दुमकाः जिले के मेडिकल कॉलेज परिसर में मानसिक रोगियों के लिए एक अस्पताल है. यह व्यवस्था पूरे संथाल परगना के छह जिलों में सिर्फ यहीं की गई है, लेकिन इस मेंटल हॉस्पिटल में मनोचिकित्सक ही नहीं है. डॉक्टर के अभाव में मरीजों को काफी परेशानी होती है. लगभग 9 माह पहले जो चिकित्सक पदस्थापित थे उनका तबादला होने के बाद आज तक फिर डॉक्टर की पोस्टिंग नहीं हुई है.
पुराने मरीज जो डॉक्टर की प्रिसक्रिप्शन लेकर आते हैं, उन्हें यहां के मेडिकल कर्मी दवा दे देते हैं. ऐसे मरीजों की संख्या दो हजार से अधिक है. चिकित्सक नहीं रहने के कारण नए मरीज अब यहां बहुत कम आते हैं और जो आते हैं वह निराश होकर लौट जाते हैं.
मरीज के परिजन हैं परेशान
इस मानसिक चिकित्सालय में ऐसे मरीज जिनका लंबे समय से इलाज चल रहा है और उनके परिजन जब यहां दवा लेने के लिए पहुंचते हैं तो उन्हें दवा तो मिल जाती है, लेकिन वे चाहते हैं कि उन्हें अपडेटेड इलाज मिले. अगर डोज में परिवर्तन करनी है तो वह सलाह भी मिले, लेकिन उसे बताने के लिए डॉक्टर नहीं हैं. यहां इलाज के नाम पर खानापूर्ति हो रही है.
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क्या कहते हैं मरीज के परिजन
मनोरोगियों के परिजनों ने बताया कि डॉक्टर नहीं रहने से उन्हें काफी परेशानी होती है. दुमका के काठीकुंड से आए अरुण कुमार ने बताया कि उनके घर में एक सदस्य का इलाज यहां चल रहा है. साथ ही एक अन्य सदस्य को भी कुछ दिन से यह समस्या हो गई है लेकिन डॉक्टर नहीं रहने के कारण वे यहां उन्हें नहीं ला पा रहे हैं. वे चाहते हैं कि जल्द डॉक्टर की पोस्टिंग हो.
अस्पताल के कर्मचारी भी हैं परेशान
इस मेंटल हॉस्पिटल में काम कर रहे कर्मी अनूप मुर्मू ने बताया कि डॉक्टर नहीं होने से उन्हें भी यहां मन नहीं लगता है. उनका कहना है अब तो कई दवा भी यहां उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.
क्या कहते हैं डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट
इस संबंध में डीएमसीएच सुपरिटेंडेंट डॉ रवींद्र कुमार ने बताया कि मनोचिकित्सक नहीं रहने से परेशानी हो रही है. उन्होंने यह भी बताया कि मनोचिकित्सक की पदस्थापना के लिए उन्होंने विभाग को पत्र लिखा है.