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40 लाख खर्च होने के बाद भी पूरा नहीं हुआ कला का मंदिर, जहां तैयार होते रंगकर्मी वह बना शौचालय - Dumka News in Hindi

दुमका का कला-संस्कृति भवन आठ सालों से अधूरा है. इस भवन में 40 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं. प्रशासनिक अनदेखी के कारण आठ सालों से यह भवन तैयार नहीं हो सका है. कलाकारों को यह भवन अब तक नसीब नहीं हुआ और बिना इस्तेमाल के ही जर्जर हो रहा है. झारखंड सरकार और दुमका जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.

Dumka Kala Sanskriti Bhavan
Dumka Kala Sanskriti Bhavan
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Published : Feb 26, 2022, 4:47 PM IST

दुमका: झारखंड सरकार कला-संस्कृति को बढ़ावा देने की बात कहती है. कलाकारों को सुविधा मिले इसके लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही है, लेकिन धरातल पर कुछ और ही स्थिति नजर आती है. दुमका जिले में आठ साल पहले एक कला-संस्कृति भवन का निर्माण शुरू हुआ था. इसमें 40 लाख रुपए खर्च भी हुए लेकिन आज तक यह पूरा नहीं हो सका है.

इसे भी पढ़ें: अस्पताल में डॉक्टर और दवाइयां नदारद, मरीजों का नहीं होता इलाज फिर भी खर्च होते हैं 20 लाख

दुमका कल्याण विभाग की थी योजना: साल 2013 में दुमका कल्याण विभाग द्वारा कला संस्कृति भवन की स्वीकृति प्रदान की गई थी. 50 लाख रुपए बजट के साथ निर्माण विभाग को इस कला-संस्कृति भवन का कार्य सौंपा गया. कला संस्कृति का यह भवन दुमका जिले के हिजला गांव में निर्माणाधीन है. हिजला गांव की विशेषता यह है कि यहां अंग्रेजों के जमाने से हर साल राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव का आयोजन होता है. एक सप्ताह के इस मेले में सैकड़ों कलाकार यहां पर अपनी कला का प्रदर्शन करने आते हैं. मेला में उन्हें रहने की सुविधा मिले, मेकअप साज-सज्जा के लिए ग्रीन रूम बने इन्हीं उद्देश्यों के साथ इस भवन का निर्माण शुरू किया गया था. 2015 तक इसका निर्माण कार्य काफी हद तक कर लिया गया. बताया जाता है कि 40 लाख रुपए खर्च भी हुए लेकिन बाद में 10 लाख रुपये का आबंटन प्राप्त नहीं हुआ जिसके कारण यह भवन आज तक अधूरा पड़ा हुआ है.

देखें पूरी खबर

शौचालय के तौर पर हो रहा इस्तेमाल: कलाकारों को यह भवन अब तक नसीब नहीं हुआ और बिना इस्तेमाल के ही जर्जर हो रहा है. इसके जमीन और बाथरूम में लगे टाइल्स उखड़ चुके हैं. स्थानीय लोग पूरे भवन का इस्तेमाल शौचालय के तौर पर कर रहे हैं.

असामाजिक तत्वों ने बनाया डेरा: असामाजिक तत्वों ने इस आधे-अधूरे भवन को अपना डेरा बना लिया है. शराब की खाली बोतलें यहां पर फेंकी नजर आती है. दिन भर नशेड़ियों का अड्डा रहता है.

झारखंड सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता: यह पूरी तरह से सरकार की राशि का दुरुपयोग कहा जा सकता है. एक अच्छे कार्य के लिए इस भवन का निर्माण हो रहा था, लेकिन प्रशासनिक अनदेखी की वजह से यह अधूरा है. ऐसे में झारखंड सरकार और दुमका जिला प्रशासन को पहल करते हुए इस भवन का निर्माण कार्य जल्द पूरा करवाना चाहिए और जिस उद्देश्य से यह बन रहा है वह पूरा हो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

दुमका: झारखंड सरकार कला-संस्कृति को बढ़ावा देने की बात कहती है. कलाकारों को सुविधा मिले इसके लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही है, लेकिन धरातल पर कुछ और ही स्थिति नजर आती है. दुमका जिले में आठ साल पहले एक कला-संस्कृति भवन का निर्माण शुरू हुआ था. इसमें 40 लाख रुपए खर्च भी हुए लेकिन आज तक यह पूरा नहीं हो सका है.

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दुमका कल्याण विभाग की थी योजना: साल 2013 में दुमका कल्याण विभाग द्वारा कला संस्कृति भवन की स्वीकृति प्रदान की गई थी. 50 लाख रुपए बजट के साथ निर्माण विभाग को इस कला-संस्कृति भवन का कार्य सौंपा गया. कला संस्कृति का यह भवन दुमका जिले के हिजला गांव में निर्माणाधीन है. हिजला गांव की विशेषता यह है कि यहां अंग्रेजों के जमाने से हर साल राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव का आयोजन होता है. एक सप्ताह के इस मेले में सैकड़ों कलाकार यहां पर अपनी कला का प्रदर्शन करने आते हैं. मेला में उन्हें रहने की सुविधा मिले, मेकअप साज-सज्जा के लिए ग्रीन रूम बने इन्हीं उद्देश्यों के साथ इस भवन का निर्माण शुरू किया गया था. 2015 तक इसका निर्माण कार्य काफी हद तक कर लिया गया. बताया जाता है कि 40 लाख रुपए खर्च भी हुए लेकिन बाद में 10 लाख रुपये का आबंटन प्राप्त नहीं हुआ जिसके कारण यह भवन आज तक अधूरा पड़ा हुआ है.

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शौचालय के तौर पर हो रहा इस्तेमाल: कलाकारों को यह भवन अब तक नसीब नहीं हुआ और बिना इस्तेमाल के ही जर्जर हो रहा है. इसके जमीन और बाथरूम में लगे टाइल्स उखड़ चुके हैं. स्थानीय लोग पूरे भवन का इस्तेमाल शौचालय के तौर पर कर रहे हैं.

असामाजिक तत्वों ने बनाया डेरा: असामाजिक तत्वों ने इस आधे-अधूरे भवन को अपना डेरा बना लिया है. शराब की खाली बोतलें यहां पर फेंकी नजर आती है. दिन भर नशेड़ियों का अड्डा रहता है.

झारखंड सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता: यह पूरी तरह से सरकार की राशि का दुरुपयोग कहा जा सकता है. एक अच्छे कार्य के लिए इस भवन का निर्माण हो रहा था, लेकिन प्रशासनिक अनदेखी की वजह से यह अधूरा है. ऐसे में झारखंड सरकार और दुमका जिला प्रशासन को पहल करते हुए इस भवन का निर्माण कार्य जल्द पूरा करवाना चाहिए और जिस उद्देश्य से यह बन रहा है वह पूरा हो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

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