धनबाद: कोयलांचल धनबाद को देश की कोयला राजधानी कहा जाता है. यहां के कोयले ने देशभर में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई है. धनबाद में कोयला और पानी दोनों से बिजली भी बनाई जाती है, लेकिन उसके बावजूद बिजली की समस्या और पीने के पानी की समस्या के लिए भी कोयलांचल को जाना जाता है. अब पानी की समस्या का निदान होने वाला है. नगर विकास विभाग की ओर से जुडको के सहयोग से एक ऐसा कार्य किया जा रहा है, जो पानी की समस्या को झेल रहे धनबाद वासियों के लिए वरदान साबित होगा.
कोयलांचल धनबाद की पहचान कोयले के लिए होती है यहां पर प्रचुर मात्रा में कोयला है और झारखंड के समृद्ध जिलों में इसे गिना जाता है. कोयले के कारण पूरे देशभर में रेलवे माल ढुलाई में नंबर वन का भी खिताब धनबाद ने हासिल कर चुका है. परंतु धनबाद के लोगों को खासकर जिस झरिया इलाके से कोयलांचल को जाना जाता है, वहां पर लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कभी आग से तो कभी पानी से, क्योंकि उन्हें भूमिगत आग के कारण भी परेशानी होती है और पीने की पानी भी मयस्सर नहीं होती. हालांकि इस योजना से अभी फिलहाल झरिया को पानी सप्लाई नहीं की जाएगी.नगर विकास विभाग की ओर से एक ऐसी पहल की गई है. जिससे धनबाद के शहरी इलाकों में पीने के पानी का समस्या का निदान होने वाला है. नगर निगम क्षेत्र में पड़ने वाले ढांगी पहाड़ पर एक सब का निर्माण करवाया जा रहा है. पहाड़ के ऊपरी हिस्से पर होने के कारण अगर बिजली की संकट झेल रहे, धनबाद में बिजली की संकट भी होती है तो भी पानी की सप्लाई पर असर नहीं पड़ेगा. लगभग 8 दिनों तक बगैर बिजली के ही पानी लोगों तक पहुंचाई जा सकती है. पानी को पहाड़ के ऊपर तक पहुंचाने के लिए बिजली की जरूरत पड़ेगी लेकिन सप्लाई के लिए नहीं.कोयलांचल धनबाद में भीषण पानी की समस्या को देखते हुए मैथन डैम से वर्षों पूर्व मैथन जलापूर्ति योजना की शुरुआत की गई थी. जिससे थोड़ी बहुत राहत कोयलांचल वासियों को जरूर मिली थी, लेकिन बिजली की संकट के कारण यह नाकाफी साबित हुई और लोगों के हलक तक पानी आज तक भी नसीब नहीं होती है. जबकि यहां पर मैथन डैम से पानी से डीवीसी की ओर से बिजली बनाई जाती है और एमपीएल की ओर से कोयले से बिजली बनाकर देश की राजधानी तक सप्लाई भी की जाती है. उसके बावजूद कोयलांचल में बिजली की समस्या लगातार होती रहती है, लेकिन नगर विकास विभाग के इस किए गए कार्य की ओर से बिजली की समस्या होने के बावजूद भी पानी की सप्लाई नहीं रुकेगी और लोगों को पानी बगैर बिजली के ही पहुंचाई जा सकती है.मैथन-भेलाटांड़ समानांतर जलापूर्ति योजना के तहत धनबाद शहर से सटे इस लगभग 500 फीट ऊंचाई वाले पहाड़ पर नगर विकास विभाग जुडको के सहयोग से एक संप का निर्माण कर रहा है. संप के निर्माण के पूर्व पहाड़ को काटकर पाइप लाइन बिछाने का काम लगभग आधा से ज्यादा हो भी चुका है. पाइप लाइन बिछाने के बाद पहाड़ के ऊपरी सतह पर 8.6 एमएलडी क्षमता वाले एक संप का निर्माण कराया जाएगा. इसके तैयार होने के बाद बगैर बिजली के ही हजारों घरों तक पानी पहुंचाने का कार्य किया जा सकता है. इस संप में पानी केवल भेलाटांड़ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से ही नहीं बल्कि जामाडोबा ट्रीटमेंट प्लांट से भी दामोदर का पानी आएगा. जामाडोबा से भेलाटांड़ तक पाइप बिछाने का काम शहरी जलापूर्ति योजना के तहत पहले ही किया जा चुका है.
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इसका निर्माण कार्य एलएंडटी कंपनी की ओर से किया जा रहा है. इस योजना के पूरा हो जाने से शहर के पुराना बाजार, गांधी नगर धनसार, जोड़ा फाटक, बैंक मोड़, बरटांड, जगजीवन नगर, हीरापुर, धैया, स्टील गेट, कोला कुसमा जैसे इलाकों में पानी की सप्लाई की जाएगी. स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरे झारखंड में ही बिजली की समस्या होती रहती है और झारखंड में पहाड़ों की कोई कमी भी नहीं है तो जहां जा भी इस प्रकार के पहाड़ है. उन सभी जगहों पर ऐसी योजना चालू करनी चाहिए ताकि लोगों को पीने की पानी जैसी समस्या से राहत मिल सके. फिलहाल नगर निगम इलाके में ही पानी की सप्लाई की जाएगी. जिसको लेकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों का कहना है कि यह पहाड़ पूरे धनबाद की संपत्ति है और इस प्रकार का लाभ ग्रामीण और शहरी दोनों इलाके के लोगों को मिलना चाहिए.
इस संप के निर्माण में करोड़ों खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. जुडको प्रोजेक्ट मैनेजर डेनियल आजाद ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इसका निर्माण कार्य एलएनटी कंपनी की ओर से किया जा रहा है और जुडको इसकी मॉनिटरिंग करने का काम कर रहा है. लगभग साल भर में इस संप का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. इस योजना के तहत लगभग 500 किलोमीटर तक पाइप लाइन बिछाया जा रहा है. पाइप लाइन बिछाने का काम 50% तक पूरा हो भी चुका है. इस योजना के पूर्ण होने के बाद लगभग 50 हजार से अधिक घरों में पानी पहुंचाया जाएगा. जिससे पानी की समस्या झेल रहे लाखों लोगों को इसका लाभ मिलेगा. अब इस योजना का धरातल पर उतरने का इंतजार है.