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आर्ट एंड क्लचर भवन का निर्माण कार्य महज पांच लाख रुपये के अभाव में सात वर्षों से है लटका, रंगकर्मियों और कलाकारों में निराशा - दुमका न्यूज

दुमका की आर्ट एंड क्लचर बिल्डिंग महज पांच लाख रुपये के अभाव में सात वर्षों से अधूरी (Art and Culture Building Construction Work) है. इस कारण क्षेत्र के रंगकर्मियों, कलाकारों और कला प्रेमियों को परेशानी हो रही है. सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन में मुश्किल हो रही है.

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Published : Nov 24, 2022, 8:50 PM IST

दुमकाः सरकार जनकल्याण के लिए विकास योजनाएं बनाती है और फिर बड़ी राशि खर्च कर उसे धरातल पर उतरती है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि सरकारी अधिकारियों के लापरवाही की वजह से योजना समय पर धरातल पर नहीं उतर पाती हैं. इससे योजना का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता है. इसका बड़ा नमूना दुमका में देखा जा सकता है. जहां सिर्फ पांच लाख की राशि नहीं प्राप्त होने की वजह से गवर्नमेंट आर्ट एंड कल्चर भवन का निर्माण कार्य (Art and Culture Building Construction Work) सात वर्षों में भी पूरा नहीं हो सका है.


जानें क्या है पूरा मामलाः दुमका में मयुराक्षी नदी के तट पर ब्रिटिश काल से हर साल सदर प्रखंड के हिजला ग्राम में जनजातीय मेला महोत्सव का आयोजन हो रहा (Hijla Tribal Fair Festival) है. इस दौरान यहां सात दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. जिसमें झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश से आये रंगकर्मियों, कलाकारों और कलाप्रेमियों से पूरा क्षेत्र गुलजार रहता है. ऐसे में आने वाले कलाकारों की सुविधा के साथ-साथ इस क्षेत्र को सांस्कृतिक गतिविधि से सालों भर गुलजार करने के लिए सरकार ने 2014 में यहां आर्ट एंड कल्चर बिल्डिंग का निर्माण कराने का निश्चय किया था. इसके लिए 45 लाख की कार्य योजना बनाई गई. भवन निर्माण विभाग द्वारा काम तय समय में शुरू भी हुआ. लगभग 90% काम होने के बाद इस भवन का निर्माण कार्य अधर में छोड़ दिया गया है. उचित देखरेख के अभाव में यह अधूरा भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है. नशेड़ियों का यहां जमावड़ा लग रहता है. शराब की बोतलें यहां फेंकी दिखाई देती हैं.

पांच लाख रुपये का नहीं हुआ आवंटनः इस अधूरे भवन के बारे में अभी कोई अधिकारी कुछ बताने से यह कहते हुए परहेज कर रहे हैं कि काफी पुरानी योजना है. वैसे प्राप्त जानकारी के अनुसार 45 लाख रुपए के इस भवन के निर्माण के लिए सिर्फ 40 लाख ही आवंटित हुई थी. पांच लाख रुपये प्राप्त नहीं हो सके. इस वजह से काम अधूरा छोड़ दिया गया है. बाद में अधिकारियों ने भी इसे पूरा करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि भवन को खंडहर में ही तब्दील होने के लिए छोड़ दिया गया हो. इसके फर्श और दीवारों में जो टाईल्स लगे हैं उसे असामाजिक तत्वों द्वारा उखड़ा जा रहा है. भवन में दरवाजे-चौखट नहीं लगे हैं, जबकि रंग-रोगन का काम भी बाकी है.

भवन बनने से कलाकारों को होती सहूलियतः भवन का निर्माण होने से आम दिनों में भी हिजला और आसपास के गांव के आदिवासी-संथालों को ही नही और दूसरे वर्ग के कलाकारों को भी अपनी सांस्कृतिक गतिविधि, कार्यक्रमों के आयोजन आदि में सहूलियत होती. वहीं प्रतिवर्ष लगने वाले हिजला मेला महोत्सव में जो दूर दराज से कलाकार आते हैं उनको आवासन की सुविधा मिलती.

सरकार का उद्देश्य नहीं हो रहा पूराः इस तरह से हम देख रहे हैं कि दुमका का यह गवर्नमेंट आर्ट एंड कल्चर बिल्डिंग का निर्माण बेहतर उद्देश्य को लेकर था, लेकिन आज तक यह अधूरा पड़ा है. सरकार और जिला प्रशासन को चाहिए कि इस पर ध्यान दें और अविलंब इसे पूर्ण करें.

दुमकाः सरकार जनकल्याण के लिए विकास योजनाएं बनाती है और फिर बड़ी राशि खर्च कर उसे धरातल पर उतरती है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि सरकारी अधिकारियों के लापरवाही की वजह से योजना समय पर धरातल पर नहीं उतर पाती हैं. इससे योजना का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता है. इसका बड़ा नमूना दुमका में देखा जा सकता है. जहां सिर्फ पांच लाख की राशि नहीं प्राप्त होने की वजह से गवर्नमेंट आर्ट एंड कल्चर भवन का निर्माण कार्य (Art and Culture Building Construction Work) सात वर्षों में भी पूरा नहीं हो सका है.


जानें क्या है पूरा मामलाः दुमका में मयुराक्षी नदी के तट पर ब्रिटिश काल से हर साल सदर प्रखंड के हिजला ग्राम में जनजातीय मेला महोत्सव का आयोजन हो रहा (Hijla Tribal Fair Festival) है. इस दौरान यहां सात दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. जिसमें झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश से आये रंगकर्मियों, कलाकारों और कलाप्रेमियों से पूरा क्षेत्र गुलजार रहता है. ऐसे में आने वाले कलाकारों की सुविधा के साथ-साथ इस क्षेत्र को सांस्कृतिक गतिविधि से सालों भर गुलजार करने के लिए सरकार ने 2014 में यहां आर्ट एंड कल्चर बिल्डिंग का निर्माण कराने का निश्चय किया था. इसके लिए 45 लाख की कार्य योजना बनाई गई. भवन निर्माण विभाग द्वारा काम तय समय में शुरू भी हुआ. लगभग 90% काम होने के बाद इस भवन का निर्माण कार्य अधर में छोड़ दिया गया है. उचित देखरेख के अभाव में यह अधूरा भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है. नशेड़ियों का यहां जमावड़ा लग रहता है. शराब की बोतलें यहां फेंकी दिखाई देती हैं.

पांच लाख रुपये का नहीं हुआ आवंटनः इस अधूरे भवन के बारे में अभी कोई अधिकारी कुछ बताने से यह कहते हुए परहेज कर रहे हैं कि काफी पुरानी योजना है. वैसे प्राप्त जानकारी के अनुसार 45 लाख रुपए के इस भवन के निर्माण के लिए सिर्फ 40 लाख ही आवंटित हुई थी. पांच लाख रुपये प्राप्त नहीं हो सके. इस वजह से काम अधूरा छोड़ दिया गया है. बाद में अधिकारियों ने भी इसे पूरा करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि भवन को खंडहर में ही तब्दील होने के लिए छोड़ दिया गया हो. इसके फर्श और दीवारों में जो टाईल्स लगे हैं उसे असामाजिक तत्वों द्वारा उखड़ा जा रहा है. भवन में दरवाजे-चौखट नहीं लगे हैं, जबकि रंग-रोगन का काम भी बाकी है.

भवन बनने से कलाकारों को होती सहूलियतः भवन का निर्माण होने से आम दिनों में भी हिजला और आसपास के गांव के आदिवासी-संथालों को ही नही और दूसरे वर्ग के कलाकारों को भी अपनी सांस्कृतिक गतिविधि, कार्यक्रमों के आयोजन आदि में सहूलियत होती. वहीं प्रतिवर्ष लगने वाले हिजला मेला महोत्सव में जो दूर दराज से कलाकार आते हैं उनको आवासन की सुविधा मिलती.

सरकार का उद्देश्य नहीं हो रहा पूराः इस तरह से हम देख रहे हैं कि दुमका का यह गवर्नमेंट आर्ट एंड कल्चर बिल्डिंग का निर्माण बेहतर उद्देश्य को लेकर था, लेकिन आज तक यह अधूरा पड़ा है. सरकार और जिला प्रशासन को चाहिए कि इस पर ध्यान दें और अविलंब इसे पूर्ण करें.

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