धनबादः बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ सरकार का यह स्लोगन आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से बनाया गया है. लेकिन इस स्लोगन का बेटी पढ़ाओ सरकार के बालिका आवासीय विद्यालय को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है.
हम बात कर रहें है बालिका आवासीय विद्यालय बाघमारा की. वार्षिक परीक्षा देने में नवम वर्ग की छात्राओं और उनके अभिभावकों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. नवम वर्ग की वार्षिक परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्रों को 20 किलोमीटर दूर मलकेरा जाना पड़ रहा है. गरीब तबके में बच्चों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए हर दिन 100 रुपए का भुगतान करना (students go to examination center with own money) पड़ रहा है. विद्यालय प्रबंधन फंड की कमी का रोना रो रहे हैं.
बालिका आवासीय विद्यालय (Girls Residential School in Dhanbad) में वैसी बच्चियां पठन पाठन करती हैं, जिनके माता पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नही है. गरीब तबके की छात्राएं स्कूल में पढ़ाई करती है. सरकार की ओर से पढ़ाई के लिए उन्हें हर तरह की सुविधा मुहैया कराई जाती है. नौवीं की वार्षिक परीक्षा शुरू होने के साथ ही छात्राओं की परेशानी बढ़ गई है. परीक्षा केंद्र 20 किलोमीटर की दूरी पर मलकेरा बीटीएम उच्च विद्यालय जाने के लिए बस का सहारा लेना पड़ रहा है.
बस के लिए हर दिन 100 रुपए का भुगतान करना पड़ रहा है. ऐसा पहली बार हुआ है जब छात्राओं को खुद से बस किराया वहन करना पड़ रहा है. छात्रा पूजा कुमारी कहती है कि उसके पिता का निधन हो चुका है, जीजा और मौसी उनका पालन पोषण करते हैं. जीजा राज मिस्त्री का काम करते हैं जबकि मौसी को पेंशन मिलता है, जिससे अपने परिवार का गुजारा करते हैं. विभाग की ओर से परीक्षा केंद्र तक आने जाने के लिए बस किराया नहीं देने के कारण अतिरिक्त बोझ अभिभावकों पर पड़ रहा है.
वहीं इस मामले को लेकर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सुभाष कुमार ने बताया कि छात्राओं को परीक्षा केंद्र तक ले जाने के लिए इस बार विभाग की ओर से फंड नहीं दिया गया है. फंड नहीं रहने के कारण बस की व्यवस्था नहीं की जा सकी है. छात्राओं के अभिभावकों के द्वारा खुद से बस किराया वहन किया जा रहा है. आवासीय विद्यालय में वैसे बच्चियां पढ़ती हैं, जिनके माता पिता दो रोटी के लिए जिंदगी से जद्दोजहद करते हैं. सरकार ऐसी बच्चियों को मुफ्त शिक्षा देने का दावा जरूर करती है लेकिन सरकार की उन दावों की पोल कहीं ना कहीं खुल ही जाती है.