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बूंद-बूंद को तरसते बच्चे, 509 आंगनबाड़ी और 99 सरकारी स्कूल हैंडपंप से महरूम

दुमका में सरकारी स्कूल के बच्चे बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. आलम ये है कि जिला के 509 आंगनबाड़ी केंद्र और 99 सरकारी विद्यालय को एक अदद चापाकल तक मयस्सर नहीं है. गर्मी की आमद को लेकर जिला प्रशासन व्यवस्था में जुट गया है.

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स्कूल चापाकल से महरूम
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Published : Mar 16, 2021, 1:01 PM IST

दुमकाः जिला के सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में छात्र-छात्राओं को हर सुविधाएं दी जाए. खासकर साफ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए चापाकल की व्यवस्था है. लेकिन दुमका में लगभग 2300 (तेईस सौ) सरकारी विद्यालय और 2060 (दो हजार साठ) आंगनबाड़ी केंद्र है. इनमें 99 सरकारी विद्यालय और 509 आंगनबाड़ी केंद्र में आज भी चापाकल नहीं है. जिन विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में चापाकल लगा है, वहां के बच्चों को आसानी से पीने का पानी मिल जाता है. जहां चापाकल नहीं है, वहां पर बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों और आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका-सहायिकाओं को भी परेशानी झेलनी पड़ती है.

देखें पूरी खबर

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क्या कहना है आंगनवाड़ी सेविका और स्कूल के शिक्षक का
दुमका जिला में 509 ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जहां पर आज भी चापाकल नहीं लगा है. इसी में से एक है जरूआडीह गांव का आंगनबाड़ी केंद्र. इस केंद्र की सेविका शालू कुमारी कहती हैं कि हमारे केंद्र में चापाकल नहीं है, इससे बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दूर से पानी लाकर उन्हें पिलाना पड़ता है, इससे हमें भी समस्या होती है. सदर प्रखंड के चांदोपानी गांव के स्कूल में चापाकल लगा है, वहां पहुंचने पर बच्चे चापाकल के इर्द-गिर्द दिखाई दिए और सभी आराम से पानी पी रहे थे. स्कूल के शिक्षक अमन कुमार कहते हैं कि इस चापाकल की वजह से हमारे बच्चों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध होता है.

उपायुक्त राजेश्वरी बी ने दी जानकारी
सरकारी विद्यालय में पेयजल की उपलब्धता को लेकर हमने जिला की उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की. उपायुक्त ने बताया कि हमारे यहां 23सौ विद्यालयों में 99 विद्यालय ऐसे हैं, जहां आज भी चापाकल नहीं लगा है. उनका कहना है कि यह सभी विद्यालय दुर्गम क्षेत्रों में है या फिर ड्राई जोन में है. डीसी राजेश्वरी बी कहती हैं कि इन विद्यालयों में पानी की व्यवस्था के लिए 15वें वित्त आयोग की निधि दी जा रही है. पेयजल विभाग को उन विद्यालयों की सूची दे दी गई है, जल्द ही सभी विद्यालय में पीने के पानी उपलब्ध होगा.

क्या कहती हैं जिला समाज कल्याण पदाधिकारी
दुमका के आंगनबाड़ी केंद्रों में पेयजल की उपलब्धता को लेकर जिला समाज कल्याण अधिकारी अनीता कुजूर बताती हैं कि जिला में 2060 आंगनबाड़ी केंद्र है, इसमें 509 आंगनबाड़ी केंद्र में चापाकल नहीं है जबकि 247 केंद्रों के चापाकल खराब हो चुके हैं. जिला समाज कल्याण पदाधिकारी कहती हैं कि चापाकल विहीन और खराब चापाकल वाले केंद्रों की सूची विभाग को दे दी गई है और जल्द ही इस समस्या का हल निकाल लिया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- सुरक्षा घेरे से बाहर हुई राज्य की उपराजधानी दुमका, शोपीस बनकर रह गए सीसीटीवी कैमरे


बेहतर स्वास्थ्य के लिए शुद्ध पेयजल अति आवश्यक
बेहतर स्वास्थय के लिए यह जरूरी है कि शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो. छोटे बच्चे जिन्हें अपने स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र में शुद्ध पेयजल उपलब्ध है वह स्वस्थ रहते हैं. वहीं जिन बच्चों को दूषित पेयजल मिल रहा है तो उनके बीमार पड़ने की संभावना बहुत अधिक रहती है. हम जानते हैं कि अधिकांश बीमारियां गंदा पानी पीने से होती है. ऐसे में दुमका में शत-प्रतिशत सरकारी विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों में पेयजल की व्यवस्था हो, इसके लिए जिला प्रशासन को इस पर गंभीरता दिखानी चाहिए.

दुमकाः जिला के सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में छात्र-छात्राओं को हर सुविधाएं दी जाए. खासकर साफ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए चापाकल की व्यवस्था है. लेकिन दुमका में लगभग 2300 (तेईस सौ) सरकारी विद्यालय और 2060 (दो हजार साठ) आंगनबाड़ी केंद्र है. इनमें 99 सरकारी विद्यालय और 509 आंगनबाड़ी केंद्र में आज भी चापाकल नहीं है. जिन विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में चापाकल लगा है, वहां के बच्चों को आसानी से पीने का पानी मिल जाता है. जहां चापाकल नहीं है, वहां पर बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों और आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका-सहायिकाओं को भी परेशानी झेलनी पड़ती है.

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क्या कहना है आंगनवाड़ी सेविका और स्कूल के शिक्षक का
दुमका जिला में 509 ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जहां पर आज भी चापाकल नहीं लगा है. इसी में से एक है जरूआडीह गांव का आंगनबाड़ी केंद्र. इस केंद्र की सेविका शालू कुमारी कहती हैं कि हमारे केंद्र में चापाकल नहीं है, इससे बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दूर से पानी लाकर उन्हें पिलाना पड़ता है, इससे हमें भी समस्या होती है. सदर प्रखंड के चांदोपानी गांव के स्कूल में चापाकल लगा है, वहां पहुंचने पर बच्चे चापाकल के इर्द-गिर्द दिखाई दिए और सभी आराम से पानी पी रहे थे. स्कूल के शिक्षक अमन कुमार कहते हैं कि इस चापाकल की वजह से हमारे बच्चों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध होता है.

उपायुक्त राजेश्वरी बी ने दी जानकारी
सरकारी विद्यालय में पेयजल की उपलब्धता को लेकर हमने जिला की उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की. उपायुक्त ने बताया कि हमारे यहां 23सौ विद्यालयों में 99 विद्यालय ऐसे हैं, जहां आज भी चापाकल नहीं लगा है. उनका कहना है कि यह सभी विद्यालय दुर्गम क्षेत्रों में है या फिर ड्राई जोन में है. डीसी राजेश्वरी बी कहती हैं कि इन विद्यालयों में पानी की व्यवस्था के लिए 15वें वित्त आयोग की निधि दी जा रही है. पेयजल विभाग को उन विद्यालयों की सूची दे दी गई है, जल्द ही सभी विद्यालय में पीने के पानी उपलब्ध होगा.

क्या कहती हैं जिला समाज कल्याण पदाधिकारी
दुमका के आंगनबाड़ी केंद्रों में पेयजल की उपलब्धता को लेकर जिला समाज कल्याण अधिकारी अनीता कुजूर बताती हैं कि जिला में 2060 आंगनबाड़ी केंद्र है, इसमें 509 आंगनबाड़ी केंद्र में चापाकल नहीं है जबकि 247 केंद्रों के चापाकल खराब हो चुके हैं. जिला समाज कल्याण पदाधिकारी कहती हैं कि चापाकल विहीन और खराब चापाकल वाले केंद्रों की सूची विभाग को दे दी गई है और जल्द ही इस समस्या का हल निकाल लिया जाएगा.

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बेहतर स्वास्थ्य के लिए शुद्ध पेयजल अति आवश्यक
बेहतर स्वास्थय के लिए यह जरूरी है कि शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो. छोटे बच्चे जिन्हें अपने स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र में शुद्ध पेयजल उपलब्ध है वह स्वस्थ रहते हैं. वहीं जिन बच्चों को दूषित पेयजल मिल रहा है तो उनके बीमार पड़ने की संभावना बहुत अधिक रहती है. हम जानते हैं कि अधिकांश बीमारियां गंदा पानी पीने से होती है. ऐसे में दुमका में शत-प्रतिशत सरकारी विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों में पेयजल की व्यवस्था हो, इसके लिए जिला प्रशासन को इस पर गंभीरता दिखानी चाहिए.

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