धनबादः करोड़ों की लागत से बनाया गया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में गरीबों का इलाज नहीं होता है, अस्पताल में पदस्थापित डॉक्टर नहीं आते हैं. आलम ऐसा है कि एक वार्ड अटेंडेंट के भरोसे पूरा अस्पताल चल रहा है.
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राज्य सरकार दावा करती है कि अंतिम व्यक्ति तक सस्ता और मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. इसे लेकर करोड़ों रुपये की लागत से अस्पताल भवन बनाया गया है. यहां पदस्थापित डॉक्टर स्वास्थ्य कर्मियों, नर्स के रहने के लिये आवास बनाये गए हैं. इन सबके बावजूद इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में गरीबों का इलाज नहीं हो रहा है. धनबाद के महुदा छत्रुटांड़ पंचायत स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हाथी का दांत बनकर रह गया है. 3 साल पहले इस अस्पताल भवन को लगभग 7 करोड़ की लागत से बनाया गया था. 8 बेड वाले इस अस्पताल के बनने से 11 पंचायत के हजारो लोगों को उमीद थी कि उन्हें इलाज के लिये जिला मुख्यालय, प्रखंड मुख्यायल नहीं जाना होगा लेकिन यह उमीद पूरी नहीं हो पाई.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन चमचमा रहा है लेकिन अस्पताल में डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, नर्स कोई नहीं रहता है. एक वार्ड अटेंडेंट के भरोसे पूरा अस्पताल चल रहा है. जो पूरी ईमानदारी से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. वहीं पदस्थापित दो डॉक्टर कभी कभी अस्पताल आती हैं. वो अस्पताल परिसर के आवास में न रह कर बोकारो चली जाती हैं. अस्पताल में लगाये गए 8 बेड पर अन्य अस्पताल में ड्यूटी करने वाले लोगों ने कब्जा जमा लिया है.
यहां इलाज कराने आने वाले स्थानीय लोगों ने कहा कि अस्पताल भवन तो बनाया गया है लेकिन यहां डॉक्टर, नर्स, नहीं रहते हैं, कोई भी ड्यूटी में नहीं आते हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित डॉक्टर यहां कुछ घंटे के आकर खानापूर्ति कर चली जाती हैं. ग्रामीणों की सरकार से मांग है कि अस्पताल में समुचित इलाज की व्यवस्था की जाए, साथ ही लापरवाही करने वाले डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मियों पर कार्रवाई की जाए.