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अमावस्या को लेकर ना हों कंफ्यूज, यहां जानिए वट सावित्री पूजा का शुभ मुहूर्त - सत्यवान के प्राण

धनबाद में इस माह पड़ने वाली अमावस्या की तारीख पर सुहागिनों में असमंजस है. इससे धनबाद में वट सावित्री व्रत सुहागिनों दो दिन रख सकती हैं. वहीं इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी.

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अमावस्या का यह है समय
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Published : Jun 8, 2021, 9:14 PM IST

Updated : Jun 8, 2021, 10:53 PM IST

धनबाद: वट सावित्री व्रत को लेकर इस साल धनबाद की सुहागिनों में असमंजस है. इसकी तिथि पर पुरोहितों के अलग-अलग मत होने से धनबाद में वट सावित्री व्रत रखने पर सुहागिन महिलाओं में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. इससे महिलाएं अलग-अलग दो दिन व्रत रखने की तैयारी कर रही हैं. धनबाद के खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय ने वट सावित्री व्रत को लेकर ईटीवी भारत की टीम से वट सावित्री व्रत की जानकारी दी.

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अन्नदाता आत्महत्या करने को मजबूर! साहूकार और बैंक के कर्ज में दबे हैं किसान, मदद की दरकारधनबाद के खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय ने बताया कि अमावस्या नौ तारीख बुधवार को एक बजकर पंद्रह मिनट में लग रही है. इसके साथ ही दस तारीख यानी गुरुवार को 3 बजकर 15 मिनट तक है. गुरुवार दस तारीख को सुहागिनें व्रत रख सकती हैं. वट सावित्री की पूजा प्रातःकाल सर्वोत्तम रहती है, लेकिन 3 बजकर 15 मिनट तक पूजा विधि विधान के साथ की जा सकती है. उन्होंने बताया कि महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र और रक्षा की कामना के लिए व्रत करती हैं.
देखें पूरी खबर

क्या है वट सावित्री व्रत को लेकर मान्यता
वट सावित्री पूजा के बारे में धार्मिक मान्यता है कि भद्र देश के राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री से साल्व देश के राजा सत्यवान की शादी हुई थी. राजा सत्यवान अल्प आयु थे. पति की मृत्यु के बाद सावित्री ने घोर तपस्या की. इस दरमियान वट पेड़ की जटाओं ने मृत सत्यवान के शरीर को जंगली जानवरों से सुरक्षित रखा था. सावित्री की तपस्या से प्रसन्न होकर यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए. तब से सावित्री के जैसे सुहागिन, अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं. एक मान्यता यह भी है कि सावित्री मृत्‍यु के देवता यमराज से अपने पति सत्‍यवान के प्राण वापस ले आने में सफल हो गई थी. इसके अलावा वट सावित्री व्रत के दिन ही शनि जयंती भी मनाई जाती है.

कैसे रखते हैं व्रत

सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए इस दिन वट यानी कि बरगद के पेड़ के नीचे कच्चे धागा एवं फल मेवा चढ़ाकर पूजा-अर्चना करती हैं. साथ ही सावित्री और सत्‍यवान की कथा सुनती हैं. मान्‍यता है कि इस व्रत को रखने से पति पर आए संकट टल जाते हैं और उसकी आयु लंबी हो जाती है.

धनबाद: वट सावित्री व्रत को लेकर इस साल धनबाद की सुहागिनों में असमंजस है. इसकी तिथि पर पुरोहितों के अलग-अलग मत होने से धनबाद में वट सावित्री व्रत रखने पर सुहागिन महिलाओं में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. इससे महिलाएं अलग-अलग दो दिन व्रत रखने की तैयारी कर रही हैं. धनबाद के खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय ने वट सावित्री व्रत को लेकर ईटीवी भारत की टीम से वट सावित्री व्रत की जानकारी दी.

ये भी पढ़ें-अन्नदाता आत्महत्या करने को मजबूर! साहूकार और बैंक के कर्ज में दबे हैं किसान, मदद की दरकारधनबाद के खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय ने बताया कि अमावस्या नौ तारीख बुधवार को एक बजकर पंद्रह मिनट में लग रही है. इसके साथ ही दस तारीख यानी गुरुवार को 3 बजकर 15 मिनट तक है. गुरुवार दस तारीख को सुहागिनें व्रत रख सकती हैं. वट सावित्री की पूजा प्रातःकाल सर्वोत्तम रहती है, लेकिन 3 बजकर 15 मिनट तक पूजा विधि विधान के साथ की जा सकती है. उन्होंने बताया कि महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र और रक्षा की कामना के लिए व्रत करती हैं.
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क्या है वट सावित्री व्रत को लेकर मान्यता
वट सावित्री पूजा के बारे में धार्मिक मान्यता है कि भद्र देश के राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री से साल्व देश के राजा सत्यवान की शादी हुई थी. राजा सत्यवान अल्प आयु थे. पति की मृत्यु के बाद सावित्री ने घोर तपस्या की. इस दरमियान वट पेड़ की जटाओं ने मृत सत्यवान के शरीर को जंगली जानवरों से सुरक्षित रखा था. सावित्री की तपस्या से प्रसन्न होकर यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए. तब से सावित्री के जैसे सुहागिन, अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं. एक मान्यता यह भी है कि सावित्री मृत्‍यु के देवता यमराज से अपने पति सत्‍यवान के प्राण वापस ले आने में सफल हो गई थी. इसके अलावा वट सावित्री व्रत के दिन ही शनि जयंती भी मनाई जाती है.

कैसे रखते हैं व्रत

सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए इस दिन वट यानी कि बरगद के पेड़ के नीचे कच्चे धागा एवं फल मेवा चढ़ाकर पूजा-अर्चना करती हैं. साथ ही सावित्री और सत्‍यवान की कथा सुनती हैं. मान्‍यता है कि इस व्रत को रखने से पति पर आए संकट टल जाते हैं और उसकी आयु लंबी हो जाती है.

Last Updated : Jun 8, 2021, 10:53 PM IST
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