धनबाद: जिले के पुराना बाजार टेंपल रोड में मौजूद कला संगम समिति, एक और 5 रुपए के सिक्कों से मां दुर्गा की मूर्ति सजा रही है. जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यह समिति 62 सालों से दुर्गा पूजा का आयोजन कर रही है, लेकिन 1996 से यहां पर कुछ नए तरीके से मूर्ति को सजाया जाता है. जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं.
कुछ अलग करने की सोच
1957 में यहां पूजा शुरू हुई थी. जिसके बाद 1996 में यहां के स्थानीय युवाओं ने जब से पूजा की बागडोर अपने हाथों में ली, तब से इस जगह ने जिले में अपनी अलग पहचान बनाई है. यहांअलग-अलग तरीकों से मूर्ति को सजाने का काम किया गया है. यहां पर अब तक साबुन, कमीज में लगने वाले बटन, अभ्रक, लकड़ी का बुरादा, दाल जैसी चीजों से मूर्ति को सजाने का काम किया जा चुका है. इसी कड़ी में इस बार सिक्कों से मूर्ति को सजायी जा रही है.
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लोगों के सहयोग से जमा हो सके सिक्के
इस बारे में स्थानीय युवाओं ने कहा कि 1 रुपए के छोटे सिक्के जो अब बाजार में चलन में नहीं हैं, ज्यादातर दुकानदार अब इस सिक्के को लेना नहीं चाहते हैं. इन सिक्कों से यह मूर्ति को सजायी जा रही है. जिसके लिए कमेटी के सभी सदस्य सोशल मीडिया का भी उपयोग करते हुए लोगों से सिक्के इकट्ठा कर रहे हैं. 1 लाख 51 हजार सिक्के का उपयोग मूर्ति को सजाने में किया जाएगा.
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मूर्ति की खुबसूरती निहारने को विवश हो जाते हैं लोग
कमेटी के लोगों ने बताया कि बहुत जगहों पर तरह-तरह से मूर्ति को सजाने का काम किया जाता है. लोगों को मूर्ति दिखाने की होड़ लगी रहती है. जिस वजह से कला संगम समिति के लोगों ने हर बार कुछ नया करने की सोची, जिससे दूर-दूर से लोग मूर्ति देखने के लिए आने पर विवश हो जाएं. मूर्ति देखने के बाद उनके कामों की सराहना भी लोग करेंगे. इसी चाहत में कमेटी के सभी सदस्य जी-जान से नई-नई मूर्ति को सजाने का काम करते हैं. यहां पर दुर्गा, गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी, सरस्वती और अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति को सिक्कों से सजाया जा रहा है. सभी देवताओं के वाहन को भी सिक्कों से सजाया जा रहा है. इन सभी में एक रुपए के सिक्कों का उपयोग किया जा रहा है. जबकि दुर्गा मां की सवारी शेर को पांच के सिक्कों से सजाने का काम कमेटी के सदस्य कर रहे हैं.
कला संगम के लोगों ने कहा की फेसबुक, व्हाट्सएप के जरिए भी लोगों से सिक्का मांगा जा रहा है. लोग स्वेच्छा से मां को चढ़ावा देने के नाम पर सिक्के लाकर दे भी रहे हैं. कला संगम समिति के लोगों का कहना है कि जब मूर्ति बनकर तैयार हो जाएगी तो यह पूरे जिले में आकर्षण का केंद्र रहेगा.