धनबाद: जिले में ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए बन रहा जल शोध संस्थान शराबियों का अड्डा बन गया है. यहां पानी की बोतलों से ज्यादा शराब की बोतलें मिलती हैं, जो बताने के लिए काफी है कि यहां जाम पे जाम छलकते होंगे. इसको लेकर त्रस्त ग्रामीणों ने हंगामा किया और 15 दिन के अंदर काम पूरा करने की चेतावनी पदाधिकारियों को दी.
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ग्रामीणों की प्यास बुझे इसलिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर जल शोध संस्थान का निर्माण करवाती है, इसके लिए समय सीमा भी तय की जाती है. लेकिन धनबाद में फेज टू में चल रहे जल शोध संस्थान का काम धीमा है और धीमा इसलिए है क्योंकि इस संस्थान में काम कम मदिरा पान ज्यादा होता है. बिल्डिंग परिसर में पानी की बोतलों से ज्यादा शराब की बोतले हैं, यहां काम के बजाए जाम पे जाम छलकाए जाते हैं.
पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल विभाग के परिसर में जल शोध संस्थान का निर्माण कार्य चल रहा है. लेकिन इस परिसर में कांट्रेक्टर साहब की टीम काम कम शराब का सेवन ज्यादा कर रही है. यह हम नहीं बल्कि यहां मिलने वाली शराब की बोतलों की तस्वीर बयां कर रही है. इस जल शोध संस्थान के भरोसे आसपास के 26 गांव हैं, जिनको पानी मिलना था. लेकिन कार्य में कोताही बरतने के कारण, आज यहां के ग्रामीण प्यासे हैं. भीषण गर्मी में प्यास को देखते हुए ग्रामीणों ने बलियापुर प्रखंड के कुसमाटांड पंचायत भवन के पास फेज टू के तहत बनाए गए जल शोध संस्थान में जाकर जमकर हंगामा किया. कॉन्ट्रेक्टर की लापरवाही पर जमकर फटकार भी लगाई, जिसके बाद ग्रामीणों ने 15 दिन के अंदर कंपनी को जल्द से जल्द काम पूरा करने की चेतावनी दी.
68 करोड़ की राशि से हो रहा जल शोध संस्थान का निर्माण: सरकार ने 68 करोड़ की राशि स्वीकृति कर जल शोध संस्थान निर्माण करने के लिए फेज टू के तहत निर्गत किया था. कंपनी को इस जल मीनार को 5 सालों के अंदर तैयार करके ग्रामीणों को पानी सप्लाई करना शुरू कर देना था. लेकिन समय सीमा पार कर गया और कांट्रेक्टर की लापरवाही के कारण आज इस भीषण गर्मी में 26 गांव के ग्रामीण बूंद बूंद को तरस रहे हैं. यहां कांट्रेक्टर पानी के काम को छोड़कर मदिरा पान में मस्त हैं. आश्चर्य है कि पूछने पर कांट्रेक्टर साहब स्वीकार भी करते हैं और साथ ही पत्रकारों को भी पीने की नसीहत भी देते हैं. बहरहाल, इनकी बातों से तो साफ है कि इनका मनोबल सातवें आसमान पर है. ऐसे कंस्ट्रक्शन कंपनियों के खिलाफ विभाग को कठोर कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि इनकी लापरवाही का खामियाजा भोली भाली जनता को ना भुगतना पड़े.