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झरिया में कोल बेड मिथेन के पहले महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को हरी झंडी, देशभर की रसोइयों में पहुंचेगी गैस

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Published : Aug 7, 2023, 7:19 PM IST

Updated : Aug 7, 2023, 8:18 PM IST

झारखंड के झरिया में कोल बेड मिथेन के पहले महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल गई है. अगले कुछ महीनों में प्रोडक्शन शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है. इसका इस्तेमाल रसोई गैस से लेकर वाहनों और बिजली उत्पादन के लिए हो सकता है.

coal bed methane gas project in Jharia
coal bed methane gas project in Jharia

रांची: झारखंड के धनबाद में कोल बेड मिथेन गैस प्रोडक्शन के पहले महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय स्वीकृति मिल गई है. प्रोजेक्ट की लागत 1,880 करोड़ रुपए है. कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) और आउटसोर्सिंग कंपनी प्रभा एनर्जी प्रा.लि. के ज्वाइंट वेंचर के रूप में यह प्रोजेक्ट अगले कुछ महीनों में प्रोडक्शन शुरू करने की स्थिति में पहुंच जाएगा.

ये भी पढ़ें- 18 कोयला, एक गैस और 42 पनबिजली परियोजनाओं का चल रहा काम : सरकार

यह प्रोजेक्ट बीसीसीएल के मुनीडीह प्रक्षेत्र के झरिया में शुरू किया जा रहा है. यहां मौजूद सीबीएम (कोल बेड मिथेन) -1 से मीथेन उत्पादन और वितरण के लिए बीसीसीएल का गुजरात की कंपनी प्रभा एनर्जी प्रालि. के साथ 30 वर्षों का करार हुआ है. यहां से निकलने वाली गैस को गेल की ऊर्जा गंगा पाइपलाइन के जरिए देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचाया जा सकेगा. इसका इस्तेमाल बिजली उत्पादन, रसोई गैस और वाहनों के ईंधन के तौर पर होगा.

मुनीडीह से 8 किमी की दूरी पर गेल की ऊर्जा गंगा पाइप लाइन बिछाई जा चुकी है. इस प्रोजेक्ट में बीसीसीएल के 368.58 करोड़ और आउटसोर्सिंग कंपनी के 1510.5 करोड़ रुपये लगे हैं. कुल मिलाकर यह प्रोजेक्ट 1,880 करोड़ रुपये का है. सीबीएम का उत्पादन बीसीसीएल के अलावा कोल इंडिया की किसी अन्य दूसरी कंपनी में अभी तक शुरू नहीं हुआ है. बताया गया है कि सीबीएम प्राजेक्ट तीन फेज में लागू किया जायेगा.

पहले फेज में अन्वेषण तथा सेकेंड फेज के लिए पायलट मूल्यांकन और बाजार सर्वेक्षण शामिल होगा. थर्ड फेज में अधिकतम 30 वर्षों के लिए अथवा क्षेत्र की आर्थिक जीवन उपयोगिता तक डेवलपमेंट एवं प्रोडक्शन शामिल होगा. बीसीसीएल के सीएमडी समीरन दत्ता ने कहा कि इलाके में कुछ अन्य भूमिगत खदानों से निकलने वाली मिथेन गैस को प्रधानमंत्री गंगा ऊर्जा पाइप लाइन से जोड़ा जाएगा.

उन्होंने कहा कि मिथेन के उत्पादन और विपणन से कंपनी के राजस्व में बढ़ोतरी तो होगी ही, ऊर्जा संबंधी चुनौतियों को पूरा करने में भी यह परियोजना बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी. मिथेन के दोहन से खदानों में गैस का रिसाव और हादसे तो घटेंगे ही, इससे कंपनी के राजस्व में भी इजाफा होगा. केंद्र सरकार ने झारखंड के मुनिडीह (झरिया) के अलावा गोमिया और नॉर्थ कर्णपुरा इलाके की कोयला खदानों से मिथेन गैस प्रोडक्शन की योजना को हरी झंडी दी है.

मिथेन के व्यावसायिक उत्पादन के लिए केंद्र सरकार ने पहले फेज में छह राज्यों में कोल बेड मिथेन के साढ़े आठ हजार वर्ग किमी के क्षेत्रफल वाले 15 ब्लॉक की पहचान की है. इनमें से तीन ब्लॉक झारखंड में हैं. इनका क्षेत्रफल 503.11 वर्ग किमी है.

2023-24 तक सीबीएम (कोल बेड मिथेन) से 50 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस उत्पादन का लक्ष्य है. बता दें कि मिथेन प्राकृतिक गैस है. यह जमीन की गहराई में पाई जाती है. खासतौर पर यह कोयला खदानों में मिलती है. इसे कोल बेड मिथेन कहते हैं. झारखंड में धनबाद, रामगढ़ और बोकारो में 16 लाख घन मीटर मिथेन गैस के भंडार का पता लगाया गया है. इसके उत्पादन और दोहन के प्रोजेक्ट्स पर कोल इंडिया लिमिटेड के साथ-साथ ओएनजीसी भी काम कर रहा है.

इनपुट- आईएएनएस

रांची: झारखंड के धनबाद में कोल बेड मिथेन गैस प्रोडक्शन के पहले महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय स्वीकृति मिल गई है. प्रोजेक्ट की लागत 1,880 करोड़ रुपए है. कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) और आउटसोर्सिंग कंपनी प्रभा एनर्जी प्रा.लि. के ज्वाइंट वेंचर के रूप में यह प्रोजेक्ट अगले कुछ महीनों में प्रोडक्शन शुरू करने की स्थिति में पहुंच जाएगा.

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यह प्रोजेक्ट बीसीसीएल के मुनीडीह प्रक्षेत्र के झरिया में शुरू किया जा रहा है. यहां मौजूद सीबीएम (कोल बेड मिथेन) -1 से मीथेन उत्पादन और वितरण के लिए बीसीसीएल का गुजरात की कंपनी प्रभा एनर्जी प्रालि. के साथ 30 वर्षों का करार हुआ है. यहां से निकलने वाली गैस को गेल की ऊर्जा गंगा पाइपलाइन के जरिए देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचाया जा सकेगा. इसका इस्तेमाल बिजली उत्पादन, रसोई गैस और वाहनों के ईंधन के तौर पर होगा.

मुनीडीह से 8 किमी की दूरी पर गेल की ऊर्जा गंगा पाइप लाइन बिछाई जा चुकी है. इस प्रोजेक्ट में बीसीसीएल के 368.58 करोड़ और आउटसोर्सिंग कंपनी के 1510.5 करोड़ रुपये लगे हैं. कुल मिलाकर यह प्रोजेक्ट 1,880 करोड़ रुपये का है. सीबीएम का उत्पादन बीसीसीएल के अलावा कोल इंडिया की किसी अन्य दूसरी कंपनी में अभी तक शुरू नहीं हुआ है. बताया गया है कि सीबीएम प्राजेक्ट तीन फेज में लागू किया जायेगा.

पहले फेज में अन्वेषण तथा सेकेंड फेज के लिए पायलट मूल्यांकन और बाजार सर्वेक्षण शामिल होगा. थर्ड फेज में अधिकतम 30 वर्षों के लिए अथवा क्षेत्र की आर्थिक जीवन उपयोगिता तक डेवलपमेंट एवं प्रोडक्शन शामिल होगा. बीसीसीएल के सीएमडी समीरन दत्ता ने कहा कि इलाके में कुछ अन्य भूमिगत खदानों से निकलने वाली मिथेन गैस को प्रधानमंत्री गंगा ऊर्जा पाइप लाइन से जोड़ा जाएगा.

उन्होंने कहा कि मिथेन के उत्पादन और विपणन से कंपनी के राजस्व में बढ़ोतरी तो होगी ही, ऊर्जा संबंधी चुनौतियों को पूरा करने में भी यह परियोजना बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी. मिथेन के दोहन से खदानों में गैस का रिसाव और हादसे तो घटेंगे ही, इससे कंपनी के राजस्व में भी इजाफा होगा. केंद्र सरकार ने झारखंड के मुनिडीह (झरिया) के अलावा गोमिया और नॉर्थ कर्णपुरा इलाके की कोयला खदानों से मिथेन गैस प्रोडक्शन की योजना को हरी झंडी दी है.

मिथेन के व्यावसायिक उत्पादन के लिए केंद्र सरकार ने पहले फेज में छह राज्यों में कोल बेड मिथेन के साढ़े आठ हजार वर्ग किमी के क्षेत्रफल वाले 15 ब्लॉक की पहचान की है. इनमें से तीन ब्लॉक झारखंड में हैं. इनका क्षेत्रफल 503.11 वर्ग किमी है.

2023-24 तक सीबीएम (कोल बेड मिथेन) से 50 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस उत्पादन का लक्ष्य है. बता दें कि मिथेन प्राकृतिक गैस है. यह जमीन की गहराई में पाई जाती है. खासतौर पर यह कोयला खदानों में मिलती है. इसे कोल बेड मिथेन कहते हैं. झारखंड में धनबाद, रामगढ़ और बोकारो में 16 लाख घन मीटर मिथेन गैस के भंडार का पता लगाया गया है. इसके उत्पादन और दोहन के प्रोजेक्ट्स पर कोल इंडिया लिमिटेड के साथ-साथ ओएनजीसी भी काम कर रहा है.

इनपुट- आईएएनएस

Last Updated : Aug 7, 2023, 8:18 PM IST
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