धनबादः राज्य ने कृषि बाजार शुल्क में 2 फीसदी बढ़ातरी की है. इसके खिलाफ बुधवार को जिले के व्यवसायियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दिया है. हड़ताल के पहले दिन हड़ताल का व्यापक असर दिखा. बाजार शुल्क के विरोध में व्यवसायियों ने खाद्यान्न की दुकानें बंद रखी. जिले के बरवाअड्डा स्थित कृषि बाजार में आम दिनों की हलचल और भींड की जगह सन्नाटा पसरा था.
कृषि बाजार परिसर में बाजार शुल्क के खिलाफ व्यावसायियों ने विरोध प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. कृषि बाजार बंद होने से धनबाद और आसपास के जिलों में खाद्यान्न सामाग्री की आपूर्ति नहीं गई है. इसके साथ ही करीब 10 हजार असंगठित मजदूर लाभान्वित होते हैं. इस हड़ताल से आमलोगों के साथ साथ मजदूरों की समस्या बढ़ गई है.
सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे व्यवसायियों ने कहा कि कृषि बिल को 2008 में समाप्त कर दिया गया था. कृषि बिल लागू होने पर भ्रष्टाचार बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि 27 अप्रैल 2015 को रघुवर सरकार ने सर्वे कराने के बाद खत्म कर दिया था. उन्होंने कहा कि साल 2015 में कृषि शुल्क खत्म की गई, तब झारखंड में राइस मिल की संख्या 85 थी. अब बढ़कर 137 हो गई है. उन्होंने कहा कि शुल्क बढ़ोतरी से सीधा नुकसान किसानों के साथ साथ आमलोगों का होगा.
कृषि बाजार समिति के अध्यक्ष बिनोद गुप्ता ने कहा कि जल जंगल और जमीन के नारे के साथ झारखंड में जेएमएम और कांग्रेस की सरकार बनी. उन्होंने कहा कि यह सरकार गरीब की सरकार माना गया. लेकिन उन्हीं गरीब और किसानों पर सरकार ने बोझ डाल दिया है. बाजार शुल्क का सबसे अधिक बोझ आम जनता पर पड़ने वाला है.