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शरद पूर्णिमा 2022 पर कोयलांचल में लखी पूजा, लोगों में उत्साह का माहौल

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Published : Oct 9, 2022, 7:53 PM IST

शरद पूर्णिमा 2022 पर कोयलांचल में लखी पूजा (Lokkhi Puja 2022 Date Time) की जा रही है. इसे लेकर उत्साह का माहौल है. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और चांदनी रात में खीर खुले आसमान के नीचे रखने की परंपरा है.

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धनबाद/निरसाः शरद पूर्णिमा पर बंगाली समुदाय लखी पूजा करता है. इस दिन कोजागरी भी कहा जाता है. लखी पूजा 2022 को है. लखी पूजा के लिए बंगाली समाज ने मंडप में मां की प्रतिमा स्थापित की है. इस दिन घर में विशेष पूजा की जाती है. इधर रविवार को हो रही इस पूजा को लेकर क्षेत्र में उत्साह का माहौल है.

ये भी पढ़ें-गिरिडीह में ईद मिलादुन्नबी का जश्न मना, निकाला गया जुलूस

बंगाली समुदाय में प्रचलित है लखी पूजाः शरद पूर्णिमा के दिन बंगाली समाज माता लक्ष्मी की पूजा करता है, जिसे वे लखी पूजा कहते हैं. इस दिन लक्ष्मीजी के साथ-साथ नारायण की भी पूजा की जाती है.

देखें पूरी खबर
लखी पूजा की मान्यताः मान्यता के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक में विचरण करती हैं. इसी कारण से इस दिन कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. यह भी माना जाता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है. इससे लोग इसका लाभ लेने के लिए छत पर या खुले में खीर रखते हैं और अगले दिन सुबह उसका सेवन करते हैं. कुछ लोग चूड़ा और दूध भी भिगोकर रखते हैं. रातभर इसे चांदनी रात में रखने से इसकी तासीर बदलती है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है. इस दिन खीर का महत्व इसलिए भी है कि यह दूध से बनी होती है और दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है. चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है. इस पूर्णिमा की रात चांदनी सबसे ज्यादा होती है.शरद पूर्णिमा पर मनाते हैं कौमुदी उत्सवः शरद पूर्णिमा पर कौमुदी उत्सव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव भी मनाते हैं. इस दिन को रास पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा और कमला पूर्णिमा के भी नाम से जाना जाते है. देश के साथ-साथ पूरे कोयलांचल में बंगाली समुदाय द्वारा विधिवत लखी पूजा की जाएगी.

धनबाद/निरसाः शरद पूर्णिमा पर बंगाली समुदाय लखी पूजा करता है. इस दिन कोजागरी भी कहा जाता है. लखी पूजा 2022 को है. लखी पूजा के लिए बंगाली समाज ने मंडप में मां की प्रतिमा स्थापित की है. इस दिन घर में विशेष पूजा की जाती है. इधर रविवार को हो रही इस पूजा को लेकर क्षेत्र में उत्साह का माहौल है.

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बंगाली समुदाय में प्रचलित है लखी पूजाः शरद पूर्णिमा के दिन बंगाली समाज माता लक्ष्मी की पूजा करता है, जिसे वे लखी पूजा कहते हैं. इस दिन लक्ष्मीजी के साथ-साथ नारायण की भी पूजा की जाती है.

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लखी पूजा की मान्यताः मान्यता के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक में विचरण करती हैं. इसी कारण से इस दिन कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. यह भी माना जाता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है. इससे लोग इसका लाभ लेने के लिए छत पर या खुले में खीर रखते हैं और अगले दिन सुबह उसका सेवन करते हैं. कुछ लोग चूड़ा और दूध भी भिगोकर रखते हैं. रातभर इसे चांदनी रात में रखने से इसकी तासीर बदलती है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है. इस दिन खीर का महत्व इसलिए भी है कि यह दूध से बनी होती है और दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है. चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है. इस पूर्णिमा की रात चांदनी सबसे ज्यादा होती है.शरद पूर्णिमा पर मनाते हैं कौमुदी उत्सवः शरद पूर्णिमा पर कौमुदी उत्सव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव भी मनाते हैं. इस दिन को रास पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा और कमला पूर्णिमा के भी नाम से जाना जाते है. देश के साथ-साथ पूरे कोयलांचल में बंगाली समुदाय द्वारा विधिवत लखी पूजा की जाएगी.
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