धनबाद: कोरोना के कारण लागू कड़े नियमों का सबसे ज़्यादा असर गरीब वर्ग पर पड़ा है. लोगों के पास काम नहीं है और ना ही पैसे बचे हैं. झारखंड के धनबाद में भी सूप बीनकर अपना जीवन बसर करने वाले मोहली समुदाय पर लॉकडाउन का बुरा असर पड़ा है. 2020 और 2021 में हुए लॉकडाउन ने इस समुदाय की कमर तोड़कर रख दी है.
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लॉकडाउन से ठप हुआ व्यवसाय
धनबाद के सिंदरी विधानसभा के बलियापुर प्रखंड के वीरसिंहपुर गांव के घोघाबाद टोला रह रहे मोहली समुदाय का मुख्य पेशा टोकरी और सूप बनाना है, इसे बेचकर इनके परिवार का जीवन यापन चलता है, लेकिन पिछले साल 2020 में हुए लॉकडॉउन ने इनके जीवन को तबाह कर दिया. सूप व्यवसाय ठप पड़ गया और आमदनी बंद हो गई, ऐसे में इनके लिए जीवन गुजर बसर करना मुश्किल हो गया
2020 में लॉकडाउन हटने से मिली थी राहत
सूप बीन रहे इन लोगों की मानें तो 2020 के अंतिम महीनों में लॉकडाउन हटने के बाद इन लोगों को राहत मिली थी, उनको सूप और टोकरी के ऑर्डर मिलने शुरू हो गए थे, जीवन पटरी पर लौट रही थी, लेकिन कोरोना महामारी के दूसरे चरण ने फिर से स्थिति को बिगाड़ दिया है, सरकार के द्वारा दिए गए अनाज से दो वक्त का भोजन तो मिल रहा है, लेकिन अन्य जरूरतों के लिए कर्ज का ही सहारा लेना पड़ रहा है. समुदाय के लोगों का मानना है की अब तो बस भगवान ही उनकी नैया पार करा सकते हैं
कर्ज बना सहारा
धनबाद में सिर्फ मोहली समुदाय नहीं कई दूसरे समुदायों की हालत भी गंभीर है, कई लोग महीनों से घर का किराया नहीं दे रहे हैं उधार में राशन लेकर घर चलाना मजबूरी बन गई है. दुकानों में काम करने वालों से लेकर सड़क पर सामान बेचने वाले सभी लोग चिंतिंत हैं.