धनबाद: तत्कालीन सीएम रघुवर दास को हरा कर विधायक बने पूर्व मंत्री सरयू राय ने नेता प्रतिपक्ष के चयन में हो रही देर पर नाराजगी जाहिर की है. अपने दो दिवसीय धनबाद दौरे के पहले दिन सर्किट हाउस में मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार को एक आंख में काजल और दूसरे आंख में सुरमा नहीं लगाना चाहिए.
पूर्व मंत्री ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को चाहिए कि वो बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता दे दें. वैसे भी बंधु तिर्की को कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया है इसका मतलब है कि झाविमो का भाजपा में विलय को सही माना गया. बहुत सारे संवैधानिक कार्य नेता प्रतिपक्ष नहीं होने की वजह से अवरुद्ध हो रहे हैं और आपसी खींचतान बढ़ रही है.
सरयू ने दामोदर समेत अन्य नदियों में प्रदूषण के बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर और नमामि गंगे अभियान की विफलता के लिए प्रदूषण विभाग एवं सरकार की अन्य इकाइयों के साथ साथ कोयला खनन में लगी कंपनियों को जिम्मेवार ठहराते हुए बीसीसीएल ECL के सीएमडी और स्थानीय प्रशासन से मिलकर निदान करने की बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि 3 सितंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर सुबे में हो रही भ्रष्टाचार की शिकायत करेंगे.
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तीन सितंबर से झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र होने वाला है. ऐसे में लगता है कि एक बार फिर बिना नेता प्रतिपक्ष के ही सदन की कार्यवाही चलेगी. दरअसल, 2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेवीएम अगल-अलग चुनाव लड़ी थी. चुनाव के कुछ दिन बाद जेवीएम विधिवत बीजेपी में कर गया. इसके बाद बाबूलाल मरांडी को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इस विलय को नहीं माना और बाबूलाल मरांडी को बीजेपी के विधायक के रूप में मान्यता नहीं दी.
यह मामला हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुचा. फिलहाल इस मामले की सुनवाई विधानसभा के न्यायाधीकरण में चल रही है. हालांकि चुनाव आयोग ने जेवीएम के बीजेपी में विलय को मान्यता दे दी है. इधर जेवीएम के दो विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो गए थे. कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने बंधु तिर्की को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है.