दुमका: झारखंड सहित दुमका में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. दुमका में अब तक 266 कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, जिसमें 172 का इलाज हो चुका है, जबकि 94 संक्रमित मरीज इलाजरत हैं. इधर, बारिश के मौसम आ जाने से लोगों को सीजनल वायरल फीवर, सर्दी, जुकाम और खांसी भी हो रहा है. अब सीजनल वायरल फीवर और कोरोना में अंतर जानना बेहद जरूरी है. जिन लोगों को सीजनल बिमारी हो रही है उन्हें भी कोरोना होने का डर सताने लगा है.
क्या कहते हैं डीएमसीएच के डॉक्टर
डीएमसीएच के डॉक्टर देवाशीष रक्षित ने ईटीवी भारत को बताया कि सीजनल वायरल फीवर और कोरोना संक्रमण में क्या लक्षण है. उन्होंने बताया कि अभी के मौसम में किस तरह की सावधानियां बरती जानी चाहिए. डॉ देवाशीष रक्षित बताते हैं कि अभी के मौसम में जो बुखार आते हैं जिसे आम बोलचाल की भाषा में बरसाती बुखार भी कहा जाता है. इसमें लोगों को खांसी और सर्दी की भी शिकायत होती है. शरीर में दर्द रहता है. इसके साथ ही कोरोना संक्रमण के जो लक्षण हैं उसमें भी लगभग इसी तरह की परेशानी होती है, जो सीजनल वायरल फीवर में होता है.
उन्होंने बताया कि दोनों में अंतर करने के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान देने की जरूरत है जैसे अगर किन्ही को बुखार है, सर्दी, खांसी है तो यह देखना होगा कि उनका कोई ट्रैवल हिस्ट्री तो नहीं है, जहां कोरोना संक्रमण फैला हुआ है. दूसरा यह है कि क्या वह मरीज किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आया है जो कोविड - 19 का शिकार था या फिर उसके मोहल्ले आसपास में कोरोना संक्रमण फैला हुआ है. अगर इस तरह के सिम्टम्स लोगों में नजर आते हैं तो उनका कोविड-19 टेस्ट कराना जरूरी होता है. डॉक्टर कहते हैं कि कोरोना संक्रमण में मरीजों को बुखार, सर दर्द , कफ, सर्दी, गले में खराश रहता है. इसके साथ ही काफी लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके स्वाद और गंध पहचानने की क्षमता समाप्त हो जाती है.
इसे भी पढे़ं:- ग्रामीण विकास के मंत्री के जिले की सड़कें खस्ताहाल, सांसत में मुसाफिरों की जान
सीजनल वायरल फीवर में क्या है सावधानी
डॉ देवाशीष रक्षित ने बताया कि बरसात के मौसम में सीजनल वायरल फीवर के चांस काफी रहते हैं. इससे बचने के लिए लोग बरसात में नहीं निकलें. इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए पोष्टिक आहार लें और विटामिन सी की गोली का सेवन करें. इसके साथ ही प्रोटीन युक्तभोजन ज्यादा लें. इससे बरसाती बुखार से बचा जा सकता है.
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी
दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ रविंद्र कुमार ने ईटीवी भारत से बताया कि डीएमसीएच में कोरोना संक्रमित के दौर में मरीजों के लिए क्या सुविधा है. डॉ रविंद्र कुमार कहते हैं कि इस साल अप्रैल महीने में अस्पताल का आउटडोर बंद था. सिर्फ इमरजेंसी मामले देखे गए. उस वक्त मरीजों की संख्या कम थी. कोरोना के भय से मरीज भी अस्पताल कम आ रहे थे, लेकिन आऊटडोर खुलने के बाद मरीजों की संख्या बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि डीएमसीएच में जून महीने में 7857 मरीज देखे गए. वहीं, जुलाई में 4763 मरीजों ने यहां इलाज कराया है. डॉ रविंद्र कुमार बताते हैं कि डीएमसीएच में कोविड-19 का तो इलाज हो ही रहा है. अब तक लगभग 250 से अधिक मरीजों का इलाज यहां किया है, जबकि आम मरीजों को भी इलाज में किसी तरह की परेशानी नहीं होती है. जीएमसीएच में जो व्यवस्था है उसके अनुसार मरीजों को पर्याप्त सुविधा दिया जा रहा है. वायरल फीवर और कोरोना संक्रमण में अंतर को स्पष्ट करते हुए उन्होंने बताया कि सभी बुखार को कोविड -19 के नजरिए से देखना जरूरी नहीं है, अगर मरीज का कोई ट्रैवल हिस्ट्री है या फिर वह कहीं से संक्रमित होकर आया है. ऐसी स्थिति में जांच जरूरी होती है. डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट कहते हैं कि यहां कोविड-19 साथ अन्य मरीजों को भी बेहतर इलाज मिल रहा है.
मरीजों के आंकड़ों पर नजर
डीएमसीएच के पास अलग-अलग डिजीज के पेशेंट के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन मोटे तौर पर इस मरीजों के जो आंकड़े हैं वह इस प्रकार है...
1 . अप्रैल में लॉकडाउन के समय ओपीडी बंद था. उस वक्त सिर्फ भर्ती मरीजों का इलाज हुआ, जिसकी संख्या है...
पुरुष - 200
बच्चे- 65
वयस्क पुरुष-135
महिला - 228
बच्ची-26
वयस्क महिला-208
कुल - 428
2. मई में भी ओपीडी बंद था. उस वक्त सिर्फ भर्ती मरीजों का इलाज हुआ. उसकी संख्या है...
पुरुष - 224
बच्चे-71
वयस्क पुरुष-153
महिला - 351
बच्ची- 33
वयस्क महिला-311
कुल - 575
3 . जून में ओपीडी खुल गया और कुल 7857 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ.
भर्ती मरीजों की संख्या
पुरुष - 776
बच्चे- 216
वयस्क पुरुष -560
महिला - 1074
बच्ची- 108
वयस्क महिला-966
कुल भर्ती मरीज - 1850
4 . जुलाई में कुल 4763 मरीजों का हुआ रजिस्ट्रेशन.
भर्ती मरीजों की संख्या
पुरुष - 507
बच्चे- 195
वयस्क पुरुष -312
महिला - 959
बच्ची-102
वयस्क महिला -857
कुल भर्ती मरीज - 1466
दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल का भले ही दावा है कि अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ-साथ यहां अन्य मरीजों का भी बेहतर इलाज किया जा रहा है, लेकिन डीएमसीएच में संसाधनों के साथ-साथ डॉक्टरों और कर्मियों की कमी है. कई जांच उपकरण नहीं हैं. अस्पताल में जितना डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की जरूरत है उससे लगभग आधे कर्मी मौजूद हैं.