दुमका: जिले के जरमुंडी प्रखंड के धोबरना पहाड़िया गांव आज भी विकास से कोसों दूर है. इस गांव तक जाने के लिए न तो कोई सड़क है और न ही यहां के लोगों को किसी प्रकार की सरकारी सुविधा मिल पाती है. आज भी यहां लोग जानवरों जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं.
संक्रामक बीमारियों को न्योता
आजादी के 70 साल गुजर जाने के बाद भी आज दुमका के धोबरना पहाड़िया गांव गांव में सड़क नहीं पहुंची है, जिसके कारण बरसात के दिनों में यह गांव एक टापू बन कर रह जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में न तो सड़क है और ना ही पेयजल की कोई व्यवस्था. पेयजल के लिए चापाकल तो है, लेकिन चापाकल से पानी की निकासी के लिए नाली की समुचित व्यवस्था नहीं है. इस वजह से पानी घर के समीप जमा हो रहा है जो संक्रामक बीमारियों को न्योता दे रहा है.
ये भी पढ़ें-विदेश में पति की मौत पर एक पत्नी की गुहार, सीएम ने विदेश मंत्री से की अपील
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
इस संबंध में ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और सरकार से गुहार लगाई, लेकिन अब तक उनकी समस्याओं का कोई हल नहीं हुआ है. ऐसे में आदिम जनजाति पहाड़िया बाहुल्य इस गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव जनप्रतिनिधियों की ओर से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की घोर उपेक्षा को दर्शाता है. कहने को तो इस गांव में सरकार की विशेष नजर होती है, लेकिन अगर देखा जाए तो इस गांव किसी भी प्रकार का सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं है. सरकार को इस पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है, ताकि यहां के लोगों की स्थिति सुधर सके.