धनबाद: जिले के गोविंदपुर स्थित रैजली बांध सरकारी उदासीनता का शिकार हो गया है. लगभग 20 एकड़ में फैले इस तालाब के पानी को लोग कभी पीते थे और जेएमपी कैंप 3 में कभी पानी की सप्लाई होती थी लेकिन आज यह गोविंदपुर के लिए वरदान की जगह अभिशाप साबित हो रहा है. पूरे बाजार की गंदगी यही फेंकी जा रही है. इसके साथ ही तालाब की जमीन पर भू माफियाओं की भी नजर है. कुछ हिस्सों में तो अतिक्रमण भी हो चुका है.
बता दें कि जिस रिस्ले बांध का निर्माण अंग्रेज अधिकारियों ने पानी की समस्या से निपटने के लिए करवाया था वह गोविंदपुर के लिए वरदान की जगह आज अभिशाप साबित हो रही है. पूर्व में एक केमिकल कारखाना की वजह से इस तालाब का पानी दूषित हो गया जिसके वजह से यह पानी उपयोग में नहीं आने लगा. हालांकि, अब वह केमिकल कारखाना भी बंद हो चुका है.
गौरतलब है कि 1852 में जब मानभूम जिला के अधीन गोविंदपुर को अनुमंडल बनाया गया तब इसे सबसे उपयुक्त समझा गया था तब धनबाद का विकास नहीं हुआ था. उस वक्त धनबाद को धनबाईद के नाम से जाना जाता था. सन 1918 में टी लुबी जब धनबाद के अतिरिक्त आयुक्त बने तो उन्होंने धनबाईद से अंग्रेजी के आई अक्षर को हटाने की सरकार से सिफारिश कर दी जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया और तब से वह धनबाद बन गया.
बता दें कि यह तालाब जिला परिषद के अधीन आता है और बीच में इसकी सौंदर्यीकरण की योजना भी बनी थी. वोट चालन की भी व्यवस्था हुई थी लेकिन वह कार्य पूरा नहीं हो सका और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. उसके बाद से इस पर समय-समय पर सौंदर्यीकरण की बात कही जा रही है, लेकिन कब होगा यह किसी को पता नहीं है. वर्तमान समय में पूरे गोविंदपुर बाजार का कचड़ा तालाब में ही फेंका जाता है और धीरे-धीरे तालाब की जमीन भी सिकुड़ती जा रही है जो तालाब कभी लगभग 20 एकड़ में हुआ करती थी. उसका क्षेत्रफल आज काफी कम हो चुका है जिस पर सरकार की कोई नजर नहीं है.
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धनबाद के प्रभारी उपायुक्त सह उप विकास आयुक्त बालकिशन मुंडा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस तालाब के बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन अगर ऐसा है तो यह बहुत अच्छी बात है और तालाब का निरीक्षण कर वहां इस तालाब में क्या-क्या संभावनाएं हैं इस पर भी विचार किया जाएगा.