दुमकाः किसी सरकारी दफ्तर से इलाके की दशा और दिशा तय की जाती है. लेकिन उस दफ्तर का क्या कहिए, जिन्हें खुद देखरेख की जरूरत है. दुमका के सिंचाई विभाग के भवन की हालत जर्जर है. खंडहर के रूप में तब्दील एक सरकारी भवन जिसमें छह विभाग संचालित हैं. यहां के कर्मचारी मौत के साए में काम करने को मजबूर हैं.
सरकार अपने सरकारी कार्यालयों को आधुनिक बनाने में लगी है तो इसकी शुरुआत दुमका के महुआडंगाल इलाके में सिंचाई विभाग के भवन से करनी चाहिए. यह भवन पूरी तरह से जर्जर हो गया है. ये बिल्डिंग इतनी जर्जर हो गयी है कि इसकी पीलर, दीवारें, छज्जे और छत की स्थिति ऐसी है कि यह कभी भी ढह सकता है. हैरानी की बात ये है कि इस एक भवन में एक दो नहीं बल्कि 6 अलग-अलग सरकारी विभाग के कार्यालय संचालित हो रहे हैं.
ये छह विभाग हैं, विशेष भू अर्जन कार्यालय, जनपथ अंचल दुमका, ग्रामीण विकास प्रमंडल अधीक्षण अभियंता का कार्यालय, भूगर्भ जल संरक्षण कार्यालय, सिंचाई विभाग अग्रिम योजना कार्यालय और झालको कार्यालय. इस भवन में संचालित छह विभागों के लगभग 60 कर्मचारी और अधिकारी काम करते हैं. इस भवन में काम करने वाले इन कर्मियों को हमेशा जान का खतरा बना रहता है. वो कहते हैं कि हमेशा यह डर बना रहता है कि पता नहीं कब यह भवन उन पर गिर जाए. वो सरकार और अपने विभाग से इस पर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं.
सिंचाई विभाग भवन जर्जर हाल में है, लगभग रोज इस भवन का कोई न कोई हिस्सा टूटकर नीचे गिर रहा है. इस भवन में संचालित भूगर्भ जल संरक्षण विभाग के उपनिदेशक प्रेम कुमार हांसदा भी मानते हैं कि यहां काम करने का उचित माहौल नहीं है, यह बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो गई है. उन्होंने बताया कि वो अपने कार्यालय को दूसरी जगह शिफ्ट करने की योजना पर काम कर रहे हैं. जिस भवन में सरकार के छह विभाग चल रहे हैं उसकी यह दुर्दशा समझ से परे है. सरकार और संबंधित विभाग को इस पर जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए.