धनबादः चिरकुंडा नगर परिषद क्षेत्र को खुले में शौच मुक्त बनाने को लेकर आठ जगहों पर सामुदायिक शौचालय बनाया गया. शौचालय बनने के बाद नगर परिषद अधिकारियों ने पूरे क्षेत्र को ओडीएफ घोषित कर दिया. लेकिन ओडीएफ की हकीकत कुछ और ही है. स्थिति यह है कि शौचालय बनने के कुछ ही दिनों बाद से ही उसमें ताला लटका है. ये ताले चार साल बाद भी नहीं खुले हैं.
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चिरकुंडा नगर परिषद क्षेत्र में आठ सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया. एक शौचालय के बनाने में 24 लाख 48 हजार रुपए खर्च किए गए. दो करोड़ से अधिक राशि खर्च कर शौचालय बनाने का उद्देश्य था कि नगर परिषद क्षेत्र के कोई भी लोग खुले में शौच ना करें. लेकिन यह शौचालय अब तक लोगों के उपयोग में नहीं आ सका है. इसके साथ ही दर्जनों स्थानों पर मॉड्यूलर शौचालय भी बनाया गया. एक मॉड्यूलर शौचालय के बनाने पर दो लाख रुपए खर्च किए गए. लेकिन पानी कनेक्शन और अन्य सुविधा नहीं होने से ये आज भी उपयोग में नहीं आ रहे हैं. स्थिति यह है कि असामाजिक तत्वों ने पानी की टंकी और पाइप चोरी कर ली है.
उपायुक्त संदीप सिंह ने निरीक्षण करने पहुंचे तो स्थानीय लोगों ने शौचालय बंद होने की शिकायत की. इसपर उपायुक्त ने जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया था. लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही शौचालय चालू हो सका है. नगर प्रबंधन मुकेश रंजन ने बताया कि सभी शौचालय चालू हैं. शौचालयों की देखरेख के लिए केयर टेकर की प्रतिनियुक्ति की गई है. हालांकि, नगर प्रबंधक के बयान की हकीकत धरातल पर कुछ और ही दिखती है. पूर्व पार्षद अरुण कुमार ने बताया कि शौचालय निर्माण में जनप्रतिनिधि और अधिकारी मिलकर पैसे की बंदरबांट किया है.