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धनबादः झमाडा कर्मी गए हड़ताल पर, शहर में पानी के लिए मच सकता है हाहाकार

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Published : Sep 13, 2019, 12:46 PM IST

धनबाद में बकाये वेतन की मांग और छठा वेतन निरस्त किये जाने के विरोध में झमाडा कर्मियों ने वाटर बोर्ड के सामने जमकर विरोध किया. विरोध प्रदर्शन के बाद वो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं.

झमाडा कर्मी

धनबादः 34 महीने के बकाया वेतन की मांग और छठा वेतन निरस्त किए जाने के विरोध में झमाडा कर्मियों ने झरिया के जामाडोबा वाटर बोर्ड के समक्ष जोरदार प्रदर्शन करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. हड़ताल के कारण झरिया समेत कई इलाकों में पानी के लिए आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. लोगों को होने वाली इस परेशानी के लिए झमाडा कर्मियों ने विभाग के वरीय अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है.

देखें पूरी खबर

यह भी पढ़ें- पीएम के दौरे को लेकर छावनी में तब्दील थी रांची, DGP ने पुलिसकर्मियों की थपथपाई पीठ

पानी की सप्लाई बंद
झमाडा जल संयंत्र केंद्र जामाडोबा के कर्मियों ने छठा वेतन समझौता लागू करने और 34 माह के बकाये वेतन की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. कर्मियों ने कहा कि कई आंदोलन के बाद छठा वेतनमान मिला, लेकिन महज एक वेतन भुगतान के बाद फिर इसे बंद कर दिया गया. जबकि इसी माडा के पैसे सारे अधिकारियों को सातवें वेतनमान का भुगतान हो रहा है. उन्होंने कहा कि हमलोगों ने पानी की सप्लाई बंद कर दी है. पानी के लिए जनता को जो परेशानी उठानी पड़ेगी, उसके लिए नगर सचिव और एमडी जिम्मेवार होंगे. कर्मियों का कहना है कि जलदर में वृद्धि होने के बाद झमाडा की वित्तीय स्थिति पहले से बेहतर हो चुकी है. बाजार फीस की राशि भी विभाग में आ रही है. आखिर कर्मियों को छठा वेतनमान भुगतान करने में कोताही विभाग के अधिकारी क्यों कर रहे हैं. चेतवानी भरे लहजे में कर्मियों ने कहा जबतक मांग पूरी नहीं होती तबतक यह हड़ताल जारी रहेगा.

धनबादः 34 महीने के बकाया वेतन की मांग और छठा वेतन निरस्त किए जाने के विरोध में झमाडा कर्मियों ने झरिया के जामाडोबा वाटर बोर्ड के समक्ष जोरदार प्रदर्शन करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. हड़ताल के कारण झरिया समेत कई इलाकों में पानी के लिए आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. लोगों को होने वाली इस परेशानी के लिए झमाडा कर्मियों ने विभाग के वरीय अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है.

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पानी की सप्लाई बंद
झमाडा जल संयंत्र केंद्र जामाडोबा के कर्मियों ने छठा वेतन समझौता लागू करने और 34 माह के बकाये वेतन की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. कर्मियों ने कहा कि कई आंदोलन के बाद छठा वेतनमान मिला, लेकिन महज एक वेतन भुगतान के बाद फिर इसे बंद कर दिया गया. जबकि इसी माडा के पैसे सारे अधिकारियों को सातवें वेतनमान का भुगतान हो रहा है. उन्होंने कहा कि हमलोगों ने पानी की सप्लाई बंद कर दी है. पानी के लिए जनता को जो परेशानी उठानी पड़ेगी, उसके लिए नगर सचिव और एमडी जिम्मेवार होंगे. कर्मियों का कहना है कि जलदर में वृद्धि होने के बाद झमाडा की वित्तीय स्थिति पहले से बेहतर हो चुकी है. बाजार फीस की राशि भी विभाग में आ रही है. आखिर कर्मियों को छठा वेतनमान भुगतान करने में कोताही विभाग के अधिकारी क्यों कर रहे हैं. चेतवानी भरे लहजे में कर्मियों ने कहा जबतक मांग पूरी नहीं होती तबतक यह हड़ताल जारी रहेगा.

Intro:धनबाद।34 महीने की बकाया वेतन की मांग और छठा वेतन निरस्त किए जाने के विरोध में झमाडा कर्मियों ने झरिया के जामाडोबा वाटर बोर्ड के समक्ष जोरदार प्रदर्शन कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।हड़ताल के कारण झरिया समेत कई इलाकों में पानी के लिए आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।लोगों की होने वाली इस परेशानी के लिए झमाडा कर्मियों ने विभाग के वरीय अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है।


Body:झमाडा जल संयंत्र केंद्र जामाडोबा के कर्मियों ने छठा वेतन समझौता लागू करने एवं 34 माह के बकाए वेतन मांग को लेकर आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।कर्मियों ने कहा कि कई आंदोलन के बाद छठा वेतनमान मिला।लेकिन महज एक वेतन भुगतान के बाद पुनः इसे बंद कर दिया गया। जबकि इसी माडा के पैसे सारे अधिकारियों को सातवां वेतनमान का भुगतान हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमलोगों ने पानी की सप्लाई बंद कर दी है।पानी के लिए जनता को जो परेशानी उठानी पड़ेगी उसके लिए नगर सचिव और एमडी जिम्मेवार होंगे।कर्मियों का कहना है कि जलदर में वृद्धि होने के बाद झामाडा की वित्तीय स्थिति पहले से बेहतर हो चुकी है।बाजार फीस की राशि भी विभाग में आ रही है।आखिर कर्मियों को छठा वेतनमान भुगतान करने में कोताही विभाग के अधिकारी क्यों कर रहे हैं।चेतवानी भरे लहजे में कर्मियों ने कहा जबतक मांगे पूरी नही होती तबतक यह हड़ताल जारी रहेगा



Conclusion:जब भी झमाडा कर्मी हड़ताल पर जाते हैं।उसके बाद अधिकारी उनसे वार्ता करते हैं।वार्ता में सकारात्मक आश्वासन भी मिलता है।लेकिन वह पूरा नही हो पाता। उसके बाद फिर से कर्मियों को अपनी मांगों को पूरा करने के लिए आंदोलन करना पड़ता है।लेकिन अधिकारी और कर्मचारी के बीच मे आम जनता को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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