धनबाद: जज उत्तम आनंद की मौत मामले में सीबीआई ने जांच तेज कर दी है. एडीजे अष्टम उत्तम आनंद की मौत मामले में लगातार 2 दिन तक सीबीआई ने घटनास्थल पर जाकर सीन रीक्रिएट किया और वीडियोग्राफी कराई. इसी के साथ सीबीआई जज उत्तम आनंद की मौत मामले के आरोपियों ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और सहयोगी राहुल वर्मा के झूठ और सच का पता लगाने के लिए नार्को टेस्ट कराने की तैयारी कर रही है.
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इसके अलावा आरोपियों का ब्रेन मैपिंग टेस्ट, लाई डिटेक्टर टेस्ट, इलेक्ट्रॉनिक आसिलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग टेस्ट कराने की भी सीबीआई की योजना है. इसके लिए सीबीआई ने अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी और सीबीआई की विशेष दंडाधिकारी शिखा अग्रवाल की अदालत में आवेदन देकर टेस्ट कराने की अनुमति मांगी. अदालत ने आरोपियों की सहमति पर इसकी इजाजत दे दी है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख को देखते हुए घटना की जांच कर रही सीबीआई की टीम ने सोमवार को दोनों आरोपियों के चार टेस्ट कराने की प्रक्रिया शुरू की. सोमवार को अदालत की कार्यवाही शुरू होते ही सीबीआई टीम अदालत पहुंची और दोनों आरोपों की जांच संबंधी अनुमति मांगी. आरोपितों की सहमति पर अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी शिखा अग्रवाल की अदालत ने टेस्ट कराने की अनुमति दे दी. लाई डिटेक्टर टेस्ट, ब्रेन मैपिंग, इलेक्ट्रिकल ऑक्सीलेशन और नार्को टेस्ट कराने की अनुमति ली गई है.
सिंफर परिसर में होगा टेस्ट
ऑटो से टक्कर मारने के आरोपी लखन वर्मा और सहयोगी राहुल वर्मा की जांच विशेषज्ञों की देखरेख में धनबाद में ही कराई जाएगी. ऐसा पहली बार हो रहा है जब इस प्रकार की जांच धनबाद में होगी. जानकारी के अनुसार सिंफर परिसर (CIMFR premises) में टेस्ट की प्रक्रिया देर रात तक जारी रही.
क्या है पूरा मामला
28 जुलाई सुबह जज उत्तम आनंद मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे. वॉक के दौरान अज्ञात वाहन के चपेट में आने से उनकी मौत की बात सामने आई थी, लेकिन उसी दिन सीसीटीवी का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दिख रही फुटेज से सामान्य हादसा होने पर सवाल उठ रहे थे. ऑटो में लोगों के बैठे होने और संदिग्ध अवस्था में उसके किनारे आने से जज उत्तम आनंद के चपेट आने जैसा लगता है.
बाद में धनबाद एडीजे अष्टम उत्तम आनंद की पत्नी के बयान पर धनबाद के सदर थाने में अज्ञात ऑटो चालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी. हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद राज्य पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर एडीजी अभियान संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई थी. एसआईटी ने अब तक की जांच में सुनियोजित हत्या से जुड़ा कोई साक्ष्य नहीं पाया था.
वहीं, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लिया था. मामले में झारखंड हाईकोर्ट की ओर से मॉनिटरिंग की जा रही है. 30 जुलाई को झारखंड सरकार ने सीबीआई से जांच कराने की अनुशंसा की थी. इसके बाद सीबीआई टीम बुधवार को धनबाद पहुंच गई.