ETV Bharat / state

कोयलांचल में करम महोत्सव की धूम, झारखंडी नृत्य ने लोगों का मोहा मन

धनबाद में करम महोत्सव का आयोजन किया गया. इसमें लड़कियों द्वारा झारखंडी लोकनृत्य प्रस्तुत किया गया. इस दौरान लोगों की काफी भीड़ देखने को मिली.

कोयलांचल में करम महोत्सव की धूम.
author img

By

Published : Sep 9, 2019, 1:03 AM IST

धनबाद. पूरे झारखंड के साथ-साथ कोयलांचल में भी कर्मा पूजा की धूम देखने को मिल रही है. जिले के सरायढे़ला स्थित शिव मंदिर प्रांगण में करम महोत्सव का आयोजन किया गया. इसमें लड़कियों द्वारा झारखंडी लोकनृत्य प्रस्तुत किया गया.

करम महोत्सव के दौरान लोगों की काफी भीड़ देखने को मिली. करम पूजा करने वाली लड़कियों द्वारा कई लोकनृत्यों की प्रस्तुति की गई. लड़कियों ने कहा कि भैया के द्वारा खोतों में जो फसल लगायी जाती है, वह सावन महीने में लहलहा उठती है. भैया की मेहनत पर खुशी जाहिर करते हुए बहन यह करम पूजा करती हैं. लकड़ियों ने कहा कि नदी के तट से डलिया में बालू भरकर उसमें कुर्थी बुनकर घर ले आने के बाद सुबह शाम नृत्य और गीत गाकर पूजा-अर्चना की जाती है.

कोयलांचल में करम महोत्सव की धूम.

करम महोत्सव के आयोजक गणपत महतो ने बताया कि यह झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर है. झारखंड के आदिवासी मूलवासियों के द्वारा परंपरागत तरीके से प्रत्येक साल इस पर्व को मनाया जाता है. यह पर्व प्राकृतिक सृजन शक्ति का प्रतीक माना जाता है. भाई और बहन के प्रगाढ़ प्रेम को यह पर्व दर्शाता है. बेटियां करम डाली की पूजा कर भाई की लंबी उम्र की कामना ईश्वर से करती हैं.

धनबाद. पूरे झारखंड के साथ-साथ कोयलांचल में भी कर्मा पूजा की धूम देखने को मिल रही है. जिले के सरायढे़ला स्थित शिव मंदिर प्रांगण में करम महोत्सव का आयोजन किया गया. इसमें लड़कियों द्वारा झारखंडी लोकनृत्य प्रस्तुत किया गया.

करम महोत्सव के दौरान लोगों की काफी भीड़ देखने को मिली. करम पूजा करने वाली लड़कियों द्वारा कई लोकनृत्यों की प्रस्तुति की गई. लड़कियों ने कहा कि भैया के द्वारा खोतों में जो फसल लगायी जाती है, वह सावन महीने में लहलहा उठती है. भैया की मेहनत पर खुशी जाहिर करते हुए बहन यह करम पूजा करती हैं. लकड़ियों ने कहा कि नदी के तट से डलिया में बालू भरकर उसमें कुर्थी बुनकर घर ले आने के बाद सुबह शाम नृत्य और गीत गाकर पूजा-अर्चना की जाती है.

कोयलांचल में करम महोत्सव की धूम.

करम महोत्सव के आयोजक गणपत महतो ने बताया कि यह झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर है. झारखंड के आदिवासी मूलवासियों के द्वारा परंपरागत तरीके से प्रत्येक साल इस पर्व को मनाया जाता है. यह पर्व प्राकृतिक सृजन शक्ति का प्रतीक माना जाता है. भाई और बहन के प्रगाढ़ प्रेम को यह पर्व दर्शाता है. बेटियां करम डाली की पूजा कर भाई की लंबी उम्र की कामना ईश्वर से करती हैं.

Intro:धनबाद।पूरे झारखंड के साथ साथ कोयलांचल में भी करमा पूजा की धूम देखने को मिल रही है।जिले के सरायढेला स्थित शिव मंदिर प्रांगण में करम महोत्सव का आयोजन किया गया।जिसमें झारखंडी लोक नृत्य लड़कियों द्वारा प्रस्तुत किया गया।


Body:करम महोत्सव के दौरान लोगों की काफी भींड देखने को मिली।करम पूजा करने वाली वाली लड़कियों द्वारा कई लोक नृत्य की प्रस्तुति की गई।लड़कियों ने कहा कि भैया के द्वारा खोतों में जो फसल लगायी जाती है।वह सावन महीने में लहलहा उठती है।भैया की मेहनत पर खुशी जाहिर करते हुए बहन यह करम पूजा करती हैं।लकड़ियों ने कहा कि नदी के तट से डलिया में बालू भरकर उसमें कुर्थी बुनकर घर ले आने के बाद सुबह शाम नृत्य गीत गाकर पूजा अर्चना की जाती है।

करम महोत्सव के आयोजके गणपत महतो ने बताया कि यह झारखंड का सांस्कृतिक धरोहर है।झारखंड के आदिवासी मूलवासियों के द्वारा परंपरागत तरीके से प्रत्येक साल इस पर्व को मनाया जाता है।यह पर्व प्राकृतिक सृजन शक्ति का प्रतीक माना जाता है।भाई और बहन के प्रगाढ़ प्रेम को यह पर्व दर्शाता है।बेटियां करम डाली की पूजा कर भाई की लंबी उम्र की कामना ईश्वर से करती है।कृषि के तहत उपजने वाली फसल हर वर्ष खेतों में बढ़िया तरीके से उपजे।बेटियां इस पर्व पर हर साल यही कामना करती है।


Conclusion:झारखंड की पारंपरिक पर्व को लेकर लोगों में आज भी वही उत्साह है।वह अपने संस्कृतिक धरोहर को अपने जीवन के बिल्कुल करीब रखे हुए है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.