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लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए मोहली समुदाय के लोग, रोजी रोटी पर संकट - Mohali community unemployed

धनबाद में रहने वाले मोहली समुदाय पर कोरोना और लॉकडाउन का बुरा असर पड़ा है, सूप बीनकर अपनी जिंदगी बसर करने वाले इस समुदाय के पास अब रोजगार नहीं है, ऐसे में उनके लिए घर चलाना मुश्किल हो रहा है.

lokadaun mein berojagaar hue mohalee samudaay ke log auto_awesome Did you mean: लॉकडाउन में बेरोजगार हुए महिला समुदाय के लोग 44 / 5000 Translation results People of Mohli community became unemployed in lockdown
रोजगार का संकट
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Published : May 16, 2021, 8:11 PM IST

Updated : May 17, 2021, 4:03 PM IST

धनबाद: कोरोना के कारण लागू कड़े नियमों का सबसे ज़्यादा असर गरीब वर्ग पर पड़ा है. लोगों के पास काम नहीं है और ना ही पैसे बचे हैं. झारखंड के धनबाद में भी सूप बीनकर अपना जीवन बसर करने वाले मोहली समुदाय पर लॉकडाउन का बुरा असर पड़ा है. 2020 और 2021 में हुए लॉकडाउन ने इस समुदाय की कमर तोड़कर रख दी है.

लॉकडाउन में बेरोजगार हुए मोहली समुदाय के लोग

इसे भी पढ़ें- राजधानी के ग्रामीण इलाकों में फैलने लगा कोरोना, झोलाछाप चिकित्सक के भरोसे मरीज

लॉकडाउन से ठप हुआ व्यवसाय

धनबाद के सिंदरी विधानसभा के बलियापुर प्रखंड के वीरसिंहपुर गांव के घोघाबाद टोला रह रहे मोहली समुदाय का मुख्य पेशा टोकरी और सूप बनाना है, इसे बेचकर इनके परिवार का जीवन यापन चलता है, लेकिन पिछले साल 2020 में हुए लॉकडॉउन ने इनके जीवन को तबाह कर दिया. सूप व्यवसाय ठप पड़ गया और आमदनी बंद हो गई, ऐसे में इनके लिए जीवन गुजर बसर करना मुश्किल हो गया

2020 में लॉकडाउन हटने से मिली थी राहत

सूप बीन रहे इन लोगों की मानें तो 2020 के अंतिम महीनों में लॉकडाउन हटने के बाद इन लोगों को राहत मिली थी, उनको सूप और टोकरी के ऑर्डर मिलने शुरू हो गए थे, जीवन पटरी पर लौट रही थी, लेकिन कोरोना महामारी के दूसरे चरण ने फिर से स्थिति को बिगाड़ दिया है, सरकार के द्वारा दिए गए अनाज से दो वक्त का भोजन तो मिल रहा है, लेकिन अन्य जरूरतों के लिए कर्ज का ही सहारा लेना पड़ रहा है. समुदाय के लोगों का मानना है की अब तो बस भगवान ही उनकी नैया पार करा सकते हैं

कर्ज बना सहारा

धनबाद में सिर्फ मोहली समुदाय नहीं कई दूसरे समुदायों की हालत भी गंभीर है, कई लोग महीनों से घर का किराया नहीं दे रहे हैं उधार में राशन लेकर घर चलाना मजबूरी बन गई है. दुकानों में काम करने वालों से लेकर सड़क पर सामान बेचने वाले सभी लोग चिंतिंत हैं.

धनबाद: कोरोना के कारण लागू कड़े नियमों का सबसे ज़्यादा असर गरीब वर्ग पर पड़ा है. लोगों के पास काम नहीं है और ना ही पैसे बचे हैं. झारखंड के धनबाद में भी सूप बीनकर अपना जीवन बसर करने वाले मोहली समुदाय पर लॉकडाउन का बुरा असर पड़ा है. 2020 और 2021 में हुए लॉकडाउन ने इस समुदाय की कमर तोड़कर रख दी है.

लॉकडाउन में बेरोजगार हुए मोहली समुदाय के लोग

इसे भी पढ़ें- राजधानी के ग्रामीण इलाकों में फैलने लगा कोरोना, झोलाछाप चिकित्सक के भरोसे मरीज

लॉकडाउन से ठप हुआ व्यवसाय

धनबाद के सिंदरी विधानसभा के बलियापुर प्रखंड के वीरसिंहपुर गांव के घोघाबाद टोला रह रहे मोहली समुदाय का मुख्य पेशा टोकरी और सूप बनाना है, इसे बेचकर इनके परिवार का जीवन यापन चलता है, लेकिन पिछले साल 2020 में हुए लॉकडॉउन ने इनके जीवन को तबाह कर दिया. सूप व्यवसाय ठप पड़ गया और आमदनी बंद हो गई, ऐसे में इनके लिए जीवन गुजर बसर करना मुश्किल हो गया

2020 में लॉकडाउन हटने से मिली थी राहत

सूप बीन रहे इन लोगों की मानें तो 2020 के अंतिम महीनों में लॉकडाउन हटने के बाद इन लोगों को राहत मिली थी, उनको सूप और टोकरी के ऑर्डर मिलने शुरू हो गए थे, जीवन पटरी पर लौट रही थी, लेकिन कोरोना महामारी के दूसरे चरण ने फिर से स्थिति को बिगाड़ दिया है, सरकार के द्वारा दिए गए अनाज से दो वक्त का भोजन तो मिल रहा है, लेकिन अन्य जरूरतों के लिए कर्ज का ही सहारा लेना पड़ रहा है. समुदाय के लोगों का मानना है की अब तो बस भगवान ही उनकी नैया पार करा सकते हैं

कर्ज बना सहारा

धनबाद में सिर्फ मोहली समुदाय नहीं कई दूसरे समुदायों की हालत भी गंभीर है, कई लोग महीनों से घर का किराया नहीं दे रहे हैं उधार में राशन लेकर घर चलाना मजबूरी बन गई है. दुकानों में काम करने वालों से लेकर सड़क पर सामान बेचने वाले सभी लोग चिंतिंत हैं.

Last Updated : May 17, 2021, 4:03 PM IST
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