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प्रदूषण के मामले में झरिया को मिला नंबर वन का खिताब, जानें क्या हैं इसके कारण - झरिया है कोयला की राजधानी

झरिया में मिलने वाली कोयले की पहचान देश-विदेशों में होती है, लेकिन अब इस शहर का नाम देश के सबसे प्रदूषित शहरों में भी सबसे ऊपर हो गया है, जो चिंता का विषय है.

Jharia is most polluted city in India
झरिया देश का सबसे प्रदूषित शहर
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Published : Jan 23, 2020, 5:22 PM IST

धनबाद: कोयलांचल धनबाद को देश की कोयला राजधानी कहा जाता है. धनबाद के कई इलाकों में कोयला पाया जाता है, लेकिन झरिया इलाके में मिलने वाली कोयले की पहचान देश के साथ-साथ विदेशों में भी होती है. झरिया में मिलने वाली कोयला उन्नत किस्म के होते हैं, लेकिन अब झरिया की पहचान पूरे देश में सबसे प्रदूषित शहरों में होने लगा है. ग्रीन पीस इंडिया की रिपोर्ट में झरिया को प्रदूषित शहरों में नंबर वन का खिताब दिया गया है.

देखें स्पेशल स्टोरी

ग्रीन पीस इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में झरिया प्रदूषित शहरों में एक नंबर पर है. वहीं धनबाद शहर को दूसरे नंबर का खिताब मिला है. झरिया इलाके के कोयले में लगभग 1 साल से भी अधिक समय से भूमिगत आग लगी हुई है और इस आग के कारण कई तरह की जहरीली गैस भी निकलती है. इसके साथ साथ कोयले के डस्ट ने पूरे शहर को अपने आगोश में ले लिया है.

इसे भी पढ़ें:- चाईबासा हत्याकांड के पीड़ित परिवारवालों से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे मुलाकात, मामले के SIT जांच के दिए हैं आदेश

बीसीसीएल प्रबंधन नहीं कर रहा पानी का छिड़काव
स्थानीय लोगों का कहना है कि घरों में सभी जगह कोयले की परत बैठ जाती है और काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन और बीसीसीएल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया. स्थानीय लोगों ने बताया कि बीसीसीएल प्रबंधन डस्ट से बचने के लिए पानी का छिड़काव भी नहीं करवाता है, जिसके कारण यह सारा डस्ट हवा में फैल जाती है.

डस्ट उड़ने से लोगों में हो रही बीमारियां
लोगों का कहना है कि डस्ट के कारण सांस लेने में दिक्कत होती है. हवा में हमेशा उड़ रहे डस्ट के कारण दमा और सीने से संबंधित कई प्रकार की बीमारियां भी लोगों को हो रही है. मजदूर नेता राजेंद्र पासवान ने कहा कि जब इन चीजों को लेकर आंदोलन भी करने का प्रयास किया जाता है, तो जिला प्रशासन और बीसीसीएल प्रबंधन की मिलीभगत के कारण आंदोलन को भी दबा दिया जाता है.

डॉक्टर की सलाह
झरिया इलाके के जाने-माने डॉक्टर नरेश प्रसाद का कहना है कि भूमिगत आग से निकलने वाली जहरीली गैस और कोयले के डस्ट के कारण अनेकों तरह की बीमारियां हो रही है, खासकर श्वशन संबंधी बीमारी लोगों को ज्यादा होती है और धीरे-धीरे फेफड़ों तक यह बीमारी पहुंच जाती है, जिससे लोगों का फेफड़ा काम करना बंद कर देता है. उन्होंने बताया कि इन चीजों से बचने में तेजपत्ते का पेड़ काफी लाभदायक है, जो जहरीली गैस के असर को कुछ हद तक कम कर देता है.

डॉक्टर नरेश प्रसाद का कहना है कि लोगों को अपने घरों में तेजपत्ते का पेड़ लगानी चाहिए, क्योंकि तेजपत्ता का पेड़ प्रदूषण और इस प्रकार के गैस में काफी राहत दिला सकती है. उन्होंने बताया कि जहां से कोयला निकाल लिया गया है, उसका भी समतलीकरण कर इस प्रकार के पेड़ को लगाने का काम बीसीसीएल प्रबंधन करे, तो काफी हद तक इन समस्याओं से निजात मिल सकता है.

धनबाद: कोयलांचल धनबाद को देश की कोयला राजधानी कहा जाता है. धनबाद के कई इलाकों में कोयला पाया जाता है, लेकिन झरिया इलाके में मिलने वाली कोयले की पहचान देश के साथ-साथ विदेशों में भी होती है. झरिया में मिलने वाली कोयला उन्नत किस्म के होते हैं, लेकिन अब झरिया की पहचान पूरे देश में सबसे प्रदूषित शहरों में होने लगा है. ग्रीन पीस इंडिया की रिपोर्ट में झरिया को प्रदूषित शहरों में नंबर वन का खिताब दिया गया है.

देखें स्पेशल स्टोरी

ग्रीन पीस इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में झरिया प्रदूषित शहरों में एक नंबर पर है. वहीं धनबाद शहर को दूसरे नंबर का खिताब मिला है. झरिया इलाके के कोयले में लगभग 1 साल से भी अधिक समय से भूमिगत आग लगी हुई है और इस आग के कारण कई तरह की जहरीली गैस भी निकलती है. इसके साथ साथ कोयले के डस्ट ने पूरे शहर को अपने आगोश में ले लिया है.

इसे भी पढ़ें:- चाईबासा हत्याकांड के पीड़ित परिवारवालों से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे मुलाकात, मामले के SIT जांच के दिए हैं आदेश

बीसीसीएल प्रबंधन नहीं कर रहा पानी का छिड़काव
स्थानीय लोगों का कहना है कि घरों में सभी जगह कोयले की परत बैठ जाती है और काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन और बीसीसीएल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया. स्थानीय लोगों ने बताया कि बीसीसीएल प्रबंधन डस्ट से बचने के लिए पानी का छिड़काव भी नहीं करवाता है, जिसके कारण यह सारा डस्ट हवा में फैल जाती है.

डस्ट उड़ने से लोगों में हो रही बीमारियां
लोगों का कहना है कि डस्ट के कारण सांस लेने में दिक्कत होती है. हवा में हमेशा उड़ रहे डस्ट के कारण दमा और सीने से संबंधित कई प्रकार की बीमारियां भी लोगों को हो रही है. मजदूर नेता राजेंद्र पासवान ने कहा कि जब इन चीजों को लेकर आंदोलन भी करने का प्रयास किया जाता है, तो जिला प्रशासन और बीसीसीएल प्रबंधन की मिलीभगत के कारण आंदोलन को भी दबा दिया जाता है.

डॉक्टर की सलाह
झरिया इलाके के जाने-माने डॉक्टर नरेश प्रसाद का कहना है कि भूमिगत आग से निकलने वाली जहरीली गैस और कोयले के डस्ट के कारण अनेकों तरह की बीमारियां हो रही है, खासकर श्वशन संबंधी बीमारी लोगों को ज्यादा होती है और धीरे-धीरे फेफड़ों तक यह बीमारी पहुंच जाती है, जिससे लोगों का फेफड़ा काम करना बंद कर देता है. उन्होंने बताया कि इन चीजों से बचने में तेजपत्ते का पेड़ काफी लाभदायक है, जो जहरीली गैस के असर को कुछ हद तक कम कर देता है.

डॉक्टर नरेश प्रसाद का कहना है कि लोगों को अपने घरों में तेजपत्ते का पेड़ लगानी चाहिए, क्योंकि तेजपत्ता का पेड़ प्रदूषण और इस प्रकार के गैस में काफी राहत दिला सकती है. उन्होंने बताया कि जहां से कोयला निकाल लिया गया है, उसका भी समतलीकरण कर इस प्रकार के पेड़ को लगाने का काम बीसीसीएल प्रबंधन करे, तो काफी हद तक इन समस्याओं से निजात मिल सकता है.

Intro:धनबाद: कोयलांचल धनबाद को देश की कोयला राजधानी कहा जाता है धनबाद के कई इलाकों में कोयला पाया जाता है लेकिन झरिया इलाके में मिलने वाली कोयले की पहचान देश के साथ-साथ विदेशों में होती है. झरिया में मिलने वाली कोयला उन्नत किस्म के हैं लेकिन अब झरिया की पहचान पूरे देश में सबसे प्रदूषित शहरों में होने लगा है. ग्रीन पीस इंडिया की रिपोर्ट में झरिया को प्रदूषित शहरों में नंबर वन का खिताब मिला है.

Body:आपको बता दें कि ग्रीन पीस इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में झरिया प्रदूषित शहरों में एक नंबर पर है वही धनबाद शहर को दूसरा खिताब मिला है. गौरतलब है कि झरिया इलाके में कोयले में लगभग 1 वर्षों से भी अधिक समय से भूमिगत आग लगी हुई है और इस आग के कारण कई तरह की जहरीली गैसे भी निकलती है. साथ ही साथ कोयले के डस्ट भी पूरी शहर को अपने आगोश में लिए हुए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि घरों में सभी जगह कोयले की परत बैठ जाती है और काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है जिसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन और बीसीसीएल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया. स्थानीय लोगों का कहना है कि बीसीसीएल प्रबंधन के द्वारा पानी का छिड़काव भी इन जगहों पर नहीं किया जाता है. जिसके कारण यह सारा डस्ट हवा में फैल जाता है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि सांस लेने में लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है साथ ही साथ दमा और सीने से संबंधित कई प्रकार की बीमारियां लोगों को हो जाती है. मजदूर नेता राजेंद्र पासवान ने कहा कि जब इन चीजों को लेकर आंदोलन भी करने का प्रयास किया जाता है तो जिला प्रशासन और बीसीसीएल प्रबंधन की मिलीभगत के कारण आंदोलन को भी दबा दिया जाता है.

झरिया इलाके के जाने-माने चिकित्सक नरेश प्रसाद का कहना है कि भूमिगत आग से निकलने वाली जहरीली गैस और कोयले के डस्ट के कारण अनेकों तरह की बीमारियां हो रही है खासकर श्वशन संबंधी बीमारी लोगों को ज्यादा होती है और धीरे-धीरे फेफड़ों तक यह बीमारी पहुंच जाती है और लोगों के फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं. चिकित्सक ने कहा कि इन चीजों से बचने में तेज पत्ते का पेड़ काफी लाभदायक है जो इसके असर को कुछ हद तक कम कर देता है.

Conclusion:चिकित्सक नरेश प्रसाद का कहना है कि कि लोगों को अपने घरों में तेज पत्ते का पेड़ लगानी चाहिए क्योंकि तेजपत्ता का पेड़ प्रदूषण और इस प्रकार के गैस में काफी राहत दिला सकती है और जंहा से कोयला निकाल लिया गया है उसका भी समतलीकरण कर ऐसे जगहों पर इस प्रकार के पेड़ को लगाने का काम बीसीसीएल प्रबंधन करे तो काफी हद तक इन समस्याओं से निजात मिल सकती है.

बाइट
1. शशिकांत कुमार- स्थानीय
2. राजेंद्र पासवान-मजदूर नेता
3. नरेश प्रसाद- चिकित्सक
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