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'सबका साथ, सबका विकास' की खुली पोल, आवासीय विद्यालय में छात्राओं को खाने के पड़े लाले

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Published : Nov 30, 2019, 7:59 PM IST

धनबाद जिले में सरकार के दावे सबका साथ, सबका विकास दम तोड़ रही है. सरकार इस नारे को धरातल पर उतारने का चाहे लाख दावा करे लेकिन सच तो यह है कि आज भी योजना पूरी तरह से कार्यान्वित नहीं हो पाई है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बाघमारा का झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय.

Jharkhand Girls Residential School did not receive funds from the government
स्कूल में नहीं है भोजन

धनबाद: जिले में सरकार के दावे सबका साथ, सबका विकास दम तोड़ रही है. सरकार इस नारे को धरातल पर उतारने का चाहे लाख दावा करे लेकिन सच तो यह है कि आज भी योजना पूरी तरह से कार्यान्वित नहीं हो पाई है. सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का आलम देखना है तो बाघमारा के झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय की हालात से वाकिफ होना होगा.

देखें स्पेशल खबर


नहीं मिला फंड
सरकार ने 2015 में बाघमारा में झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय की शुरुआत की थी. विद्यालय में 12वीं तक मुफ्त शिक्षा, कपड़े और छात्रवृत्ति जैसी सुविधा देने की बात की लेकिन 2019 आते-आते इस वादे को भुला दिया गया. 2019-20 का सत्र इस विद्यालय में शुरू हो गया लेकिन सरकार ने विद्यालय को अब तक फंड के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं दी.

ये भी पढ़ें: 19 साल के झारखंड में 13 बार बदली सरकार, देखिए मुख्यमंत्रियों की सूची


बीमार पड़ रही हैं छात्राएं
विद्यालय में फंड के अभाव में नौबत यह आ गई है कि यहां पढ़ रही छात्राओं को अच्छी शिक्षा तो क्या नसीब होगी, इनकी थाली से भोजन ही गायब होने लगे हैं. पहले इस विद्यालय में जहां भोजन के नाम पर बच्चों को मछली, अंडे, दाल मिलते थे वहीं, अब ये छात्राएं सूखी रोटी से काम चला रही हैं. ठंड में गर्म कपड़े और छात्रवृत्ति तो इनके लिए दूर की कौड़ी बन गए हैं. विद्यालय में आलम यह है कि अच्छे भोजन और ठंड के मौसम में गर्म कपड़े के अभाव में यहां पढ़ रही छात्राओं के बीमार पड़ने की नौबत आ गई है. दरअसल, स्कूल के राशन के लिए टेंडर नहीं निकाला गया. टेंडर नहीं निकलने के कारण स्कूल को राशन के लिए दुकान से उधार पर राशन की व्यवस्था करनी पड़ती है. ऐसे हालत में छात्राओं को भोजन आखिर अच्छा मिलेगा भी तो कहां से.


विपक्ष उठा रहा है सवाल
विद्यालय और यहां के छात्राओं के प्रति सरकार की इस उदासीनता को देखते हुए विपक्ष भी सरकार पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है. बाघमारा के पूर्व विधायक जलेश्वर महतो वर्तमान विधायक पर सवालिया निशान लगाते हुए कहते हैं कि सरकारी सहयोग से चलने वाले विद्यालय को अगर किसी राशन दुकान से उधार लेकर राशन की पूर्ति करनी पड़ती है तो भला शिक्षण व्यवस्था में सुधार कैसे होगा. इससे साफ पता चलता है कि विधायक शिक्षा के प्रति गंभीर हैं ही नहीं, शिक्षण व्यवस्था उनकी प्राथमिकता में कभी शामिल ही नहीं है.


शिक्षा विभाग भी है लापरवाह
वहीं इस पूरे मामले पर बाघमारा प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी दुधेश्वर पासवान कहते हैं कि स्कूल में फंड नहीं मिलने के कारण यह नौबत आई है. हालांकि वो ये भी कहते हैं कि बच्चियों को खाना तो मिल ही रहा है. वहीं लगभग पल्ला झाड़ते हुए कहते हैं कि मामले की जानकारी अपर विभाग को दे दी गई है, जब तक वहां से कुछ ऑर्डर नहीं आता तब तक कुछ नहीं किया जा सकता.
सरकार और शिक्षा विभाग जब दोनों में से कोई इस विद्यालय की सुध नहीं लेगा तो इन छात्राओं का क्या होगा. जल्द ही नया सत्र शुरू होने वाला है और आज तक पुराने सत्र की राशि का बकाया होना यह बताता हे कि शिक्षा पर दावे चाहे लाख किए जाए लेकिन यह किसी की प्राथमिकता में शामिल नहीं होता.

धनबाद: जिले में सरकार के दावे सबका साथ, सबका विकास दम तोड़ रही है. सरकार इस नारे को धरातल पर उतारने का चाहे लाख दावा करे लेकिन सच तो यह है कि आज भी योजना पूरी तरह से कार्यान्वित नहीं हो पाई है. सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का आलम देखना है तो बाघमारा के झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय की हालात से वाकिफ होना होगा.

देखें स्पेशल खबर


नहीं मिला फंड
सरकार ने 2015 में बाघमारा में झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय की शुरुआत की थी. विद्यालय में 12वीं तक मुफ्त शिक्षा, कपड़े और छात्रवृत्ति जैसी सुविधा देने की बात की लेकिन 2019 आते-आते इस वादे को भुला दिया गया. 2019-20 का सत्र इस विद्यालय में शुरू हो गया लेकिन सरकार ने विद्यालय को अब तक फंड के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं दी.

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बीमार पड़ रही हैं छात्राएं
विद्यालय में फंड के अभाव में नौबत यह आ गई है कि यहां पढ़ रही छात्राओं को अच्छी शिक्षा तो क्या नसीब होगी, इनकी थाली से भोजन ही गायब होने लगे हैं. पहले इस विद्यालय में जहां भोजन के नाम पर बच्चों को मछली, अंडे, दाल मिलते थे वहीं, अब ये छात्राएं सूखी रोटी से काम चला रही हैं. ठंड में गर्म कपड़े और छात्रवृत्ति तो इनके लिए दूर की कौड़ी बन गए हैं. विद्यालय में आलम यह है कि अच्छे भोजन और ठंड के मौसम में गर्म कपड़े के अभाव में यहां पढ़ रही छात्राओं के बीमार पड़ने की नौबत आ गई है. दरअसल, स्कूल के राशन के लिए टेंडर नहीं निकाला गया. टेंडर नहीं निकलने के कारण स्कूल को राशन के लिए दुकान से उधार पर राशन की व्यवस्था करनी पड़ती है. ऐसे हालत में छात्राओं को भोजन आखिर अच्छा मिलेगा भी तो कहां से.


विपक्ष उठा रहा है सवाल
विद्यालय और यहां के छात्राओं के प्रति सरकार की इस उदासीनता को देखते हुए विपक्ष भी सरकार पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है. बाघमारा के पूर्व विधायक जलेश्वर महतो वर्तमान विधायक पर सवालिया निशान लगाते हुए कहते हैं कि सरकारी सहयोग से चलने वाले विद्यालय को अगर किसी राशन दुकान से उधार लेकर राशन की पूर्ति करनी पड़ती है तो भला शिक्षण व्यवस्था में सुधार कैसे होगा. इससे साफ पता चलता है कि विधायक शिक्षा के प्रति गंभीर हैं ही नहीं, शिक्षण व्यवस्था उनकी प्राथमिकता में कभी शामिल ही नहीं है.


शिक्षा विभाग भी है लापरवाह
वहीं इस पूरे मामले पर बाघमारा प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी दुधेश्वर पासवान कहते हैं कि स्कूल में फंड नहीं मिलने के कारण यह नौबत आई है. हालांकि वो ये भी कहते हैं कि बच्चियों को खाना तो मिल ही रहा है. वहीं लगभग पल्ला झाड़ते हुए कहते हैं कि मामले की जानकारी अपर विभाग को दे दी गई है, जब तक वहां से कुछ ऑर्डर नहीं आता तब तक कुछ नहीं किया जा सकता.
सरकार और शिक्षा विभाग जब दोनों में से कोई इस विद्यालय की सुध नहीं लेगा तो इन छात्राओं का क्या होगा. जल्द ही नया सत्र शुरू होने वाला है और आज तक पुराने सत्र की राशि का बकाया होना यह बताता हे कि शिक्षा पर दावे चाहे लाख किए जाए लेकिन यह किसी की प्राथमिकता में शामिल नहीं होता.

Intro:स्लग --  झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय में बेटी बढ़ाव बेटी पढाव दम तोड़ रही
नए वित्तिय वर्ष का फंड नही मिलने से प्रभावित हुआ विद्यालय का संचालन
सामग्री की कमी में छात्राएं हो रही बीमार
एंकर -- झारखंड बालिका आवासीय विधालय में सरकार का श्लोगन बेटी बढ़ाव बेटी पढाव दम तोड़ रही है।सरकार इस श्लोगन को याथर्थ करने का लाख दावा करे लेकिन धरातल की सच्चाई इसके ठीक विपरीत है।झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय में अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति की गरीब बच्चियां पढ़ती है।
भी/ओ -- 01 बाघमारा प्रखण्ड के झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय में नए वित्तिय वर्ष 2019 - 20 का फंड नवम्बर माह के अंतिम सप्ताह तक नही मिल पाया है।जिसका पूरा असर विधालय के पढ़ाई से लेकर रसोई सहित छात्राओ के सुविधा पर पड़ रहा है।छात्राओ को तीन वक्त दिए जाने वाले भोजन में अब कटौती किया जा रहा।सरकार तथा विभाग द्वारा खाने का जो मेन्यू लागू है वह राशि की कमी के कारण पूरा प्रभावित हो चुका है।सप्ताह में अंडा,चिकन,मछली जो दिया जाना है वह बन्द हो चुका है।दूध के सेवन में भी कटौती कर दिया गया है।फंड उपलब्ध नहीं रहने के कारण विद्यालय की छात्राओं को भोजन के साथ साथ स्टेपन,रजाई,यूनिफॉर्म,स्वेटर, गद्दा सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखना पड़ रहा है।फंड नही होने के कारण छात्राओ का छात्रवृत्ति अप्रेल माह से नही मिला है।छात्राओ के शाम के नाश्ते में भी कटौती किया गया है।ठंढ में गद्दा,कम्बल आदि नही मिलने के कारण छात्राएं बीमार हो रही है।विभाग को इसकी सूचना लिखित मौखिक रुप से कई बार दिया गया है।लेकिन इस मामले में अब तक शिक्षा विभाग कोई गम्भीरता नही दिखाए जाने के कारण इसका खामियाजा मासूम छात्राओ को भुगतना पड़ रहा है।जानकारी मिलने पर अभिभावकों के कोप का भाजन विद्यालय की वाडर्न तथा शिक्षक हो रही है।Body:भी/ओ -- 02 विद्यालय की वार्डन मीरा देवी ने बताया कि अप्रेल माह से कोई राशि नही मिला है।जिससे सबसे अधिक रसोई प्रभावित हुआ है।ठीकेदार का 20 से 25 लाख का बकाया हो चुका है।अब राशन दुकानवाले समान देने में हाथ खड़ा कर रहा है।छात्राओ के खाने में कटौती कर किसी तरह इसको चलाया जा रहा है।ठंड में नए छात्राओ को गद्दा नही दिया जा सका है।
बाइट -- मीरा देवी(वार्डन,विद्यालय)
आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओ ने बताया कि पिछलर एक माह से सादा खाना उनलोगों को दिया जा रहा है।नास्ता में कटौती किया गया है।नया ड्रेस,ठंढ में गद्दा,रजाई भी नही मिला है।छात्रवृत्ति भी नही आ रहा।ठंढ में सभी बीमार हो रहे है।
बाइट -- छात्रा
बाइट -- छात्रा 01
वही प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी दुधेश्वर पासवान ने कहा कि इसकी जानकरी विभाग को दिया गया है।छात्राओ को कोई समस्या नही हो इसकी व्यवस्था वह करेंगे।
बाइट --  दुधेश्वर पासवान(प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी,बाघमारा)
जलेश्वर महतो को इसकी जानकारी मिलने पर कहा कि सरकार को शिक्षा से कोई मतलब नही है।घोषणा बहुत कुछ किया गया है।लेकिन स्थिति आज जो बाघमारा बालिका आवासीय विधालय का है यह सही नही है।सरकार के उदासीनता विभाग की लापरवाही का खामियाजा छात्राओ को हो रहा है।यहां के विधायक ढूलु महतो को केवल कोयला छोड़ कुछ नही नजर आता।शिक्षा के इस मंदिर में छात्राओ के खाने में कटौती किया जा रहा यह कितना सही है।विधायक शिक्षा के मामले में कुछ नही किया है।यह सरकार केवल पारा शिक्षकों, आंगनबाड़ी सेविकाओं को लाठी मारना जानती है।स्कूलों को बंद करना जानती है।
बाइट -- जलेश्वर महतो(पूर्व, विधायक, बाघमारा)Conclusion:F भी/ओ -- इस तरह से सरकार और शिक्षा विभाग के उदासीनता से यह तो साबित होता है कि बेटियों के बढ़ाने और पढ़ाने के लिये काम करना होगा न कि श्लोगन को हर दीवाल,चौराहों,स्कूलों या अन्य स्थानों पर लिखने से रैली निकालने से नही होने वाला।वर्तमान स्थिति आवासीय विद्यालय की ऐसी हो चुकी है कि कभी भी यह बन्द हो जाये तो इसका जवाबदेह कौन होगा ?
 

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