धनबाद: सिंह मेंशन और रघुकुल दोनों प्रमुख घरानों के दो फाड़ होने के बाद इनके द्वारा चलाए जा रहे यूनियन जनता मजदूर संघ (कुंती गुट) और जनता मजदूर संघ (बच्चा गुट) बना था, लेकिन अब सिंह मेंशन में एक गुट और भी तैयार हो गया है. सिंह मेंशन समर्थित इस गुट के नए मजदूर यूनियन का नाम जनता श्रमिक संघ है. जिसका रजिस्ट्रेशन भी हो चुका है. रविवार को एक निजी होटल में इसकी औपचारिक घोषणा कर दी गई है.
रागिनी सिंह जनता श्रमिक संघ की संरक्षक बनीः जनता श्रमिक संघ के महामंत्री झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह हैं. जबकि बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सह संजीव सिंह की धर्मपत्नी रागिनी सिंह संगठन की संरक्षक हैं. चुनाव के बाद संगठन के पदाधिकारियों की घोषणा की गई है. अभिषेक सिंह और गौरव वक्ष संयुक्त महामंत्री बनाए गए हैं. जबकि प्रदीप सिन्हा उपाध्यक्ष और अध्यक्ष के रूप में संतोष सिंह का चयन किया गया है.मजदूर यूनियन बनाने को लेकर संगठन के पदाधिकारियों का अपना ही तर्क है. पदाधिकारियों का कहना है कि कोयला क्षेत्र में कई यूनियन कार्यरत हैं. कई अन्य उद्योग भी यहां संचालित हैं. जिनमें जनता को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है. जनता और श्रमिकों की समस्याओं का समाधान करना ही संगठन का मुख्य लक्ष्य है.
सिंह मेंशन मजदूर संघ पहले से है सक्रियः बता दें कि सिंह मेंशन जनता मजदूर संघ(कुंती गुट) पहले से ही मजदूरों की लड़ाई लड़ रहा है. मजदूरों के मसीहा कहे जाने वाले सूर्यदेव सिंह इस यूनियन से मजदूरों की हक की लड़ाई लड़ते रहे. वर्तमान में सूर्यदेव सिंह के छोटे बेटे मनीष सिंह उर्फ सिद्धार्थ गौतम कर्ता-धर्ता हैं. इसके साथ ही इस यूनियन के तहत ही वह जेबीसीआई के सदस्य भी हैं.
नए यूनियन जनता श्रमिक संघ के महामंत्री हैं संजीव सिंहः सूर्यदेव सिंह के बेटे सह झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह नए यूनियन जनता श्रमिक संघ के महामंत्री हैं. वहीं संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह संगठन की संरक्षक हैं. जानकारों की माने तो रागिनी सिंह को राजनीतिक कमान सौंपी गई है. जबकि संजीव सिंह के भाई मनीष सिंह को जनता मजदूर संघ (कुंती गुट) की कमान सौंपी गई है. रागिनी सिंह का आशियाना सिंह मेंशन है, जबकि मनीष सिंह का आशियाना कुंती निवास है.
रागिनी और संजीव ने मिलकर एक अलग मजदूर यूनियन बनायाः जानकार सूत्र बताते हैं कि नीरज सिंह हत्याकांड में संजीव सिंह के जेल जाने के बाद मेंशन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. पारिवारिक विवाद मेंशन में चरम पर है. यही वजह है कि रागिनी और संजीव के द्वारा एक अलग मजदूर यूनियन बनाया गया है. बता दें कि बीसीसीएल के विभिन्न कोलियरियों में जनता मजदूर संघ की आज भी तूती बोलती है. श्रमिकों की समस्या हो या फिर वर्चस्व जनता मजदूर संघ मजदूरों और बीसीसीएल अधिकारियों में विशेष पैठ रखता है. अब देखना है कि जनता श्रमिक संघ कोलियरियों में अपना भविष्य किस प्रकार तलाशता है.