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सास और बहू ने मिलकर बनाया 'गुरु चेला' एप, शिक्षकों और छात्रों की राह की आसान

धनबाद की सास-बहू ने रिश्ते की नई नजीर पेश की है. इन दोनों ने मिलकर 'गुरु-चेला' नाम का एप्लीकेशन बनाकर, बेरोजगार लोगों को रोजगार दे रही हैं. साथ ही पढ़ाई के लिए छात्र और काउंसिलिंग के लिए गुरु इस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं.

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सास और बहू का 'गुरु चेला' एप
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Published : Aug 25, 2020, 5:59 AM IST

धनबादः सास-बहू का मतलब आपसी झगड़े, मतभेद और घर में कलह ही नहीं होता, बल्कि कुछ सास-बहुएं ऐसी भी हैं जो लोगों के लिए नजीर पेश कर रही हैं. ऐसी ही एक सास-बहू की जोड़ी है. जिनमें आपसी प्रेम तो है ही, इनके बीच कैमिस्ट्री भी गजब की है. कोरोना काल में इन्होंने समय का सही तरीके से इस्तेमाल करते हुए 'गुरु-चेला' नाम का एक ऐसे एप्लीकेशन का निर्माण किया, जो ना सिर्फ इनके लिए बल्कि दर्जनों पढ़े लिखे बेरोजगारों के लिए वरदान साबित हो रहा है.

देखें पूरी खबर

रिश्ता वही, सोच नई

धनबाद की धैया निवासी 70 वर्षीय सास मनोरमा सिंह और 32 साल की उनकी बहू स्वाति कुमारी. इन दोनों ने मिलकर 'गुरु-चेला' नाम का एक एप बनाया है. सास-बहू कहती हैं कि शिक्षितों की बेरोजगारी और बच्चों की पढ़ाई में दिक्कत की खबरें परेशान करती थीं, इसलिए यह एप बनाया. इससे वर्ष के अंत तक 250 लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है. इसमें किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जा रहा है. इस एप के निर्माण के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि 10वीं पास सास मनोरमा सिंह और स्नातक, बीएड बहू स्वाति दो माह पहले तक फोन के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों को एक दूसरे से जोड़ना शुरू किया. दिल्ली विवि से कंम्प्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे मनोरमा के नाती वत्सल सिंह को यह प्रयास अच्छा लगा, उन्होंने एक प्लेटफार्म बनाने का सुझाव दिया. उसने कहा कि एप बनाकर अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जा सकता है. उसके बाद मनोरमा और स्वाति ने वत्सल के सहयोग से एप बना लिया. एप को सास-बहू ने खुद से संचालित करना शुरू किया है.

बेरोजगारों के लिए वरदान है 'गुरु-चेला' एप

दरअसल इन दोनों ने मिलकर कोरोना काल में लोगों को रोजगार देने की सोची. जिसके बाद इन्होंने दो माह पहले एक एप बनाया. जो शिक्षक-छात्रों को एक-दूसरे से जोड़ता है. जब एप पर रजिस्टर करते हैं तो आवश्यकता अनुसार शिक्षक ऑनलाइन या ऑफलाइन क्लासेज लेने के लिए हाजिर हो जाते हैं. इससे स्कूली शिक्षा से लेकर इंजीनियरिंग, यूपीएससी, गीत, संगीत, योग, चित्रकला आदि के शिक्षक आसानी से मिल जाते हैं. इस एप से लोगों को मिलने वाले फायदे का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि कुछ दिनों में ही इस एप के जरिए 40 लोगों को रोजगार भी मिला. 110 छात्र इस एप की बदौलत मार्गदर्शन पा रहे हैं. शिक्षित बेरोजगार आज इस एप के जरिए आठ हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक की कमाई कर ले रहे हैं. एप से आइआइटी आइएसएम, बीआइटी सिंदरी, बीएड कर चुके छात्र भी जुड़े हैं. छात्रों की काउंसिलिंग के लिए सीआइएमएफआर (सेंटल माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च) के सेवानिवृत्त विज्ञानी डॉ. केके शर्मा भी जुड़े हैं. जिससे घर बैठे ही अभिभावकों के लिए शिक्षकों की तलाश आसान हो गई और बच्चों को भी आसानी से गुरु मिल रहे हैं.

प्ले स्टोर में उपलब्ध है 'गुरु-चेला'

आप इस एप को अपने मोबाइल फोन के प्ले स्टोर से बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं. इसमें गौतम बुद्ध की ध्यानमग्न मुद्रा में तस्वीर लगी हुई है. डाउनलोड करने के बाद रजिस्ट्रेशन करना होता है. इसमें दो विकल्प आते हैं. एक गुरु और दूसरा चेला यानी छात्र. गुरु का रजिस्ट्रेशन होने पर छात्रों की जानकारी, मोबाइल नंबर, लोकेशन मिलेगी. चेला का रजिस्ट्रेशन होने पर विषय के शिक्षकों की जानकारी मिलेगी. एक ओर इस एप के कारण कई शिक्षित बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर छात्रों को उन्हें मन मुताबिक शिक्षक चुनने का एक अवसर भी मिल रहा है, साथ ही सास और बहू ने मिलकर यह बता दिया है कि सास बहू के किस्से सिर्फ विरोधाभास ही नहीं होते बल्कि सकारात्मक सोच के साथ विचारों के आदान प्रदान कर कुछ अलग करने की चाह भी रखते हैं.

धनबादः सास-बहू का मतलब आपसी झगड़े, मतभेद और घर में कलह ही नहीं होता, बल्कि कुछ सास-बहुएं ऐसी भी हैं जो लोगों के लिए नजीर पेश कर रही हैं. ऐसी ही एक सास-बहू की जोड़ी है. जिनमें आपसी प्रेम तो है ही, इनके बीच कैमिस्ट्री भी गजब की है. कोरोना काल में इन्होंने समय का सही तरीके से इस्तेमाल करते हुए 'गुरु-चेला' नाम का एक ऐसे एप्लीकेशन का निर्माण किया, जो ना सिर्फ इनके लिए बल्कि दर्जनों पढ़े लिखे बेरोजगारों के लिए वरदान साबित हो रहा है.

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रिश्ता वही, सोच नई

धनबाद की धैया निवासी 70 वर्षीय सास मनोरमा सिंह और 32 साल की उनकी बहू स्वाति कुमारी. इन दोनों ने मिलकर 'गुरु-चेला' नाम का एक एप बनाया है. सास-बहू कहती हैं कि शिक्षितों की बेरोजगारी और बच्चों की पढ़ाई में दिक्कत की खबरें परेशान करती थीं, इसलिए यह एप बनाया. इससे वर्ष के अंत तक 250 लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है. इसमें किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जा रहा है. इस एप के निर्माण के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि 10वीं पास सास मनोरमा सिंह और स्नातक, बीएड बहू स्वाति दो माह पहले तक फोन के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों को एक दूसरे से जोड़ना शुरू किया. दिल्ली विवि से कंम्प्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे मनोरमा के नाती वत्सल सिंह को यह प्रयास अच्छा लगा, उन्होंने एक प्लेटफार्म बनाने का सुझाव दिया. उसने कहा कि एप बनाकर अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जा सकता है. उसके बाद मनोरमा और स्वाति ने वत्सल के सहयोग से एप बना लिया. एप को सास-बहू ने खुद से संचालित करना शुरू किया है.

बेरोजगारों के लिए वरदान है 'गुरु-चेला' एप

दरअसल इन दोनों ने मिलकर कोरोना काल में लोगों को रोजगार देने की सोची. जिसके बाद इन्होंने दो माह पहले एक एप बनाया. जो शिक्षक-छात्रों को एक-दूसरे से जोड़ता है. जब एप पर रजिस्टर करते हैं तो आवश्यकता अनुसार शिक्षक ऑनलाइन या ऑफलाइन क्लासेज लेने के लिए हाजिर हो जाते हैं. इससे स्कूली शिक्षा से लेकर इंजीनियरिंग, यूपीएससी, गीत, संगीत, योग, चित्रकला आदि के शिक्षक आसानी से मिल जाते हैं. इस एप से लोगों को मिलने वाले फायदे का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि कुछ दिनों में ही इस एप के जरिए 40 लोगों को रोजगार भी मिला. 110 छात्र इस एप की बदौलत मार्गदर्शन पा रहे हैं. शिक्षित बेरोजगार आज इस एप के जरिए आठ हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक की कमाई कर ले रहे हैं. एप से आइआइटी आइएसएम, बीआइटी सिंदरी, बीएड कर चुके छात्र भी जुड़े हैं. छात्रों की काउंसिलिंग के लिए सीआइएमएफआर (सेंटल माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च) के सेवानिवृत्त विज्ञानी डॉ. केके शर्मा भी जुड़े हैं. जिससे घर बैठे ही अभिभावकों के लिए शिक्षकों की तलाश आसान हो गई और बच्चों को भी आसानी से गुरु मिल रहे हैं.

प्ले स्टोर में उपलब्ध है 'गुरु-चेला'

आप इस एप को अपने मोबाइल फोन के प्ले स्टोर से बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं. इसमें गौतम बुद्ध की ध्यानमग्न मुद्रा में तस्वीर लगी हुई है. डाउनलोड करने के बाद रजिस्ट्रेशन करना होता है. इसमें दो विकल्प आते हैं. एक गुरु और दूसरा चेला यानी छात्र. गुरु का रजिस्ट्रेशन होने पर छात्रों की जानकारी, मोबाइल नंबर, लोकेशन मिलेगी. चेला का रजिस्ट्रेशन होने पर विषय के शिक्षकों की जानकारी मिलेगी. एक ओर इस एप के कारण कई शिक्षित बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर छात्रों को उन्हें मन मुताबिक शिक्षक चुनने का एक अवसर भी मिल रहा है, साथ ही सास और बहू ने मिलकर यह बता दिया है कि सास बहू के किस्से सिर्फ विरोधाभास ही नहीं होते बल्कि सकारात्मक सोच के साथ विचारों के आदान प्रदान कर कुछ अलग करने की चाह भी रखते हैं.

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