धनबाद: JITM डायग्नोस्टिक मोबाइल RT-PCR टेस्टिंग लैबोरेटरी (Mobile RT-PCR testing laboratory in Dhanbad) इन दिनों धनबाद सदर अस्पताल परिसर में कबाड़ के रूप में तब्दील हो चुका है. जबकि वैश्विक महामारी कोरोना अब नए वैरिएंट के साथ एक बार फिर कहर बरपाने की तैयारी कर चुका है. चीन में कोरोना के बिगड़ते हालात को देख भारत भी अलर्ट हो चुका है. ऐसे में करोड़ों रुपए की लागत वाली मोबाइल RT-PCR लैब का कबाड़ बनना निष्क्रियता और लापरवाही का उदाहरण है.
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यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग की मंशा और आम नागरिकों के प्रति जिम्मेदारियों को स्पष्ट तौर पर उजागर करती है. भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय संक्रमण के फैलाव से बचाने के लिए एहतियात और अलर्ट जारी कर चुका है, जबकि करोड़ों रुपये की लागत वाली मोबाइल आरटी-पीसीआर टेस्टिंग लेबोरेटरी सरकार के दावे को मुंह चिढ़ा रही है.
क्या है मोबाइल आरटी पीसीआर टेस्टिंग लैबोरेटरी: कोरोना संक्रमण के संभावित खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जांच और तेज करने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और झारखंड सरकार की ओर से धनबाद को मोबाइल प्रयोगशाला वाहन मुहैया कराया था. इस मोबाइल लैबोरेटरी से 1 दिन में 4000 लोगों की आरटी पीसीआर जांच की जा सकती है. इतना ही नहीं मात्र 24 घंटे के अंदर ही रिपोर्ट भी मिल जाती है. इसे जांच कराने वाले लोगों को काफी सहूलियत मिलेगी. किसी भी परिस्थिति में इस वाहन को कहीं भी ले जाकर जांच किया जा सकता है.
वाहन में क्या है खास: इस वाहन में 20 लैब टेक्नीशियन सहित अन्य कर्मी काम कर सकते हैं. संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिए यह वैन मददगार साबित होगी. इसमें जांच के लिए नेजल स्वैब लेने की जगह है और उसके बाद प्रक्रिया कैसे होगी इसके लिए भी लैब बना है, जिसमें कम्प्यूटर रूम है, आरएनए एक्सट्रैक्शन है, विशेष जांच की व्यवस्था है. इसमें जेनरेटर है, जिसका इस्तेमाल बिजली नहीं होने पर किया जाएगा. यह वाहन झारखंड ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन सोसायटी के स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा संचालित है, जिसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा उपलब्ध कराया गया है.
क्या कहते हैं डॉक्टर: वहीं, आईडीएसपी के डॉक्टर राज कुमार सिंह ने कहा कि वाहन के अंदर के सभी सामान कंपनी खोलकर ले गई है. जरूरत पड़ने पर कंपनी के लोग फिर वाहन के अंदर इंस्टॉल कर सकते हैं. कोविड की संभावित चौथी लहर में अगर इसकी जरूरत पड़ी तो कंपनी फिर से मदद के लिए पहुंचेगी.
कबाड़ में तब्दील हुई मोबाइल RT-PCR टेस्टिंग लैबोरेटरी, धनबाद सदर अस्पताल से आई लापरवाही की तस्वीर
कोरोना के संभावित खतरे को देखते हुए एक ओर जहां सरकार इससे निपटने की तैयारी कर रही है. वहीं धनबाद सदर अस्पताल से एक लापरवाही की तस्वीर सामने आई है, जहां हॉस्पिटल परिसर में मोबाइल RT-PCR टेस्टिंग लेबोरेटरी (Mobile RT-PCR testing laboratory in Dhanbad) कबाड़ में तब्दील हो चुकी है. सदर अस्पताल में यह लेबोरेटरी कोरोना जांच को बढ़ाने के लिए लगाया गया था.
धनबाद: JITM डायग्नोस्टिक मोबाइल RT-PCR टेस्टिंग लैबोरेटरी (Mobile RT-PCR testing laboratory in Dhanbad) इन दिनों धनबाद सदर अस्पताल परिसर में कबाड़ के रूप में तब्दील हो चुका है. जबकि वैश्विक महामारी कोरोना अब नए वैरिएंट के साथ एक बार फिर कहर बरपाने की तैयारी कर चुका है. चीन में कोरोना के बिगड़ते हालात को देख भारत भी अलर्ट हो चुका है. ऐसे में करोड़ों रुपए की लागत वाली मोबाइल RT-PCR लैब का कबाड़ बनना निष्क्रियता और लापरवाही का उदाहरण है.
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यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग की मंशा और आम नागरिकों के प्रति जिम्मेदारियों को स्पष्ट तौर पर उजागर करती है. भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय संक्रमण के फैलाव से बचाने के लिए एहतियात और अलर्ट जारी कर चुका है, जबकि करोड़ों रुपये की लागत वाली मोबाइल आरटी-पीसीआर टेस्टिंग लेबोरेटरी सरकार के दावे को मुंह चिढ़ा रही है.
क्या है मोबाइल आरटी पीसीआर टेस्टिंग लैबोरेटरी: कोरोना संक्रमण के संभावित खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जांच और तेज करने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और झारखंड सरकार की ओर से धनबाद को मोबाइल प्रयोगशाला वाहन मुहैया कराया था. इस मोबाइल लैबोरेटरी से 1 दिन में 4000 लोगों की आरटी पीसीआर जांच की जा सकती है. इतना ही नहीं मात्र 24 घंटे के अंदर ही रिपोर्ट भी मिल जाती है. इसे जांच कराने वाले लोगों को काफी सहूलियत मिलेगी. किसी भी परिस्थिति में इस वाहन को कहीं भी ले जाकर जांच किया जा सकता है.
वाहन में क्या है खास: इस वाहन में 20 लैब टेक्नीशियन सहित अन्य कर्मी काम कर सकते हैं. संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिए यह वैन मददगार साबित होगी. इसमें जांच के लिए नेजल स्वैब लेने की जगह है और उसके बाद प्रक्रिया कैसे होगी इसके लिए भी लैब बना है, जिसमें कम्प्यूटर रूम है, आरएनए एक्सट्रैक्शन है, विशेष जांच की व्यवस्था है. इसमें जेनरेटर है, जिसका इस्तेमाल बिजली नहीं होने पर किया जाएगा. यह वाहन झारखंड ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन सोसायटी के स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा संचालित है, जिसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा उपलब्ध कराया गया है.
क्या कहते हैं डॉक्टर: वहीं, आईडीएसपी के डॉक्टर राज कुमार सिंह ने कहा कि वाहन के अंदर के सभी सामान कंपनी खोलकर ले गई है. जरूरत पड़ने पर कंपनी के लोग फिर वाहन के अंदर इंस्टॉल कर सकते हैं. कोविड की संभावित चौथी लहर में अगर इसकी जरूरत पड़ी तो कंपनी फिर से मदद के लिए पहुंचेगी.