प्रधान सुनील टुडू सहित अन्य किसानों ने बताया कि हमने अपने कुछ जमा पैसे से धान के बीज और खाद खरीदे थे. उसके बाद बिचड़ा लगाया, खेत की जुताई भी की लेकिन, बारिश हुई ही नहीं, सूखा पड़ा हुआ है. खेत में पानी ही नहीं है बिचड़ा कैसे बोएं. अब तो धीरे-धीरे यह बिचड़ा भी खराब हो रहा है. हमारे सामने एक विकट समस्या खड़ी हो गई है. धान की फसल से हमारे लिए पूरे वर्ष का आहार आता है. इसके साथ ही किसानों का कहना है कि खाद्यान्न के साथ इस वर्ष एक बड़ी समस्या यह होगी कि दुर्गापूजा, काली पूजा कैसे मनाएंगे?

सरकार से मदद की गुहार: किसानों ने कहा कि दुर्गापूजा पूजा के समय हमारे घर में मेहमान आते हैं, उनका आदर सत्कार किया जाता है लेकिन, इस बार कुछ नहीं हो पाएगा क्योंकि महाजन और दुकानदार भी देख रहे हैं कि हमारे खेत में धान नहीं है. उसे मालूम है कि धान है ही नहीं तो उधार देने के बाद ये रुपये कैसे चुका पाएगा. जाहिर है कि इस साल दुर्गापूजा हमारे लिए बेरंग होगी. हम अपने बच्चों को कपड़े और मिठाईयां नहीं दे पाएंगे. ये गरीब किसान सरकार और जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

Last Updated : Aug 3, 2022, 8:09 PM IST
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