दुमकाः अच्छा स्वास्थ्य हर किसी का अधिकारी है. इसको लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक प्रयासरत है. सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को गांव-गांव तक पहुंचाने की बात करती है. सुदूरवर्ती इलाकों में भी रहने वाले लोगों को चिकित्सीय सुविधा मिले इसकी चर्चा होती है लेकिन धरातल पर सच्चाई काफी अलग है. झारखंड की उपराजधानी दुमका की बात करें तो यहां सरकारी चिकित्सा व्यवस्था इतनी लचर है (Bad condition of health system) कि इसका अंदाजा भी लगा पाना मुश्किल है.
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दुमका में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का अंदाजा इसी आंकड़े से लगाया जा सकता है कि पूरे जिले में चिकित्सकों के कुल स्वीकृत पद 198 है जबकि सिर्फ 42 डॉक्टर पदस्थापित हैं. इस 42 पद में सिविल सर्जन को भी जोड़ा गया है. ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति तो और बदहाल है. जिला मुख्यालय के अस्पताल को अगर छोड़ दें तो ग्रामीण क्षेत्रों के कुल 264 अस्पताल में सिर्फ 19 चिकित्सक पदस्थापित (Shortage of doctors in Dumka) हैं. इससे जाहिर है कि मरीजों को चिकित्सीय सुविधा आखिर मिले भी तो कैसे मिले.
ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों की स्थिति पर एक नजरः दुमका के ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति काफी बदहाल (health system in dumka) है. यहां के सभी 10 प्रखंडों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र काम कर रहा है. जबकि पूरे जिले में सीएचसी की संख्या 36 है, वहीं स्वास्थ्य उप केंद्र की संख्या 218 है. सरकारी मानकों के अनुसार प्रखंड मुख्यालय में स्थित सीएचसी में कम से कम 3 से 4 चिकित्सक पदस्थापित होना चाहिए. वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी डॉक्टर को अपनी सेवा प्रदान करनी है. वहीं स्वास्थ्य उपकेंद्र में एनएम और पारा मेडिकलकर्मियों पर निर्भर होता है. लेकिन आपको बता दें कि दुमका के ग्रामीण क्षेत्रों के 264 अस्पताल में सिर्फ 19 डॉक्टर हैं. यह सभी प्रखंड मुख्यालय में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत हैं. जब प्रखंड स्तर के अस्पताल में ही चिकित्सक नहीं रहेंगे तो जो पंचायत और ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में डॉक्टर की कल्पना कैसे की जा सकती है.
जामा प्रखंड के नोनीहथवारी गांव का स्वास्थ्य केंद्र मिला बंदः ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था (rural health system) की स्थिति क्या है, इसका जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम ने जामा प्रखंड के नोनीहथवारी गांव के स्वास्थ्य केंद्र पहुंची. दिन के लगभग 11:00 बज रहे थे, नियम के अनुसार स्वास्थ्य केंद्र खुला होना चाहिए था. लेकिन यह बंद मिला और गेट पर ताला लटका नजर आया, आपसास के ग्रामीणों ने बताया कि यह स्वास्थ्य केंद्र बंद ही रहता है. लोगों ने बताया कि लगभग 50 लाख की लागत से इस अस्पताल का निर्माण हुआ था. पहले उन्हें छोटे-मोटे इलाज के लिए भी जिला मुख्यालय जाना पड़ता था. जब इस अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो उनको उम्मीद थी कि अब यहीं पर उन्हें चिकित्सीय सुविधा मिलेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि यह अस्पताल बंद अमुमन बंद ही रहता है, कभी-कभार कोई टीकाकरण का अभियान चलता है तो अस्पताल का गेट कुछ देर के लिए खुलता है, उसके बाद फिर बंद हो जाता है. हाल के महीनों में यह खुला ही नहीं है.
क्या कहते हैं दुमका सिविल सर्जनः जिला में स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर स्थिति के संबंध में ईटीवी भारत ने सिविल सर्जन डॉ. बच्चा प्रसाद सिंह (Dumka Civil Surgeon) से बात की. सिविल सर्जन ने बताया कि हमारे यहां चिकित्सकों की भारी कमी है, कुल डॉक्टर हमें 198 चाहिए पर पदस्थापित 42 हैं, उसमें मेरे अतिरिक्त दो-तीन डॉक्टर के जिम्मे कार्यालय का कामकाज है. उन्होंने बताया कि चिकित्सकों की कमी की वजह से बेहतर सुविधा देने में काफी परेशानी हो रही है. हालांकि इसके लिए उन्होंने सरकार से पत्राचार किया है, इस पर जो भी पहल होना है वो मुख्यालय स्तर से ही हो सकता है. इसके साथ ही उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि जहां तक पारा मेडिकलकर्मियों का सवाल है उसकी संख्या लगभग ठीक है. जिसमें नियमित स्टाफ के साथ अनुबंध और आउटसोर्सिंग वाले कर्मचारी शामिल हैं. इसके साथ ही दवाइयों की भी उपलब्धता पर्याप्त है.
सरकार को ध्यान देने की आवश्यकताः उपराजधानी का ऐसा हाल है तो सुदूर और ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था की कल्पना कैसे की जा सकती है. वैसे भी जब जिला में स्वीकृत पदों की अपेक्षा कम चिकित्सक होंगे तो लोगों को पर्याप्त इलाज कैसे मिलेगा. सरकार का दायित्व है कि वह लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराए. लेकिन दुमका में ऐसा नहीं हो पा रहा है. इसलिए सरकार को चाहिए कि इस मामले में आवश्यक कारवाई करें और जो भी कमियां हैं, उनकी भरपाई अतिशीघ्र किया जाए.